Tuesday 6 February 2018

नशाउन्मूलन - नुक्कड़ नाटक

*नशाउन्मूलन - नुक्कड़ नाटक*

अट्टहास गूंजता है, नषासुर दैत्य अपनी सभा में अट्टहास करता है।

*नषासुर* - कहो, मेरे सैनिकों अपना साम्राज्य धरती में कहां कहां तक फ़ैल गया।

(एक कुरूप राक्षस)
*तम्बाकूसुर* - महाराज, आपकी जय हो। आज तक जितने असुर इस दुनियां में हुए हैं उदाहरण रावण,कंस,महिषासुर इत्यादि उन्होंने जितनी तबाही नहीं मचाई उससे ज्यादा तबाही और राज्य विस्तार हमने किया है महाराज। तम्बाकू प्रोडक्ट ने अधिकांश मानवों के मन मष्तिष्क पर कब्ज़ा करने उनके भले-बुरे की सोचने शक्ति नष्ट कर दी है। स्वयं के ही दुश्मन बनकर कैंसर जैसी अनेक प्रकार की महामारियों में सड़ सड़ कर मर रहे हैं।

(एक कुरूप राक्षसी बीड़ी)
*बीड़ी* - महाराज मेरा सम्राज्य गांवों कस्बों में है। लेकिन मेरी खूबसूरत स्मार्ट ज़हरीले भाई सिगरेट ने शहरों में कॉरपोरेट और अमीरों के शरीरों को बर्बाद करने में सफलता पाई है।

(स्मार्ट राक्षस - सिगरेट)
*सिगरेट* - जी सरकार मैंने युवाओं को दिग्भर्मित करने में बड़ी सफलता पाई है। उनके फेफड़ो को सड़ाने में तम्बाकू के साथ बहन ड्रग्स भी मेरा सहयोग कर रही हैं। बहन ड्रग्स की खूबसूरती और विष का प्रभाव मुझसे ज्यादा असरकारक है।

(ड्रग्स कन्या एटीट्यूड दिखाते हुए व्यग्य केसाथ, नागिन की वेशभूषा में)

*ड्रग्स* - महाराज नशासुर की जय हो, मैंने मानवसमाज की नई पीढ़ी कुंठित और बर्बाद करने में सबसे ज़्यादा सफलता पाई है।मेरी लत इतनी भयानक है और साथ ही मैं बहुत महंगी हूँ। अतः शरीर और मन सड़ाने के साथ साथ उनके चरित्र को भी सड़ा देती हूँ। उन्हें चोर-व्यभिचारी बना के अन्य कुकर्मो में लिप्त कर देती हूँ। उनका परिवार नष्ट कर उन्हें पूर्ण तबाह कर अपाहिज़ बना देती हूँ। दो ही मार्ग उनके पास बचते है आत्महत्या या पागल बन भटकना। अट्टहास
ड्रग्स करती है। मुझसे श्रेष्ठ कोई नहीं।

(सभी राक्षस अट्टहास करते हैं)

(तभी शराब का प्रवेश बोतल की वेशभूषा में होता है, अट्टहास करते हुए, सभी उसके सम्मान में खड़े होते हैं,महारानी शराब की जय हो, और वो नरकासुर के बगल में एटीट्यूड दिखाते हुए बैठती है)

*शराब* - मुझसे ज़्यादा साम्राज्य और मुझसे ज़्यादा बर्बादी कोई नहीं फैला सकता।

सड़े पदार्थो से मैं बनती हूँ,
गांव हो या शहर,
हर जगह बिकती हूँ,
मुझसे ज़्यादा तबाही,
और कोई कर सकता नहीं,
में तो फ़िल्मों के माध्यम से,
अपना विज्ञापन करती हूँ।
फ़िल्म और टीवी इंडस्ट्री मेरी है ग़ुलाम,
जो मुझे पीता वो हो जाता है बदनाम।
कोई फ़िल्म मेरे बिना नहीं बनती,
पढ़े लिखे मूर्खो के हाथों में मैं सजती,
मैं भीतर ही भीतर,
 इंसान को खोखला बनाती हूँ,
पीने वालों से गाड़ी चलवा के,
 बेगुनाहों को मरवाती हूँ,
तबाही तबाही तबाही,
सर्वत्र है तबाही।
अट्टहास अट्टहास

(सब शराब महारानी की जय बोलते हैं, इतने में मंत्री को चिंतित होते देख नषासुर पूंछता है। मंत्री जी क्या हुआ?)

