✨ चन्द्रग्रहण में गायत्री मन्त्र जप, लेखन और ध्यान के लाभ✨
👉 31-Jan-2018 बुधवार भारत में ग्रहण का समय : भूभाग में ग्रहण प्रारम्भ - शाम 5:55 PM, समाप्त - रात 8:41 PM तक ।
वेध (सूतक) – सुबह 8-15 AM से चालु है । अशक्त, वृद्ध, बालक, गर्भिणी तथा रोगी के लिए सुबह 12 बजे से वेध (सूतक) चालु है ।
👉चंद्रग्रहण के सन्दर्भ मे आध्यात्मिक दृष्टिकोण :-
🙏 भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं : ‘सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है । यदि गंगा घाट पर या गंगा-जल पास में रख के मौन मानसिक गायत्री जप और गायत्री मन्त्र लेखन हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड गुना फलदायी होता है ।’
👉 ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है । मौन मानसिक गायत्री मन्त्र जप ग्रहण के समय करने से सिद्ध होता है और ग्रहण के कुप्रभाव से घर परिवार की रक्षा करता है। स्थूल पूजन भगवान को स्पर्श करके, या कोई भी स्थूल क्रिया यज्ञ, चंदन पुष्प इत्यादि नहीं चढ़ाना चाहिए, न ही ईश्वर की प्रतिमा का स्पर्श करना चाहिए| जप भी मौन मानसिक होता है| किन्तु बिना मंत्र उच्चारण किये मन में जपते हुए मंत्र लेखन किया जा सकता है |
👉 ‘देवी भागवत’ में आता है : ‘सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करनेवाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है । फिर वह उदर-रोग से पीड़ित मनुष्य होता है । फिर गुल्मरोगी, काना और दंतहीन होता है ।
👉 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । जबकि पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।
👉ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए और तुलसी औ गंगा जल पूरे घर में छिड़कना चाहिए।
👉 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्र और उनकी आवश्यक वस्तु दान करने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।
👉ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।
👉ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीडा, स्त्री-प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढी होता है । गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए ।
👉चंद्रग्रहण के सन्दर्भ में वैज्ञानिक दृष्टिकोण:--
👉वहीँ वैज्ञानिकों कि राय में चन्द्र ग्रहण का लग्न एक सामान्य खगोलिक घटना है..और इसका किसी भी तरह मानव जीवन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता…कोई खास आँखों पर भी इसका प्रभाव नहीं पड़ता है, और ना ही कोई खास रेडियेशन का दुष्प्रभाव ही चन्द्र ग्रहण के दौरान पड़ता है..चन्द्र ग्रहण का सिर्फ चुम्बकीय प्रभाव ही पड़ता है कुछ कम्पन और विकिरण स्वीकार किया है…चन्द्र ग्रहण के बारे में जानकारों ने बताया कि चाँद बीच में आता है.यानि कि सूरज चंद्रमा और पृथ्वी के बीच में आता है..इस वजह से चन्द्र ग्रहण होता है |
उपरोक्त जानकारी विभिन्न पुस्तकोँ और वेबसाइट के आधार पर दी गयी है। कोई यदि कोई असहमत है तो अपना मत रख सकता है।
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