Wednesday, 24 January 2018

महिला सशक्तिकरण अभियान*

*महिला सशक्तिकरण अभियान*

एक समाजसेवी सन्गठन में मीटिंग हुई, चर्चा का विषय था कि हम लोग महिलाशशक्तिरण के लिए कुछ करना चाहते हैं।

*रवि* - मेरे ख़्याल से स्वावलम्बन उद्योग महिलाओं के लिए शुरू करते हैं।

*सुनीता* - स्कूल की लड़कियों को आत्मरक्षा के गुण सिखाते हैं।

*मनीत* - महिलाओ को कानून का ज्ञान देते हैं, कि किन कानून और अधिकार उनके पास है।

*शिखा* - उन्हें बैंक, स्कूल और बाहर के काम सिखाते हैं।

*तृप्ति* - उनके लिए लोकल महिला आयोग बनाते हैं जहाँ उनकी समस्या का समाधान उन्हें बताते है। जरूरतमंद महिलाओं की मदद करते हैं।

*ईषना* - आप सबके सुझाव अच्छे हैं, और जरूरी भी है, लेकिन ये बीमारी के बाद की मरहम पट्टी वाले उपचार है।

*प्रज्ञा* - मैं ईषना से सहमत हूँ, जिस प्रकार इन उपायों की पुरुष समाज को जरूरत नहीं पड़ती। वैसा ही कुछ स्त्री के लिए होना चाहिए जिससे वो स्वयं को पुरूष के समान ही महत्त्वपूर्ण समझे।

*ऋत्विज* - मैंने गायत्री परिवार की छपी कुछ पुस्तकें पढ़ी हैं। जिनमें भगवती देवी शर्मा ने लिखा है, भूलवश मानव आर्थिक संपन्नता या कमाने की योग्यता को नारी जागरण समझता है। ये आंशिक जागरण है।

*ईषना* - जिस प्रकार अस्पताल जरूरी हैं, वैसे ही आप सबके सुझाव अनुसार कार्य जरूरी है। लोग रोगी न हों और इम्युनिटी बढ़े इसके प्रयास पहले जरूरी हैं।

 लेकिन जैसा की माता भगवती और युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने कहा है, स्त्रियों में आत्मविश्वास जगाना पहले ज़रूरी है।

यदि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी है तो घर से बाहर जाकर कमाने की आवश्यकता नहीं है।

घर सम्हालना और बच्चों की परवरिश किसी बड़ी जॉब से कम नहीँ है।

लेकिन स्त्री घर सम्हालने की जॉब करे या बाहर करे, उसे स्वयं पर पूर्ण विस्वास होना चाहिए। स्वयं के स्त्री शरीर और स्त्री की पहचान पर गर्व होना चाहिए।

तो स्त्री को विचारक्रांति-जनजागृति द्वारा पहले उसके अस्तित्व से पहचान और आत्मविश्वास जगाने की आवश्यकता है।

*प्रज्ञा* - स्त्रियों को संगठित करने और उनके सन्गठन की आवश्यकता है, जिनमें वो सप्ताह में कम से कम से कम एक बार मिले। स्वाध्याय सत्संग के साथ एक दूसरे को मोटिवेट करें। अपने अपने हुनर की पहचान कर उसे आगे बढ़ाएं। सन्गठन की प्रबुद्ध पढ़ी लिखी स्त्रियां या बाहर से किसी को बुलाकर वर्तमान चुनौतियों का कैसे सामना करें उन्हें सिखाये।

*ऋत्विज* - वो आत्मनिर्भर बने,इसके लिए बैंक के कार्य, स्कूल के कार्य इत्यादि सिखाये।

*तृप्ति* - उन्हें कानून और अधिकार का ज्ञान दें, ताकि कोई उन्हें धोखा न दे पाये।

*रवि* - स्वरोजगार के अवसर तलाश कर उनकी मदद करना होगा जो ये करना चाहें।

*प्रज्ञा* - घर के बच्चों के सामने भाइयों को अपनी पत्नी को कुछ भी ऊंची आवाज में कहने से मना करना है। जिससे बच्चे मां की पिता के समान इज्जत करें। एक दूसरे के कार्य क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप न करें।

एकांत में पति-पत्नी डिसकस करें।

*ईषना* - महिलाएं अपने बच्चों को अच्छे संस्कार गर्भ से ही प्रदान करें। क्योंकि मां का प्रभाव ज्यादा होता है। माँ के विचार और मानसिकता वो सांचा हैं जिनमें देश के भविष्य गढ़े जाते हैं। ये हमारी आधी आबादी है, इनके एक्टिव पार्टिसिपेशन के बिना देश का विकास असम्भव है।

*ईषना* -एक काम करते हैं, शांतिकुंज में महिलाशशक्तिरण की वर्कशॉप फ्री है।मैं शिविर विभाग मे बात कर उनका अपॉइन्मेंट ले लेती हूँ। या तो हम लोग वहां चलते हैं, या उनको यहां बुलाकर ट्रेनिंग लेते हैं। और इस अभियान को व्यवस्थित तरीके से गति देते हैं।

(हां, ये सही रहेगा। इस अभियान को जड़ से समझकर इस पर व्यवस्थित काम करते हैं। तृप्ति ने ईषना से कहा, धन्यवाद ईषना मुझे सचमुच बहुत अच्छा लगा तुम्हारी बाते सुनकर। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि आपसब इस नेक कार्य के सहयोगी हैं)

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