वीरता बनाम क्रूरता
आसान है क्रूर बनना,
कठिन है वीर बनना...
आसान है आतंक फैलाना,
कठिन है सुख शांति लाना...
आसान है विध्वंस करना,
कठिन है सृजन करना,
आसान है हंसते को रुलाना,
कठिन है रोते को हंसाना...
आसान है जिन्दे को मारना,
कठिन है मरते हुए को जिलाना,
आसान है अहंकार जगाना,
कठिन है स्वभाव में विनम्रता लाना...
आसान है दूसरों के दोष गिनाना,
कठिन है स्वयं में सुधार लाना,
आसान है हैवान बनना,
कठिन है इंसानियत स्वयं में जगाना...
पशु भी आसान काम कर लेते हैं,
कूड़े करकट भी प्रवाह में बह लेते हैं,
वीर इंसान ही कठिन कार्य कर सकता है,
प्रवाह के विरुद्ध भी तैर सकता है...
जागो स्वयं को पहचानों,
क्रूरता नहीं वीरता को अपनाओ,
स्वयं की कमजोरियों पर विजय पाओ,
ईश्वर की राह पर कदम बढ़ाओ..
रोते को हंसाओ,
दूसरों की चोट पर मरहम लगाओ,
सुख बांटो और दूसरों का दुःख बटाओ,
स्वयं में देवत्व जगा धरती को स्वर्ग बनाओ...
~लेखिका श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार गुरुग्राम, हरियाणा
9810893335
No comments:
Post a Comment