घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए नियमित बलिवैश्व यज्ञ करें, इस यज्ञ के प्रभाव से बच्चे संस्कारी बनते हैं, गृह क्लेश/कलह दूर होता है, घर में सौभाग्य लक्ष्मी का वास होता है*।
*युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी* ने माँ गायत्री की 24 वर्षों तक कठोर नियम 24 लाख का अनुष्ठान किया। उन्होंने युगपीड़ा निवारण हेतु 3200 से अधिक जीवनोपयोगी युग्सहित्य का सृजन किया।जनकल्याण हेतु गायत्री उपासना और हवन विधि का सरलीकरण कर घर घर तक पहुँचाया। उन्हीं की बताई बलिवैश्व यज्ञ पर *गुरुग्राम हरियाणा की डॉक्टर रेखा जी ने अनेक शोध किये, और सेकड़ो लोगों के घर की नकारात्मक ऊर्जा को 15 दिन के निरन्तर प्रयोग में ही सफ़ल पाया*। ऐसे ही कई शोध और प्रयोग से *दिल्ली के आर के श्रीवास्तव जी, राजस्थान कोटा की रेखा पटवा जी और गाज़ियाबाद की प्रज्ञा शुक्ला जी ने सैकड़ो लोगों को लाभान्वित किया।*
*बलिवैश्व यज्ञ बहुत आसान है, नित्य किया जा सकता है।*
*बलिवैश्व यज्ञ विधि* -
दो छोटी तस्तरी लें, एक में घर की बनी रोटी या चावल में शुद्ध देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक(जिसमें सोडे की मिलावट न हो) गुड़ मिला लें और चने के बराबर की पांच भाग बना लें।
दूसरी तस्तरी में हवन सामग्री शांतिकुंज हरिद्वार या तपोभूमि मथुरा से मंगवायी लें। दोनों जगह की हवन सामग्री कई सारी जड़ी बूटियों का मिश्रण होती है। उसमें देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक गुड़ मिलाकर रख लें। ये मिश्रण डिब्बे में तैयार करके भी रखा जा सकता है।
एक छोटे बलिवैश्व ताम्बे के पात्र को गैस जलाकर उसके ऊपर रख दें। गर्म होने दें-
अब पहले बलिवैश्व यज्ञ निम्नलिखित मन्त्रों से घर की बनी रोटी,घी,गुड़ मिश्रित सामान से 5 आहुति अर्पण करें:-स्वाहा बोलते हुए मध्यमा, तर्जनी और अंगूठे से भोजन सामग्री बलिवैश्व पात्र में डाल दें):-
(सभी सूक्ष्म-स्थूल ब्रह्म और श्रेष्ठ जन के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं ब्रह्मणे इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल देवताओं के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं देवेभ्यः इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल ऋषियों के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं ऋषिभ्यः इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल मनुष्यों के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं नरेभ्यः इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल जीव के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं भूतेभ्यः इदं न मम
इसके बाद हवन सामग्री, गुड़, और घी मिश्रित सामग्री से 12 बार गायत्री मन्त्र की, 5 या 11 बार महामृत्युंजय मन्त्र की, एक सूर्य मन्त्र की, एक रूद्र मन्त्र की, एक लक्ष्मी मन्त्र की, एक गणेश मन्त्र की आहुति उसी बलिवैश्व पात्र में अर्पित करें। ध्यान रखें सामग्री थोड़ी थोड़ी लें, बलिवैश्व पात्र आकार में छोटा होता है।
*गायत्री मन्त्र आहुति मन्त्र*(सद्बुद्धि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं गायत्र्यै इदं न मम
*महामृत्युंजय आहुति मन्त्र*(दीर्घायु के लिए)
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, स्वाहा, इदं महामृत्यंज्याय इदं न मम।
*सूर्य गायत्री आहुति मन्त्र*(निरोगी काया के लिए)
ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सूर्याय इदं न मम
रूद्र गायत्री आहुति मन्त्र*(अनिष्ट निवारण के लिए)
ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् रुद्राय इदं न मम
*गणेश गायत्री आहुति मन्त्र*(विघ्न हरण के लिए)
ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् गणेशाय इदं न मम
*सूर्य गायत्री आहुति मन्त्र*(सौभाग्य और धन धान्य के लिए)
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सौभाग्य लक्ष्म्यै इदं न मम
ॐ शांति तीन बार बोलें।
गैस में हवन सामग्री के भष्म बनने तक जलने दें। उसके बाद गैस बन्द कर दें, भष्म/राख के ठंडे होने पर गमले में डाल दें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
