*क्या ईश्वर का अस्तित्व है?*
*ईश्वर का अस्तित्व हैं* - ठीक उसी प्रकार जैसे दूध में घी। जो दूध में दिखाई नहीं देता लेकिन धैर्य, बुद्धि और सही ढंग से प्रोसेश करने पर घी प्राप्त किया जा सकता है।
*ईश्वर का कार्य कैसे करता है?* - ईश्वर बिजली की तरह कार्य करता है, जो समस्त उपकरणों में कार्य करती है। ओवन में गर्म तो फ्रीज़ में ठण्ड, पंखे को घुमाना तो बल्ब में रौशनी देता है। जिसकी जैसी पात्रता होती है, उसके भीतर परमात्मा वैसे ही कार्य करता है। वो कण कण में है, उससे कनेक्ट होने लिए स्वयं की श्रद्धा और भावनाएं उससे जोड़नी होती है।
भगवान किसी को भी राजा और किसी को भी रंक उसके कर्मफ़ल अनुसार ही बनाता है। भगवान सर्वव्यापी और न्यायकारी है, जो जैसा कर्मबीज बोयेगा उसे वैसा ही कर्म फ़ल देता है।
*ईश्वर किस ओर देखता है* - मोमबत्ती के प्रकाश की तरह सर्वत्र देखता है। क्यूंकि वो प्रकाश स्वरूप है।
*क्या मात्र ईश्वर आराधना से संसार में सबकुछ पाया जा सकता है?* - आध्यात्मिक सफलता के लिए भी शारीरक पुरुषार्थ चाहिए, तप करने के लिए भी कष्ट सहने का पुरुषार्थ चाहिए।
फ़िर संसार तो पूर्णतया कर्मफ़ल प्रधान है। सुनहरा भविष्य दो चाबियों से खुलता है एक भाग्य(दैवीय कृपा) और दूसरा कर्म(पुरुषार्थ)। कितनी भो पूजा कर लो, बिन पढ़े सांसारिक डिग्री में पास नहीं हो सकते। कितना भी शरीर को पढ़ने में लगा लो बिना मन सधे(दैवीय कृपा के) ज्ञान ग्रहण करना सम्भव नहीं होता। तीसरा रास्ता है अदम्य दृढ संकल्प के साथ पुरुषार्थ - ताला तोड़ने का। जिससे असम्भव भी सम्भव है, भाग्य बदल सकते हो।
*ईश्वर को प्राप्त करने के उपाय* - जिस तरह गुरुग्राम से मुम्बई जाने के अनेक मार्ग है और अनेक साधन(ट्रेन, बस, प्लेन, कार,मोटर साईकिल, साईकिल, पैदल)। इसी तरह ईश्वर प्राप्ति के अनेक उपाय है।
दो मुख्य् मार्ग/तरीका है - *एक ज्ञान और दूसरा भक्ति*। उदाहरण - मान लो भगवान मुम्बई में है और साधक गुरुग्राम में। तो ज्ञान मार्ग में भगवान को मिलने साधक को गुरुग्राम से मुम्बई अपने पुरुषार्थ से जाना होगा, मार्ग की कठिनाई झेलनी होगी। भक्ति मार्ग में भगवान मुम्बई से गुरुग्राम भक्त(साधक) के पास आएगा।
*ईश्वर का नाम क्या है उसका आकार क्या है?* -
तुलसी दास जी कहते हैं - *जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखि तैसी* - भक्त के हृदय के भावना अनुसार भगवान का आकार उन्हें दीखता है।
ईश्वर का नाम भक्त अपनी भक्ति भावना से रखता है, जैसे एक निराकार आत्मा जब शरीर धारण करती है तो माता पिता उसका नाम अपनी प्रेम और भक्ति से रख देते हैं इससे उस आत्मा के अस्तित्व पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
किसी मार्ग का नेता द्वारा नाम बदलने से मार्ग नहीं बदलता। अकबर रोड को अब्दुल कलाम रोड से बदल देने से मार्ग के अस्तित्व में कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
*भगवान का इंटरनेट वर्तमान समय में wifi की तरह सर्वत्र उपलब्ध है लेकिन दिखाई नहीं देता, सही श्रद्धा-भावना रुपी पासवर्ड डालो और कनेक्ट हो जाओ।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
