Tuesday, 23 January 2018

इस देश का कुछ तो हो सकता है* - यदि हम सब मिलकर प्रयास करें तो.... कृपया आर्टिकल पूरा पढ़ें...

*इस देश का कुछ तो हो सकता है* - यदि हम सब मिलकर प्रयास करें तो.... कृपया आर्टिकल पूरा पढ़ें...

ऑफिस में कैफेटेरिया में चाय की चुश्कियाँ लेते हुए, देश दुनियाँ की बाते शुरू हुई। सबने बताया कि सरकार को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, कितनी सारी समस्याएं हैं इत्यादि इत्यादि, और अंत मे मोहन बोला इस देश का तो कुछ नहीं हो सकता। ईषना को छोड़कर सबने हां में हां मिलाई। व्यंग्यात्मक चुटकियां लेते हुए रवि बोला -

*रवि* - क्या हुआ ईषना तुम क्या सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही हो, जो चुप हो। क्या तुम हमसे सहमत नहीं कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता।😊😊😊

*ईषना* - भाइयों-बहनों, इस देश का कुछ तो हो सकता है यदि हम सब चाहे तो...

*रवि* - तुम कहना क्या चाहती हो? साफ साफ बोलो..

*ईषना* - देखो...हमलोग यदि गौर करे तो पिछले 15-20 मिनट की चर्चा में हम सबने यह बताया कि सरकार को देश के विकास के लिए क्या करना चाहिए...इसको क्या करना चाहिए...उसको क्या करना चाहिए...लेकिन किसी ने इस बात पर चर्चा नहीं की कि हमें स्वयं देश के समाज के उद्धार के लिए क्या करना चाहिये।

*हमारे गुरुदेव युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते है, परिवर्तन चाहते हो तो परिवर्तन का हिस्सा बनो। उसमें भागीदार बनो।*

*मोहन* - हम टैक्स तो दे रहे हैं, सरकार को वोट भी दे दिया।अब सरकार का काम है कि देश का विकास करे और समस्याओं का समाधन करे।

*ईषना* - सिर्फ़ नियमित टैक्स देने और वोट देने मात्र से हमारी जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व देश के प्रति , समाज के प्रति खत्म नहीं हो जाता। हम प्रकृति से जो ले रहे हैं तो हमें प्रकृति को भी तो वाटर टैक्स, एयर टैक्स, बादलो की सर्विस और आकाश को टैक्स इत्यादि देना होगा। तो प्रकृति को लौटाना भी तो होगा।पशु पक्षी जीव वनस्पति इन्हें भी तो टैक्स देना होगा। होटल में खाने पीने पर वैट टैक्स देते हो न...

हम सबके पास गाड़ी और घर मे AC है, कितना प्रदूषण रोज हम स्वयं कर रहे हैं। प्राणवायु ऑक्सीजन श्वांस में रोज़ लेते हुए कितना सारा कार्बनडाई ऑक्ससाइड छोड़ रहे हैं। हमारा शरीर बहुत सारी दुर्गंध, मल-मूत्र, घर के कूड़े इत्यादि के रूप में प्रकृति को नित्य दूषित कर रहे हैं।तो प्रकृति को संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती?

*मोहन* - जब सब कुछ स्वयं करना है तो फ़िर सरकार की क्या जरूरत?

*ईषना* - हमारी कम्पनी के मैनेजमेंट को सरकार समझो और जूनियर एम्प्लोयी, डेवलपर को आम जनता समझो। तो सबके सहयोग और स्वयं के कार्य करने पर कम्पनी चलेगी। इसी तरह सरकार देश का मैनेजमेंट है, नियम-कानून बनाने वाली और उसका पालन करने वाली संस्था। उनका भी कार्य करना जरूरी है और हमें भी हमारे हिस्से का कार्य करना जरूरी है। सरकार और जनता मिलकर कार्य करेंगे तब ही देश का उद्धार होगा।

कम्पनी के अंदर अच्छा या बुरा वातावरण(Work Environment)  हेतु प्रत्येक एम्प्लोयी जिम्मेदार है। कम्पनी के प्रॉफिट या लॉस में सबकी हिस्सेदारी होती है।

इसी तरह समाज अच्छा या बुरा होने में हम सबका योगदान है।

*सुनीता* - क्या हमें सरकार के दायित्वों के पालन हेतु ,उनपर दबाव बढ़ाने के लिए, सड़कों पर उतर कर  उग्र आंदोलन करना चाहिए? या शान्ति पूर्वक धरना प्रदर्शन करें।

*ईषना* - इलाज़ दवाई से भी सम्भव है और शल्यक्रिया(operation) से भी, लेकिन अच्छा डॉक्टर रोग की root analysis करके, पहले दवा देता है। जब नहीं ठीक होता तो ऑपेरशन करता है।

डॉक्टर भी ऑपेरशन हेतु चाकू उठाता है लेकिन रोगमुक्त करने के लिए, यह सकारात्मक आंदोलन हुआ।

रोगी को ही कत्ल कर देना, ये नकारात्मक आंदोलन हुआ।

इसी तरह विकृत चिंतन स्व उत्तपन्न समाजिक समस्याओं की चिकित्सा हेतु आंदोलन दो प्रकार का हो रहा है, सकारात्मक और नकारात्मक।

 आरक्षण आंदोलन और अन्य आंदोलन जिसमें हिंसा धरना प्रदर्शन हुआ ये सब नकारात्मक आंदोलन है,इससे देश का कोई भला नहीं होगा।

हम सकारात्मक आंदोलन की बात कर रहे हैं, जिसमें हम संगठित होकर देश का विकास कर सके, समाज का उपचार कर सकें। हम अपने हिस्से की जिम्मेदारी उठा सकें।हमें रोग को मिटाना है न कि रोगी को मारना है।

*रवि* - कुछ उदाहरण देकर समझाओ, क्या तुम और तुम्हारी संस्था ऐसा कुछ कर रहे हो?