ऑनलाइन बलिवैश्व पात्र, हवन सामग्री और युग़साहित्य निम्नलिखित वेबसाइट से घर बैठे मंगवाए या नजदीकी गायत्री शक्ति पीठ से प्राप्त करें।
http://www.awgpstore.com
बलिवैश्व शोध की विस्तृत जानकारी हेतु डॉक्टर रेखा से सुबह 9 से 11 के बीच उनके घर या शक्तिपीठ पर पूर्व अपॉइंटमेंट फ़ोन पर लेकर मिलें (डॉक्टर रेखा -+91 99 99 505124)
रेखा दी ने गायत्री उपासना और उपरोक्त विधि से बलिवैश्व करवा के कई परिजनों को भूत-प्रेत की परेशानी से 15 दिन में मुक्ति दिलवाई है।
*युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी* ने माँ गायत्री की 24 वर्षों तक कठोर नियम 24 लाख का अनुष्ठान किया। उन्होंने युगपीड़ा निवारण हेतु 3200 से अधिक जीवनोपयोगी युग्सहित्य का सृजन किया।जनकल्याण हेतु गायत्री उपासना और हवन विधि का सरलीकरण कर घर घर तक पहुँचाया। उन्हीं की बताई बलिवैश्व यज्ञ पर *गुरुग्राम हरियाणा की डॉक्टर रेखा जी ने अनेक शोध किये, और सेकड़ो लोगों के घर की नकारात्मक ऊर्जा को 15 दिन के निरन्तर प्रयोग में ही सफ़ल पाया*। ऐसे ही कई शोध और प्रयोग से *दिल्ली के आर के श्रीवास्तव जी, राजस्थान कोटा की रेखा पटवा जी और गाज़ियाबाद की प्रज्ञा शुक्ला जी ने सैकड़ो लोगों को लाभान्वित किया।*
*बलिवैश्व यज्ञ बहुत आसान है, नित्य किया जा सकता है।*
*बलिवैश्व यज्ञ विधि* -
दो छोटी तस्तरी लें, एक में घर की बनी रोटी या चावल में शुद्ध देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक(जिसमें सोडे की मिलावट न हो) गुड़ मिला लें और चने के बराबर की पांच भाग बना लें।
दूसरी तस्तरी में हवन सामग्री शांतिकुंज हरिद्वार या तपोभूमि मथुरा से मंगवायी लें। दोनों जगह की हवन सामग्री कई सारी जड़ी बूटियों का मिश्रण होती है। उसमें देशी गाय का घी और ऑर्गेनिक गुड़ मिलाकर रख लें। ये मिश्रण डिब्बे में तैयार करके भी रखा जा सकता है।
एक छोटे बलिवैश्व ताम्बे के पात्र को गैस जलाकर उसके ऊपर रख दें। गर्म होने दें-
अब पहले बलिवैश्व यज्ञ निम्नलिखित मन्त्रों से घर की बनी रोटी,घी,गुड़ मिश्रित सामान से 5 आहुति अर्पण करें:-स्वाहा बोलते हुए मध्यमा, तर्जनी और अंगूठे से भोजन सामग्री बलिवैश्व पात्र में डाल दें):-
(सभी सूक्ष्म-स्थूल ब्रह्म और श्रेष्ठ जन के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं ब्रह्मणे इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल देवताओं के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं देवेभ्यः इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल ऋषियों के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं ऋषिभ्यः इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल मनुष्यों के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं नरेभ्यः इदं न मम
(सभी सूक्ष्म-स्थूल जीव के शांति-तुष्टि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं भूतेभ्यः इदं न मम
इसके बाद हवन सामग्री, गुड़, और घी मिश्रित सामग्री से 12 बार गायत्री मन्त्र की, 5 या 11 बार महामृत्युंजय मन्त्र की, एक सूर्य मन्त्र की, एक रूद्र मन्त्र की, एक लक्ष्मी मन्त्र की, एक गणेश मन्त्र की आहुति उसी बलिवैश्व पात्र में अर्पित करें। ध्यान रखें सामग्री थोड़ी थोड़ी लें, बलिवैश्व पात्र आकार में छोटा होता है।
*गायत्री मन्त्र आहुति मन्त्र*(सद्बुद्धि के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्। स्वाहा, इदं गायत्र्यै इदं न मम
*महामृत्युंजय आहुति मन्त्र*(दीर्घायु के लिए)
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, स्वाहा, इदं महामृत्यंज्याय इदं न मम।
*सूर्य गायत्री आहुति मन्त्र*(निरोगी काया के लिए)
ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सूर्याय इदं न मम
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ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् रुद्राय इदं न मम
*गणेश गायत्री आहुति मन्त्र*(विघ्न हरण के लिए)
ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् गणेशाय इदं न मम
*सूर्य गायत्री आहुति मन्त्र*(सौभाग्य और धन धान्य के लिए)
ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्, स्वाहा, इदम् सौभाग्य लक्ष्म्यै इदं न मम
ॐ शांति तीन बार बोलें।
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