Thursday, 28 December 2017

काउंसलिंग - *जहाँ मै जॉब करती हूँ, वहां कुछ लोग जब देखो तब अश्लील बातें बोलते हैं।

काउंसलिंग - *जहाँ मै जॉब करती हूँ, वहां कुछ लोग जब देखो तब अश्लील बातें बोलते हैं। और पार्टी में तो टीका टिप्पणी में हद ही हो जाती है। क्या करूं? ऐसी परिस्थिति को कैसे हैंडल करूँ?*

बहुत आसान है ऐसी परिस्थिति को युगऋषिगिरी से हैंडल करना। *जैसे गांधीगिरी होती है वैसे ही युगऋषिगिरी होती है* 😊😇🙏🏻।

सबसे पहले एक कहानी सुनों, *तीन ब्रह्मज्ञानी आत्मज्ञानी ऋषियों की तपस्या भँग करने हेतु* इंद्र ने उन्हें स्वर्ग की सभा में बुलाया। *बाह्य नृत्य-कृत्य-बातों से तपस्या भँग का अर्थ होता है मानसिक भावनाएं दूषित हो जाना, अन्तःकरण में विचलन होना।*

नृत्य प्रारम्भ हुआ जो वल्गर और वासनात्मक था, पहले ऋषि के मन में विकार उत्प्न्न हुआ और उसके शमन हेतु वो पुनः तपस्या हेतु चले गए। अप्सरा ने कुछ वस्त्र उतार दिए तो दूसरे ऋषि के मन में विकार उत्प्न्न हुआ वो भी उठकर चले गए। अप्सरा पूरी तरह निर्वस्त्र हो गयी लेकिन तीसरे ऋषि को कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा वो शांत बैठे रहे। फ़िर अप्सरा से कहा तुम आत्मस्वरूप हो अब यह शरीर रुपी वस्त्र का भी त्याग दो और परमात्मा में समा जाओ। *शर्म से इंद्र और अप्सरा पानी पानी हो गए और अप्सरा ने शरीर रुपी वस्त्र भी ऋषि को प्रणाम कर त्याग दिया और मुक्त हो गयी।*

जो लोग आपके समक्ष वल्गर/अभद्र बातें करते हैं, वो वास्तव में आपके अन्तःकरण में विकार उत्प्न्न कर आपकी भावनाएं दूषित करना चाहते हैं। जब आप उनके समक्ष सकुचा जाती हैं और असहज महसूस करती है, उन्हें बड़ा सुख मिलता है।

अभी तक आप दो ऋषियों की तरह पवित्र हैं, लेकिन दूसरों का कृत्य, नृत्य और बातें आपके अन्तःकरण में प्रवेश कर विकार उत्प्न्न करने में सफ़ल हो जाती है। अतः आप बैचेन हो जाते हो क्यूंकि आप श्रेष्ठ मार्ग का चयन कर चुके हो,इन सबमें आपकी रूचि नहीं है।

😊 *अब तृतीय ऋषि बनने का फ़ार्मूला, अर्थात् युगऋषिगिरी का tried and tested 100% सफ़ल फ़ार्मूला। जिसे पिछले 20 से ज्यादा वर्षों से हमने अपनाया हुआ है।* 14 वर्षों से तो मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब कर रही हूँ, इससे पहले इंस्टिट्यूट में पढ़ाती थी। और उससे पहले स्कूल में टीचर थी, स्कूल कॉलेज भी गयी ही थी।

🙏🏻तीन माला गायत्री की रोज जपो, जिससे वाणी प्रखर हो जाए और साथ ही युगऋषि की तीन पुस्तक अच्छे से और ठीक ढंग से पढ़ लो और इसके डायलॉग अच्छे से रट लो/याद कर लो 📚 *मैं क्या हूँ?* , *अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार* और *गायत्री महाविज्ञान का तीसरा भाग का पंचकोशिय साधना वाला कन्टेन्ट*

अब ऑफिस जाओ, जो बद्तमीज़ लोग हैं उनसे हाय हेलो के बाद आत्मज्ञान की हैवी बातें शुरू कर दो। उदाहरण जानते हो - आज मैंने इस वाली पुस्तक में पढ़ा क़ि हमारे शरीर का जो बाह्य हिस्सा है उसे *अन्नमय कोष कहते हैं* , इसके भीतर की दूसरी सूक्ष्म लेयर को *प्राणमय कोष* कहते हैं, तीसरी लेयर को *मनोमय कोष* कहते हैं, चौथी लेयर को *विज्ञानमय कोष* कहते हैं और अंतिम लेयर को *आनन्दमय कोष* कहते हैं। अब प्रवचन शुरू कर दो।

*वो तुम्हारे प्रवचन से पककर भाग जायेंगे। जैसे गधे के सर से सींग गायब होता है, वैसे ही तुम्हे देखके वो गायब हो जाएंगे।* 😂🤣😂🤣

किसी से बात करने से पूर्व मन ही मन गायत्री मन्त्र जपके उन लड़कों के भीतर की आत्मचेतना को प्रणाम कर लेना और हम सबको सद्बुद्धि मिले ये प्रार्थना भी जरूर कर लेना। तुम्हारी अच्छी बातें उनके अन्तःकरण में प्रवेश कर के विचलन पैदा कर देंगी। क्यूंकि उन्होंने स्वयं के लिए ग़लत मार्ग चुन रखा है अतः उन्हें सत्य ज्ञान नहीं अच्छा लगेगा।

😇कुछ नामों से तुम्हे नवाज़ा जायेगा, उदाहरण - बहनजी, पण्डित जी, सन्त जी, बोरिंग, पकाऊ इत्यादि इत्यादि। जो हम जैसे लोगों के लिए वरदान हैं।

👉🏻याद रखना - जिन लड़कियों को स्वयं के लिए हॉट, सेक्सी, सुंदरी सुनने का शौक होता है ग़लत घटनाएं उन्ही के साथ ही ज़्यादातर घटती हैं।

😇 *आत्मशक्ति से प्रदीप्त लड़की की ओर कोई आँख उठा के भी नहीं देख सकता।*

तुम्हारे ओफ़ीस में प्रमोशन कार्य से मिलेगा न क़ि वस्त्रो और फैशन से। मेहनत से काम और अपनी फिल्ड का ज्ञान तुम्हे तरक्की देगा।

 अतः शेरनी की तरह कम्पनी में कहीं भी घूमो कोई समक्ष नहीं दिखेगा। अच्छे लोग तुम्हारा सम्मान करेंगे। लोग अपनी समस्या का समाधान तुमसे पूंछेंगे। क्यूंकि सब अंदर से टूटे बिखरे और खण्डित है। थोड़ा वक़्त लगेगा लेकिन फ़िर युगऋषिगिरी तुम्हे बहुत आनन्द देगी। भूल जाओगी क़ि वल्गर/अभद्र शब्द भी दुनियां में है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इण्डिया यूथ एसोसिएशन

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