तुम्हारे आँशु कीमती हैं,
इन मोतियों को यूं न बहाओ,
जहां इनकी क़ीमत नहीं,
वहां उन्हें मत लुटाओ...
उनके लिए क्या रोना,
जिसने तुम्हारा दिल तोड़ा,
उसके लिए क्या रोना,
जिसने तुम्हारा हाथ बीच मझधार में छोड़ा..
उसके लिए क्या रोना,
जिसे तुम्हारी परवाह नहीं,
उसके लिए क्या रोना,
जिसे तुम्हारी खुशियों की चाह नहीं...
समेटो इन आँशुओ को,
गहरी श्वांस लो, एक अंगड़ाई लो,
ख़ुद से कहो,
अब मैं सिर्फ मुस्कुराउँगा उनके लिए,
जिन्हें मेरी खुशियों की परवाह है...
अब मुस्कुराऊंगा ख़ुद के लिए,
क्योंकि किसी को हो न हो,
मुझे मेरे जीवन की परवाह है चाह है...
💐श्वेता चक्रवर्ती
गायत्री परिवार, गुरुग्राम
No comments:
Post a Comment