अहँकार की बीमारी,
अंतर्दृष्टि छीन लेती है,
स्वयं को परखने की,
शक्ति छीन लेती है।
महानता के व्यामोह से,
ऐसा जकड़ लेती है,
ख़ुद के गलत होने का,
अहसास नहीं देती है।
अहंकार के मकड़जाल से,
ख़ुद निकलना मुश्किल होता है,
क्यूंकि अपनी इस बीमारी का,
हमें अहसास ही नहीं होता है।
गुरुकृपा से ही,
अंहकार से मुक्ति सम्भव है,
गुरुसमर्पण और निर्मल भक्ति से,
इससे बचाव सम्भव है।
~श्वेता , DIYA
अंतर्दृष्टि छीन लेती है,
स्वयं को परखने की,
शक्ति छीन लेती है।
महानता के व्यामोह से,
ऐसा जकड़ लेती है,
ख़ुद के गलत होने का,
अहसास नहीं देती है।
अहंकार के मकड़जाल से,
ख़ुद निकलना मुश्किल होता है,
क्यूंकि अपनी इस बीमारी का,
हमें अहसास ही नहीं होता है।
गुरुकृपा से ही,
अंहकार से मुक्ति सम्भव है,
गुरुसमर्पण और निर्मल भक्ति से,
इससे बचाव सम्भव है।
~श्वेता , DIYA
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