*अगरबत्ती का उद्भव और इतिहास*
बांस जलाने पर पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) निकलता है, जो अत्यंत हानिकारक होता है।
लेकिन औषधि लपेटकर जलाने पर इसका हानिकारक प्रभाव कम हो जाता है और दुर्गंध का नाश करता है। कब्र पूजन में धूप और अगरबत्ती अनिवार्य है।
इतिहासकारों की माने तो सर्वप्रथम अगरबत्ती का प्रयोग यवनों ने सैनिकों की कब्रों पर किया गया , क्योंकि बरसात के मौसम में मिट्टी के अंदर सड़ती लाशों की दुर्गंध बाहर आने से आसपास के लोगों का रहना दूभर हो जाता था। इस समस्या से निज़ात के लिए कब्र पर अगरबत्ती जलाने का क्रम शुरू हुआ।
क्योंकि बांस की तिलियां आसानी से उपलब्ध होती थी, इसलिए इनका उपयोग सर्वाधिक हुआ।
हिन्दू भारतीय संस्कृति में बांस जलाना वर्जित है, यहां तक कि चिता तक मे वर्जित है।
बांस जलाने पर पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) निकलता है, जो अत्यंत हानिकारक होता है।
लेकिन औषधि लपेटकर जलाने पर इसका हानिकारक प्रभाव कम हो जाता है और दुर्गंध का नाश करता है। कब्र पूजन में धूप और अगरबत्ती अनिवार्य है।
इतिहासकारों की माने तो सर्वप्रथम अगरबत्ती का प्रयोग यवनों ने सैनिकों की कब्रों पर किया गया , क्योंकि बरसात के मौसम में मिट्टी के अंदर सड़ती लाशों की दुर्गंध बाहर आने से आसपास के लोगों का रहना दूभर हो जाता था। इस समस्या से निज़ात के लिए कब्र पर अगरबत्ती जलाने का क्रम शुरू हुआ।
क्योंकि बांस की तिलियां आसानी से उपलब्ध होती थी, इसलिए इनका उपयोग सर्वाधिक हुआ।
हिन्दू भारतीय संस्कृति में बांस जलाना वर्जित है, यहां तक कि चिता तक मे वर्जित है।
No comments:
Post a Comment