*ईषना* - हाँ, गायत्री परिवार के युवा आंदोलन हेतु एक सन्गठन है जिसे डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन कहते हैं। युगऋषि आचार्य श्रीराम शर्मा जी जो कि एक  स्वतंत्रता सेनानी थे औऱ बहुत बड़े तपस्वी और समाजसुधारक थे उनसे प्रेरणा लेकर पूर्व राष्ट्रपति माननीय अब्दुल कलाम और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के चांसलर श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पंड्या जी ने इसको यह नाम दिया था। जैसा कि हम सब जानते हैं युवा की भागीदारी के बिना देश का विकास असम्भव है।

*मोहन* - तुम्हारी संस्था द्वारा किये जा रहे कुछ initiative के बारे में बताओ।

*ईषना* - हम लोग तीन लेवल पर युग निर्माण और समाज के उद्धार हेतु काम कर रहे हैं:-

1-प्रचारात्मक 2-रचनात्मक 3-संघर्षात्मक

समस्या की जड़ विकृत और स्वार्थ केंद्रित सोच है, इसलिए लोगों के विकृत चरित्र-चिंतन-व्यवहार में सुधार के लिए, उनके शारीरिक-मानसिक-आध्यात्मिक विकास और स्वास्थ्य के लिए उन्हें जप-ध्यान-स्वाध्याय-योग-प्राणायाम से जोड़ रहे हैं। ये सब फ्री सिखाते हैं।

पर्यावरण-और मानव समाज को शुद्ध और स्वस्थ करने के लिए, Environmental healing करने के लिए विभिन्न औषधीयों से युक्त और गाय के घी से उन्हें घर पर यज्ञ करना सीखा रहे है, और सामूहिक अश्वमेध यज्ञ, छोटे बड़े यज्ञों की सृंखला के माध्यम से पर्यावरण के उपचार हेतु, संशोधन हेतु प्रयास कर रहे है। दवा और इंजेक्शन से कुछ व्यक्ति को स्वस्थ कर सकते हैं, लेकिन औषधि को यज्ञ में वायुभूत करके इंसानों के साथ वृक्ष - वनस्पति को भी स्वास्थ्य प्रदान कर सकते हैं।

180 से ज्यादा पहाड़ियों को हमारे स्वयं सेवियों ने वृक्ष गंगा अभियान के तहत हराभरा कर दिया है, देश की पांच बड़ी नदियों जिनमें गंगा और नर्मदा शामिल है उनकी सफाई अभियान चल रहा है। स्वच्छता अभियान में हम सरकार के पार्टनर हैं। महिला शशक्तिकरण, गर्भ सँस्कार, बाल सँस्कार शाला, युवा अभ्युदय इत्यादि पर काम कर रहे हैं। कॉरपोरेट स्कूल कॉलेज इत्यादि जगहों में वर्कशॉप देकर उन्हें प्रतिभा परिष्कार, स्ट्रेस मैनेजमेंट, जीवन प्रबंधन इत्यादि सीखा रहे हैं।

नशा, व्यसन, भौंडे फैशन, कुरीतियों, ख़र्चीली शादी, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध जनजागृति करने हेतु अभियान चला रखा है।

*मोहन* - दिल्ली एनसीआर में हम भी जुड़ना चाहेंगे, मैं गरीबो के लिए कुछ करना चाहता हूँ।

*ईषना* - तो तुम कई जगहों और झुग्गी में चल रही गरीब बच्चों की बाल सँस्कार शाला में समयदान और अंशदान करो।

*रवि* - स्कूलों और युवाओं के लिए मैं कुछ करना चाहता हूँ।

*ईषना* - तुम नशा उन्मूलन और व्यसन मुक्ति अभियान में साथ दो, उनकी Skill Refinement, Art of living और Life Management में मदद कर सकते हो। प्रोजेक्ट दृष्टिकोण में कार्य कर सकते हो, उनमे राष्ट्र चरित्र गढ़ सकते हैं।

*महेश* - ईषना मैं Environment healing और यग्योपैथी में काम करना चाहता हूँ। वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान में जुड़ना चाहते हैं।

*ईषना* - हम सब कुछ न कुछ तो कर ही सकते हैं।

देखो जो संकल्प आज राष्ट्र सेवा के उभरें है, वो स्थायी रहें इसके लिए हम सब लोगों को उपासना-साधना-आराधना से जुड़ना होगा।ये ईंधन है, एनर्जी स्त्रोत है। 15 मिनट मन्त्र जप, ध्यान नियमित करो और रोज दिन में कभी भी अखण्डज्योति का नियमित एक आर्टिकल पढ़ना होगा। इससे ये शुभ संकल्प हमारे मन मे बने रहेंगे और हम सब मिलकर देश के लिए कुछ तो कर सकते हैं, यह भाव बनेगा और आचरण में उतरेगा।

(सब साथ मे मिलकर बोले, हाँ यदि हम सब मिलकर प्रयास करें तो इस देश का कुछ तो हो सकता है। सब मुस्कुरा दिए)

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