प्रश्न - *How to Burn out all Karma's in this life itself ???How can one shut down karma factory ??? Is it possible ???*
*क्या कर्म की फैक्ट्री बन्द करके कर्मफ़ल से बचाव सम्भव है? समस्त कर्मफ़ल इस जन्म में कैसे भष्म करें?क्या यह सम्भव है?*
😇🙏🏻कर्म किये बिना जीव नहीं रह सकता, जीवन पर्यन्त और मृत्यु के बाद भी कर्म फैक्ट्री चलती रहती है।
👉🏻उदाहरण - यदि किसी स्त्री को कुछ लड़के परेशान कर रहे हैं, तो देखकर भी आप बचाने नहीं गए, कुछ कर्म नहीं किया तो इस अकर्म का फ़ल हो गया *पाप कर्म*, और यदि बचाने गए तो इस कर्म का फ़ल हो गया *पुण्य कर्म*।
🤭करना और कुछ न करना, दोनों ही कर्म है।
हिंदी व्याकरण में पढ़ा होगा - एक वाक्य में तीन चीज़े होती हैं - कर्ता, कर्म और क्रिया
👉🏻उदाहरण - राम स्कूल जाता है। (राम - कर्ता, स्कूल- कर्म और जाना- क्रिया)
👉🏻राम स्कूल नहीं जाता है। (राम - कर्ता, स्कूल- कर्म और नहीं जाना- क्रिया)
😇कर्म से मुक्त नहीं हो सकते लेकिन कर्मफ़ल से मुक्ति सम्भव है। जब कर्ता भाव हटा दो तो कर्म फ़ल नहीं लगता।
🤠मैं शक्तिपीठ का निर्माण कर रहा हूँ। (इस वाक्य में कर्ता स्वयं को माना गया है अर्थात् इस कर्म का फ़ल कर्ता को जायेगा)
😇ईश्वर ने मुझे शक्तिपीठ निर्माण में निमित्त बनाया है।( इस वाक्य में ईश्वर कर्ता है अतः कर्मफ़ल ईश्वर को जाएगा)
🤠मैं नौकरी करने जाता हूँ, मैं अपने परिवार का पालन पोषण कर्ता हूँ।(इस वाक्य जैसा भाव होगा तो कर्मफ़ल स्वयं को लगेगा)(मान लो नौकरी पर जाते वक़्त स्वयं की गाड़ी से ग़लती से एक्सिडेंट हो गया तो कर्मफ़ल स्वयं को ही लगेगा)
😇ईश्वर ने जन्म दिया है, मुझे कुछ कार्य सौंपे हैं, जिनके तहत ईश्वर ईच्छा से नौकरी करता हूँ और परिवार का पालन पोषण करता हूँ, मैं ईश्वर का निमित्त हूँ, ईश्वर की ईच्छा पूर्ण हो।( इस वाक्य जैसा भाव होने पर किसी भी कार्य का फ़ल स्वयं पर नहीं लगेगा)(मान लो नौकरी पर जाते वक़्त स्वयं की गाड़ी से ग़लती से एक्सिडेंट हो गया तो कर्मफ़ल स्वयं पर नहीं लगेगा)क्यूंकि भाव से स्वयं हम ईश्वर के दास थे, गाड़ी का मालिक ईश्वर को बनाया हुआ था। प्रत्यक्ष संसार चाहे कुछ भी कहे, आध्यात्मिक दुनियां में स्वयं पर कोई आरोप नहीं लगेगा।
एक होता है स्वयं किसी को गिफ़्ट देना(कर्ता स्वयं) और दूसरा होता है किसी का गिफ़्ट कोरियर बॉय की तरह पहुंचाना। (कर्ता ईश्वर, हम कोरियर बॉय/पोस्टमैन जैसे निमित्त)
कर्मफ़ल से मुक्ति आसान है, स्वयं को ईश्वर का दास समझ के सभी कर्मों को ईश्वर के निमित्त बनके करो। माँ घर में कुछ भी कार्य कर रही हो लेकिन पालने में पड़े शिशु के पास ध्यानस्थ रहती है। इसी तरह संसार में कुछ भी करो पूरी तरह ध्यानस्थ ईश्वर पर रहो। ईश्वर निमित्त बनके कार्य करो।
😇🙏🏻 *ईश्वर का निमित्त बन कार्य करने से समस्त कर्मफ़ल को इस जन्म में भष्म करना सम्भव है।*
जब कर्ताभाव ही नहीं रहेगा तो त्रिविध बन्धन प्रारब्ध के(लोभ,मोह और अहंकार) का अस्तित्व ही नहीं बचेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
