*वेलेंटाइन - सेलेब्रेशन*
प्रेम बिना बन्धन और जिम्मेदारी का,
मौज मस्ती और पार्टी बिना जानकारी का।
हम वेलेंटाइन के विरोध में नहीं है, लेकिन इसके परिणाम से चिंतित जरूर है।
भारतीय लड़कियां विदेशों की तरह सुरक्षित नहीं है, न ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा, अधिकार और सम्मान विदेशों की तरह प्राप्त है।
नकल + अक्ल = सफ़ल
एक लड़की की लिव इन रिलेशनशिप और कुँवारी मां बनना विदेशों में सामाजिक रूप से स्वीकार्य है। लेकिन भारत मे मान्यता है ही नहीं। तो विदेशों में लड़कियां कुँवारी मां बनने पर गर्भपात नहीं करवाती, और दूसरा और तीसरा जीवनसाथी प्राप्त करने में उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होती। अनन्त रिश्ते जीवन के किसी भी उम्र में बनाना सम्भव है।
भारतीय पाश्चत्य प्रभावित मॉडर्न लड़के, धोबी के कुत्तों की तरह न घर के होते हैं न घाट के। दूसरी लड़कियों के चरित्र में दाग लगाने को बेताब होते हैं।लेकिन अपनी माँ,बेटी, बहन और पत्नी दूध से धुले चरित्र वाली बेदाग़ चाहिए। गर्लफ्रेंड हॉट चाहिए लेकिन पत्नी चरित्र की साफ़ चाहिए।
ऐसे में वर्तमान के वेलेंटाइन मज़ा बाद में भारतीय लड़कियों को बहुत भारी पड़ता है।
विदेशों में जनसंख्या कम है और क्षेत्रफल ज्यादा, रोज़गार के अवसर ज़्यादा है। भारत मे क्षेत्रफल कम और रोजगार के अवसर अत्यंत कम हैं।
ऐसे में प्रति व्यक्ति आय और संसाधन जीने खाने के लिए 7 गुना विदेशियों से कम हैं।
पाश्चत्य की नकल करने से पहले अपनी जीवन निर्वहन की योग्यता पर विचार करें, जिससे आप प्रेम कर रहे हो क्या वो हम सफर बनने योग्य है भी या नहीं। जो वादे आप कर रहे हो वो निभाने की योग्यता खुद में है या नहीं। स्वयं पहले आर्थिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से योग्य बने तब ही प्रेम बन्धन में बंधे।
वेलेंटाइन मनाने जाने से पूर्व, rethink mode में बैठे, जीवन को प्लान करें। पूरी जिंदगी के आनन्द प्राप्ति का प्लान करें। किसी के बहकावे में न आयें। स्वयं की जिंदगी की प्रॉपर प्लानिंग करें।जो जीव आपके गर्भ से जन्म ले या जिस जीव के पिता आप हों उसे बेमौत मरना न पड़े। स्वयं की संतान के हत्यारे और जीव हत्या का कारण आप न बनें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
किसी को बुरा लगा हो तो क्षमा करें
प्रेम बिना बन्धन और जिम्मेदारी का,
मौज मस्ती और पार्टी बिना जानकारी का।
हम वेलेंटाइन के विरोध में नहीं है, लेकिन इसके परिणाम से चिंतित जरूर है।
भारतीय लड़कियां विदेशों की तरह सुरक्षित नहीं है, न ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा, अधिकार और सम्मान विदेशों की तरह प्राप्त है।
नकल + अक्ल = सफ़ल
एक लड़की की लिव इन रिलेशनशिप और कुँवारी मां बनना विदेशों में सामाजिक रूप से स्वीकार्य है। लेकिन भारत मे मान्यता है ही नहीं। तो विदेशों में लड़कियां कुँवारी मां बनने पर गर्भपात नहीं करवाती, और दूसरा और तीसरा जीवनसाथी प्राप्त करने में उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होती। अनन्त रिश्ते जीवन के किसी भी उम्र में बनाना सम्भव है।
भारतीय पाश्चत्य प्रभावित मॉडर्न लड़के, धोबी के कुत्तों की तरह न घर के होते हैं न घाट के। दूसरी लड़कियों के चरित्र में दाग लगाने को बेताब होते हैं।लेकिन अपनी माँ,बेटी, बहन और पत्नी दूध से धुले चरित्र वाली बेदाग़ चाहिए। गर्लफ्रेंड हॉट चाहिए लेकिन पत्नी चरित्र की साफ़ चाहिए।
ऐसे में वर्तमान के वेलेंटाइन मज़ा बाद में भारतीय लड़कियों को बहुत भारी पड़ता है।
विदेशों में जनसंख्या कम है और क्षेत्रफल ज्यादा, रोज़गार के अवसर ज़्यादा है। भारत मे क्षेत्रफल कम और रोजगार के अवसर अत्यंत कम हैं।
ऐसे में प्रति व्यक्ति आय और संसाधन जीने खाने के लिए 7 गुना विदेशियों से कम हैं।
पाश्चत्य की नकल करने से पहले अपनी जीवन निर्वहन की योग्यता पर विचार करें, जिससे आप प्रेम कर रहे हो क्या वो हम सफर बनने योग्य है भी या नहीं। जो वादे आप कर रहे हो वो निभाने की योग्यता खुद में है या नहीं। स्वयं पहले आर्थिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से योग्य बने तब ही प्रेम बन्धन में बंधे।
वेलेंटाइन मनाने जाने से पूर्व, rethink mode में बैठे, जीवन को प्लान करें। पूरी जिंदगी के आनन्द प्राप्ति का प्लान करें। किसी के बहकावे में न आयें। स्वयं की जिंदगी की प्रॉपर प्लानिंग करें।जो जीव आपके गर्भ से जन्म ले या जिस जीव के पिता आप हों उसे बेमौत मरना न पड़े। स्वयं की संतान के हत्यारे और जीव हत्या का कारण आप न बनें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
किसी को बुरा लगा हो तो क्षमा करें
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