*ईश्वर का अस्तित्व हैं* - ठीक उसी प्रकार जैसे दूध में घी। जो दूध में दिखाई नहीं देता लेकिन धैर्य, बुद्धि और सही ढंग से प्रोसेश करने पर घी प्राप्त किया जा सकता है।
*ईश्वर का कार्य कैसे करता है?* - ईश्वर बिजली की तरह कार्य करता है, जो समस्त उपकरणों में कार्य करती है। ओवन में गर्म तो फ्रीज़ में ठण्ड, पंखे को घुमाना तो बल्ब में रौशनी देता है। जिसकी जैसी पात्रता होती है, उसके भीतर परमात्मा वैसे ही कार्य करता है। वो कण कण में है, उससे कनेक्ट होने लिए स्वयं की श्रद्धा और भावनाएं उससे जोड़नी होती है।
भगवान किसी को भी राजा और किसी को भी रंक उसके कर्मफ़ल अनुसार ही बनाता है। भगवान सर्वव्यापी और न्यायकारी है, जो जैसा कर्मबीज बोयेगा उसे वैसा ही कर्म फ़ल देता है।
*ईश्वर किस ओर देखता है* - मोमबत्ती के प्रकाश की तरह सर्वत्र देखता है। क्यूंकि वो प्रकाश स्वरूप है।
*क्या मात्र ईश्वर आराधना से संसार में सबकुछ पाया जा सकता है?* - आध्यात्मिक सफलता के लिए भी शारीरक पुरुषार्थ चाहिए, तप करने के लिए भी कष्ट सहने का पुरुषार्थ चाहिए।
फ़िर संसार तो पूर्णतया कर्मफ़ल प्रधान है। सुनहरा भविष्य दो चाबियों से खुलता है एक भाग्य(दैवीय कृपा) और दूसरा कर्म(पुरुषार्थ)। कितनी भो पूजा कर लो, बिन पढ़े सांसारिक डिग्री में पास नहीं हो सकते। कितना भी शरीर को पढ़ने में लगा लो बिना मन सधे(दैवीय कृपा के) ज्ञान ग्रहण करना सम्भव नहीं होता। तीसरा रास्ता है अदम्य दृढ संकल्प के साथ पुरुषार्थ - ताला तोड़ने का। जिससे असम्भव भी सम्भव है, भाग्य बदल सकते हो।
*ईश्वर को प्राप्त करने के उपाय* - जिस तरह गुरुग्राम से मुम्बई जाने के अनेक मार्ग है और अनेक साधन(ट्रेन, बस, प्लेन, कार,मोटर साईकिल, साईकिल, पैदल)। इसी तरह ईश्वर प्राप्ति के अनेक उपाय है।
दो मुख्य् मार्ग/तरीका है - *एक ज्ञान और दूसरा भक्ति*। उदाहरण - मान लो भगवान मुम्बई में है और साधक गुरुग्राम में। तो ज्ञान मार्ग में भगवान को मिलने साधक को गुरुग्राम से मुम्बई अपने पुरुषार्थ से जाना होगा, मार्ग की कठिनाई झेलनी होगी। भक्ति मार्ग में भगवान मुम्बई से गुरुग्राम भक्त(साधक) के पास आएगा।
*ईश्वर का नाम क्या है उसका आकार क्या है?* -
तुलसी दास जी कहते हैं - *जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखि तैसी* - भक्त के हृदय के भावना अनुसार भगवान का आकार उन्हें दीखता है।
ईश्वर का नाम भक्त अपनी भक्ति भावना से रखता है, जैसे एक निराकार आत्मा जब शरीर धारण करती है तो माता पिता उसका नाम अपनी प्रेम और भक्ति से रख देते हैं इससे उस आत्मा के अस्तित्व पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
किसी मार्ग का नेता द्वारा नाम बदलने से मार्ग नहीं बदलता। अकबर रोड को अब्दुल कलाम रोड से बदल देने से मार्ग के अस्तित्व में कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
*भगवान का इंटरनेट वर्तमान समय में wifi की तरह सर्वत्र उपलब्ध है लेकिन दिखाई नहीं देता, सही श्रद्धा-भावना रुपी पासवर्ड डालो और कनेक्ट हो जाओ।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन
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