*पांच चरणों मे स्वयं की चिकित्सा पद्धति(मन्त्र उपचार और ध्यान, सूर्योपासना, यग्योपैथी, तुलसी चिकित्सा, पुस्तक - "तत्सवितुर्वरेण्यं" का स्वाध्याय)*
*सूर्य विज्ञान और सूर्योपासना रोगनिवारण हेतु का एक प्रयोग जो मैंने प्रज्ञा शुक्ला दी के कहने पर किया था*, आप भी किसी भी चर्म रोग या शारीरिक या मानसिक रोग से मुक्ति हेतु कर सकते हैं:-
*रोग* - दोनों हाथों में न जाने किस चीज़ के कारण नंन्हे नन्हे दाने निकल आये थे। साबुन सर्फ़ या नमक लगने पर पीड़ा देते थे। चम्मच से भोजन करना पड़ता था। गांव के डॉक्टर ने ऐलर्जी बताई थी,दवा से आराम नहीं मिल रहा था।
*रविवार* - पांच रविवार साधना का संकल्प लिया, पूरे दिन श्वेत वस्त्र पहना, सफेद चीज़े जैसे दूध छाछ दही, सफ़ेद फ़ल जैसे केला खाया, रात को एक वक्त अन्नाहार में सफ़ेद चावल और दूध से खाया। किसी भी अन्य रंग का प्रयोग नहीं किया। यह साधना पीले वस्त्र से की जा सकती है , पिला रंग का आहार बनाने हेतु हल्दी प्रयोग में लें।
सुबह स्नान के बाद श्वेत या पीले वस्त्र पहन के सूर्योदय से पूर्व छत पर, कम्बल का आसन लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। दस माला गायत्री की और एक माला सूर्य गायत्री की और एक माला महामृत्युंजय की जपें। सूर्य की प्रथम किरण को अपने पुरे शरीर पर पड़ने दें। भावना करें सूर्य भगवान चिकित्सक हैं और हम मरीज़। उनसे रोग मुक्ति हेतु प्रार्थना कर रहे हैं और वो हमें रोग मुक्त कर रहे हैं। मन्त्र के बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
यदि यज्ञ अवश्य करें, 24 गायत्री मंत्र, 5 सूर्य गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र की आहुति दें। हमने यज्ञ में शांतिकुंज की हवन सामग्री और गाय के घी का ही उपयोग किया था।
यज्ञ के पश्चात तुलसी माता और सूर्य से प्रार्थना करें कि मां हमें यह बीमारी है इसकी दवा बना दीजिये। हम कल सोमवार की सुबह आपसे दवा लेने आएंगे। सूर्य भगवान से प्रार्थना कीजिये कि अपनी दवा भी मां तुलसी को दे दें, जिससे कल हम उनसे दवा ले लें।
सोमवार की सुबह , स्नान करके मां तुलसी से दवा की प्रार्थना करें। फ़िर कुछ पत्ते तुलसी दल के तोड़ लें।
दो से तीन पत्ता सुबह, शाम और दोपहर पानी से गटक लें। और कुछ पत्तो को मसल के हाथों में और रोग की जगह लगा लें।
ठीक तो जल्दी हो जाएंगे लेकिन, संकल्पानुसार 5 रविवार सूर्योपासना और सोमवार को दवा खाने का क्रम बनाये रखना होगा।
हमने तो एलोपैथी बन्द कर दी थी। लेकिन यदि आप चाहें तो जारी रख सकते है उपचार के दौरान।
इस पद्धति से चर्म रोग और मानसिक अवसाद आसानी से पांच लेयर ट्रीटमेंट - गायत्री मंत्र उपचार और ध्यान, सूर्योपासना, यग्योपैथी और तुलसी चिकित्सा, पुस्तक - "तत्सवितुर्वरेण्यं" का स्वाध्याय से होती है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*सूर्य विज्ञान और सूर्योपासना रोगनिवारण हेतु का एक प्रयोग जो मैंने प्रज्ञा शुक्ला दी के कहने पर किया था*, आप भी किसी भी चर्म रोग या शारीरिक या मानसिक रोग से मुक्ति हेतु कर सकते हैं:-
*रोग* - दोनों हाथों में न जाने किस चीज़ के कारण नंन्हे नन्हे दाने निकल आये थे। साबुन सर्फ़ या नमक लगने पर पीड़ा देते थे। चम्मच से भोजन करना पड़ता था। गांव के डॉक्टर ने ऐलर्जी बताई थी,दवा से आराम नहीं मिल रहा था।
*रविवार* - पांच रविवार साधना का संकल्प लिया, पूरे दिन श्वेत वस्त्र पहना, सफेद चीज़े जैसे दूध छाछ दही, सफ़ेद फ़ल जैसे केला खाया, रात को एक वक्त अन्नाहार में सफ़ेद चावल और दूध से खाया। किसी भी अन्य रंग का प्रयोग नहीं किया। यह साधना पीले वस्त्र से की जा सकती है , पिला रंग का आहार बनाने हेतु हल्दी प्रयोग में लें।
सुबह स्नान के बाद श्वेत या पीले वस्त्र पहन के सूर्योदय से पूर्व छत पर, कम्बल का आसन लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। दस माला गायत्री की और एक माला सूर्य गायत्री की और एक माला महामृत्युंजय की जपें। सूर्य की प्रथम किरण को अपने पुरे शरीर पर पड़ने दें। भावना करें सूर्य भगवान चिकित्सक हैं और हम मरीज़। उनसे रोग मुक्ति हेतु प्रार्थना कर रहे हैं और वो हमें रोग मुक्त कर रहे हैं। मन्त्र के बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
यदि यज्ञ अवश्य करें, 24 गायत्री मंत्र, 5 सूर्य गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र की आहुति दें। हमने यज्ञ में शांतिकुंज की हवन सामग्री और गाय के घी का ही उपयोग किया था।
यज्ञ के पश्चात तुलसी माता और सूर्य से प्रार्थना करें कि मां हमें यह बीमारी है इसकी दवा बना दीजिये। हम कल सोमवार की सुबह आपसे दवा लेने आएंगे। सूर्य भगवान से प्रार्थना कीजिये कि अपनी दवा भी मां तुलसी को दे दें, जिससे कल हम उनसे दवा ले लें।
सोमवार की सुबह , स्नान करके मां तुलसी से दवा की प्रार्थना करें। फ़िर कुछ पत्ते तुलसी दल के तोड़ लें।
दो से तीन पत्ता सुबह, शाम और दोपहर पानी से गटक लें। और कुछ पत्तो को मसल के हाथों में और रोग की जगह लगा लें।
ठीक तो जल्दी हो जाएंगे लेकिन, संकल्पानुसार 5 रविवार सूर्योपासना और सोमवार को दवा खाने का क्रम बनाये रखना होगा।
हमने तो एलोपैथी बन्द कर दी थी। लेकिन यदि आप चाहें तो जारी रख सकते है उपचार के दौरान।
इस पद्धति से चर्म रोग और मानसिक अवसाद आसानी से पांच लेयर ट्रीटमेंट - गायत्री मंत्र उपचार और ध्यान, सूर्योपासना, यग्योपैथी और तुलसी चिकित्सा, पुस्तक - "तत्सवितुर्वरेण्यं" का स्वाध्याय से होती है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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