Wednesday, 7 February 2018

अच्छे कर्म करो....तारीफ़ मिले या न मिले परवाह मत करो

*अच्छे कर्म करो....तारीफ़ मिले या न मिले परवाह मत करो*

सूरज-चांद कभी निकलता नहीं,
किसी की तारीफ़ सुनने के लिए,
कोई सोए या कोई जागे,
कोई उन्हें देखे या न देखे
सूरज-चांद तो निकलते हैं,
जहान रौशन करने के लिए।

इसीतरह...
जब भी कुछ करो,
किसी की तारीफ़ के चक्कर में मत पड़ो,
रोज़ कुछ बेहतर करो,
स्वयं को रोज उत्साह से भरो।

पुष्प की तरह कर्मों की सुगंध फैलने दो,
तुम तो सिर्फ़ कर्म करने में व्यस्त रहो,
दिए की तरह कर्म के प्रकाश को बोलने दो,
तुम तो सिर्फ़ अनवरत कर्म करते रहो।

वो करो जिससे तुम प्रेम करते हो,
या जो कर रहे हो उससे ही प्रेम करो,
जो भी करो शानदार मन लगाके करो,
रोज सफ़लता के नित नए मुक़ाम गढ़ो।

ख़ुद से ही रेस लगाओ,
ख़ुद से ही तुलना करो,
कल जितना बेहतर थे,
उससे कुछ और ज्यादा,
आज बेहतर बनो।

सफ़लता - असफ़लता की परवाह मत करो,
तुम तो बस अनवरत चलो,
कुछ न कुछ बेहतर जिंदगी में कर ही लोगे,
बस इस आत्मविश्वास से अनवरत कर्म करो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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