*क्या कर्म की फैक्ट्री बन्द करके कर्मफ़ल से बचाव सम्भव है? समस्त कर्मफ़ल इस जन्म में कैसे भष्म करें?क्या यह सम्भव है?*
😇🙏🏻कर्म किये बिना जीव नहीं रह सकता, जीवन पर्यन्त और मृत्यु के बाद भी कर्म फैक्ट्री चलती रहती है।
👉🏻उदाहरण - यदि किसी स्त्री को कुछ लड़के परेशान कर रहे हैं, तो देखकर भी आप बचाने नहीं गए, कुछ कर्म नहीं किया तो इस अकर्म का फ़ल हो गया *पाप कर्म*, और यदि बचाने गए तो इस कर्म का फ़ल हो गया *पुण्य कर्म*।
🤭करना और कुछ न करना, दोनों ही कर्म है।
हिंदी व्याकरण में पढ़ा होगा - एक वाक्य में तीन चीज़े होती हैं - कर्ता, कर्म और क्रिया
👉🏻उदाहरण - राम स्कूल जाता है। (राम - कर्ता, स्कूल- कर्म और जाना- क्रिया)
👉🏻राम स्कूल नहीं जाता है। (राम - कर्ता, स्कूल- कर्म और नहीं जाना- क्रिया)
😇कर्म से मुक्त नहीं हो सकते लेकिन कर्मफ़ल से मुक्ति सम्भव है। जब कर्ता भाव हटा दो तो कर्म फ़ल नहीं लगता।
🤠मैं शक्तिपीठ का निर्माण कर रहा हूँ। (इस वाक्य में कर्ता स्वयं को माना गया है अर्थात् इस कर्म का फ़ल कर्ता को जायेगा)
😇ईश्वर ने मुझे शक्तिपीठ निर्माण में निमित्त बनाया है।( इस वाक्य में ईश्वर कर्ता है अतः कर्मफ़ल ईश्वर को जाएगा)
🤠मैं नौकरी करने जाता हूँ, मैं अपने परिवार का पालन पोषण कर्ता हूँ।(इस वाक्य जैसा भाव होगा तो कर्मफ़ल स्वयं को लगेगा)(मान लो नौकरी पर जाते वक़्त स्वयं की गाड़ी से ग़लती से एक्सिडेंट हो गया तो कर्मफ़ल स्वयं को ही लगेगा)
😇ईश्वर ने जन्म दिया है, मुझे कुछ कार्य सौंपे हैं, जिनके तहत ईश्वर ईच्छा से नौकरी करता हूँ और परिवार का पालन पोषण करता हूँ, मैं ईश्वर का निमित्त हूँ, ईश्वर की ईच्छा पूर्ण हो।( इस वाक्य जैसा भाव होने पर किसी भी कार्य का फ़ल स्वयं पर नहीं लगेगा)(मान लो नौकरी पर जाते वक़्त स्वयं की गाड़ी से ग़लती से एक्सिडेंट हो गया तो कर्मफ़ल स्वयं पर नहीं लगेगा)क्यूंकि भाव से स्वयं हम ईश्वर के दास थे, गाड़ी का मालिक ईश्वर को बनाया हुआ था। प्रत्यक्ष संसार चाहे कुछ भी कहे, आध्यात्मिक दुनियां में स्वयं पर कोई आरोप नहीं लगेगा।
एक होता है स्वयं किसी को गिफ़्ट देना(कर्ता स्वयं) और दूसरा होता है किसी का गिफ़्ट कोरियर बॉय की तरह पहुंचाना। (कर्ता ईश्वर, हम कोरियर बॉय/पोस्टमैन जैसे निमित्त)
कर्मफ़ल से मुक्ति आसान है, स्वयं को ईश्वर का दास समझ के सभी कर्मों को ईश्वर के निमित्त बनके करो। माँ घर में कुछ भी कार्य कर रही हो लेकिन पालने में पड़े शिशु के पास ध्यानस्थ रहती है। इसी तरह संसार में कुछ भी करो पूरी तरह ध्यानस्थ ईश्वर पर रहो। ईश्वर निमित्त बनके कार्य करो।
😇🙏🏻 *ईश्वर का निमित्त बन कार्य करने से समस्त कर्मफ़ल को इस जन्म में भष्म करना सम्भव है।*
जब कर्ताभाव ही नहीं रहेगा तो त्रिविध बन्धन प्रारब्ध के(लोभ,मोह और अहंकार) का अस्तित्व ही नहीं बचेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
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