*मंत्री* - महाराज सर्वत्र हमारा साम्राज्य है। लेकिन खबर पक्की है कि प्रज्ञावतार ने जन्मलिया और हमारे विरुद्ध युग सृजन सैनिक खड़े कर दिए हैं। चलिए आपको दिखाता हूँ कि कैसे ये सर्वत्र हमारा साम्राज्य तबाह कर रहे हैं।
(वो आकाश मार्ग से सबको धरती का दृश्य दिखाता है, सब चिंतित हो देखते हैं)

देखिए महाराज, सृजन सैनिक जगह जगह विचारक्रांति कर रहे हैं, सत्साहित्य पढ़वा के लोगों की बुद्धि शुद्ध कर रहे हैं।
जगह जगह नशामुक्ति अभियान चला रहे हैं, लोगों को साधक बना रहे हैं। घर में बलिवैश्व यज्ञ करवा रहे हैं।सामूहिक यज्ञ परम्परा चलाकर दूषित वातावरण शुद्ध कर रहे हैं। समूह साधनाएं कर रह हैं।

देखिए नशामुक्त भारत अभियान चला रहे हैं, यह हमें जल्द ही समाप्त कर देंगें। अगर जनता प्रसाशन इनका सहयोग करेंगे तो हम समाप्त हो जाएंगे महाराज।

*शराब* - चिंता मत करो, आधुनिकता का अंधानुकरण और फ़िल्म इंडस्ट्री जब तक हमारे साथ है, कॉरपोरेट पार्टी, हाई फाई सोसायटी, ठेकेदार और लोभी नेतागण हमारे साथ है यह तबाही का मंजर चालू रहेगा।

*मंत्री* - वो तो ठीक है, लेकिन हमें कुछ और ठोस कदम उठाने होंगे।

यदि यज्ञ और गायत्री पर रोक नहीं लगा , तो ये प्रज्ञावतार युगऋशि सृजन सैनिक सूक्ष्म संषोधित करके हमें, जड़ से समाप्त कर देंगे। लोग यदि साधक बन गए, स्वाध्याय करने लगे तो फ़िल्म के विज्ञापन उनपर असर नहीं करेंगे। ऋषि परम्परा स्थापित हुई तो पाश्चत्य का अंधानुकरण बन्द हो जाएगा। घर में अच्छे संस्कारो की पुनः स्थापना हुई तो चारित्रिक दृढ़ता वाले श्रेष्ठ नागरिक जन्मेंगे, तो इन्हें पथ भ्रष्ट करना मुश्किल हो जाएगा।

(सबकी हंसी गायब हो जाती है, और वो विचार विमर्श में डूब जाते हैं)


(कुछ दृश्य - गायत्री परिवार सृजन सैनिक द्वारा ऋषि परम्परा के पुनर्जागरण का)

*यज्ञ में औषधियों और देशी घी की आहुति, मंत्रोच्चार के साथ* युगसृजन सैनिक करते हैं जिससे नशे के धुएं पर्यावरण के नष्ट हो रहे हैं।बच्चो का गर्भ से सँस्कार हो रहा है। विभिन्न सँस्कार के दृश्य। विभिन्न आंदोलन के दृश्य। स्वाध्याय के दृश्य।

इधर *हम सुधरेंगे युग सुधरेगा के नारों* और *गायत्री मंत्र* ध्वनि से पृथ्वी माता ख़ुश हो जाती हैं।

🙏🏻गायत्री परिवार नशाउन्मूलन - व्यसनमुक्ति आंदोलन में जुड़ने केलिए आपका आह्वाहन करता है🙏🏻

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...