युग सृजन का संकल्प लेकर,
प्रज्ञावतार धरा पर आए,
भाव सम्वेदना का कमण्डल लेकर,
मां सजल श्रद्धा साथ आईं।
विकृत चिंतन से उपजी समस्या को,
सद्चिन्तन दे दूर भगाया,
स्वार्थ पूरित दुश्चिंतन को,
परमार्थ भाव से पूर्ण मिटाया।
ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल,
घर घर में अंधकार मिटाए,
नंन्हे नंन्हे सृजन सैनिक,
सर्वत्र दीप बन जगमगाये।
विचारक्रांति की नींव पर,
युगनिर्माण की योजना बनाई,
युगसाहित्य विस्तार से,
सोई जन चेतना जगाई।
हे महाकाल! हे आद्यशक्ति,
तुम ही ऋषि युग्म बन धरा पर आए,
तीनों लोकों को शोकमुक्त करने,
मानव रूप में लीला रचाये।
धन्य धन्य हैं भाग्य हमारे,
साक्षात महाकाल गुरु हमारे,
शिव शक्ति के रूप में,
नित दर्शन होते हमें तुम्हारे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
प्रज्ञावतार धरा पर आए,
भाव सम्वेदना का कमण्डल लेकर,
मां सजल श्रद्धा साथ आईं।
विकृत चिंतन से उपजी समस्या को,
सद्चिन्तन दे दूर भगाया,
स्वार्थ पूरित दुश्चिंतन को,
परमार्थ भाव से पूर्ण मिटाया।
ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल,
घर घर में अंधकार मिटाए,
नंन्हे नंन्हे सृजन सैनिक,
सर्वत्र दीप बन जगमगाये।
विचारक्रांति की नींव पर,
युगनिर्माण की योजना बनाई,
युगसाहित्य विस्तार से,
सोई जन चेतना जगाई।
हे महाकाल! हे आद्यशक्ति,
तुम ही ऋषि युग्म बन धरा पर आए,
तीनों लोकों को शोकमुक्त करने,
मानव रूप में लीला रचाये।
धन्य धन्य हैं भाग्य हमारे,
साक्षात महाकाल गुरु हमारे,
शिव शक्ति के रूप में,
नित दर्शन होते हमें तुम्हारे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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