*प्रश्न-मैं कॉलेज में BBA फर्स्ट ईयर स्टूडेंट हूँ। भैया जब स्कूल-कॉलेज जाता था तो मम्मी पापा उससे कभी इतने प्रश्न नहीं करते थे। थोड़ा लेट हो जाओ तो प्रश्नों की झड़ी लगा देते हैं। सभी लड़कियां मॉडर्न कपड़े पहनती है, लेकिन मम्मी मुझे पहनने नहीं देती। हर वक्त की टोका टोकी से मैं तंग आ गई हूँ। मैं क्या करूँ?*
पहले लम्बी गहरी श्वांस लो और तीन बार गायत्री मंत्र विवेकदृष्टि जागरण के लिए जपो, और स्वयं को इस प्रश्न का हिस्सा न समझ के इसे समस्त कॉलेज जाने वाली लड़कियों का प्रश्न समझो, समस्या समझो। जब हम कोई बात/समस्या पर्सनल लेते है तो उत्तर समझ नहीं सकते, लेकिन जब वही बात/समस्या दूसरों के लिए बोलते है तो बेहतर समझ पाते हैं। तुम बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ रही हो तो तुम्हें तुम्हारी भाषा मे समझाती हूँ।
सोने को तिज़ोरी में रखते है और उसे ज़्यादा सुरक्षा के साथ कहीं लाते और ले जाते हैं। क्यूंकि चोरी होने का ज्यादा डर है। लोहे की सुरक्षा हेतु हमें कुछ विशेष करने की जरूरत नहीं पड़ती। वास्तव में धातु तो दोनों है लेकिन लोगों के दृष्टिकोण के कारण यह सुरक्षा बरतनी पड़ती है। अब यदि लोग स्वर्ण का मोह त्याग दें और कोई इसे भाव ही न दे, उपेक्षा कर दे, सब सन्त बन जाएं या स्वर्ण लोहे की तरह बहुतायत हो जाय तो लोग स्वर्ण को भी लोहे की तरह बेपरवाह होके उपयोग में लेंगे और उसकी सुरक्षा नहीं करेंगे। तो तुम अर्थात लड़की स्वर्ण हो तुम्हारी इज्जत चोरी का भय ज्यादा है इसलिए तुम्हारी सुरक्षा ज्यादा है। तुम्हारा भाई लोहा है अतः उसके लिए सुरक्षा की आवश्यकता नहीं, उसके इज्जत चोरी होने का भय नहीं अतः प्रश्न कम पूंछे जाते हैं।
अब आते है मॉडर्न कपड़े पर, जो कि आज की जनरेशन के हिसाब से सुंदर दिखने और सेक्सी लगने के लिए पहने जाते हैं।
स्वयं से प्रश्न करो कि कॉलेज जाते क्यूँ हो? पढ़ने या मॉडलिंग करने? कपड़े पास करवाएंगे या पढ़ाई? क्या जरूरी है?
क्या कोई लड़का मिनी पैंट या मिनी स्कर्ट सा कुछ पहन के डीप नेक का कुछ पहन के आते देखा है? टीशर्ट जीन्स पहनते हैं वो राइट। क्या जितना मैकअप लड़कियां करती है उतना मैकअप करते लड़को को देखा है नहीं न।
मॉडर्न या ओल्ड एक सोच है जो टीवी, मीडिया और फ़िल्म जगत हम सबके मन में प्रोग्राम करता है। जिससे हम नकलची बन्दर की तरह उसका अंधानुकरण करने लगते है बिना विचारे... जानते हो अधिकतर लड़के और लड़कियां कुछ कार्य इसलिए करते हैं क्यूंकि सब कर रहे है तो उन्हें भी करना है...सब जगह भेड़ चाल है...जो बुद्धि-विवेक का उपयोग करेगा वो भेड़चाल में नहीं पड़ेगा।
फ़टी जीन्स और कम कपड़े, आपको चंद लोगों के सामने मॉडर्न घोषित कर भी दें तो उससे आपको हासिल क्या होगा? बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में इस फैशन का कोई योगदान होगा? जब जॉब करेंगी तो प्रोफेशनल ड्रेस पहनना पड़ेगा वहां भी इसका कोई लाभ नहीं। सिर्फ़ मॉडलिंग और फ़िल्म जगत में इन कपड़ों से फ़ायदा मिलेगा जहां आप अंग-प्रदर्शन से कुछ आर्थिक कमाई का ज़रिया होता है। अन्यथा सब जगह इन कपड़ो का कोई कद्र नहीं।
अब यह आपको तय करना है कि अर्जुन की तरह बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में दक्षता हासिल करना आपका लक्ष्य है या मॉडर्न लुक में कुछ गैरजिम्मेदार लड़के लड़कियों की वाहवाही लूटना आपका लक्ष्य है? मम्मी-पापा आप पर आपके भाई से ज़्यादा गर्व करें इस हेतु कुछ कर गुजरना और योग्य इंसान बनना आपका लक्ष्य है? या मात्र घर में बेवज़ह भाई से तक़रार आपका लक्ष्य है? तय आपको करना है....जिंदगी आपकी है...
*खुदी को कर बुलन्द इतना कि खुद ख़ुदा आकर पूंछे ए बन्दे तेरी रज़ा क्या है? महिलाओं को सम्मान और शशक्तिकरण कोई भीख में नहीं देगा, इसे अपनी मेहनत और बुद्धिबल से हासिल करना होगा।*
इतनी योग्य बन जाओ कि इंटरव्यू में कम्पनियां पूंछे कि कितना पैकेज लोगी? बिजनेस मैगज़ीन फ्रंट पेज में तुम्हारा फ़ोटो और आर्टिकल लेने के लिए तुम्हारे आगे पीछे घूमें.... तुम्हारे मम्मी-पापा विश्व मे तुम्हारे नाम से जाने जायँ... लड़को के रिश्ते घर आये तुम तय करो कि किससे शादी करना है या किससे नहीं..तुम्हें देखकर लोग प्रेरणा लें और अपने घर बेटी पैदा करके तुमसा बनाएं...यदि बड़ा लक्ष्य रखना है तो कुछ बड़ा करो...स्वर्ण हो तो स्वर्ण की तरह चमको...स्वर्ण को कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस कपड़े में या अलमारी में वो रखा है...उसकी कीमत लोहे से हमेशा ज़्यादा रहती है...कोई माने या न माने...लेकिन यदि सुरक्षा न कि और सावधान न रहे तो चोरी होने का ख़तरा सदैव बना रहेगा।
लड़कों को अपनी सोच बड़ी रखनी है तो आप लड़कियों को भी सभ्य कपड़े पहनने होंगें। स्त्री मोह त्याग के साधु संत जबतक समस्त विश्व के लड़के नहीं बन जाते तब तक लड़कियों को सावधान रहना ही होगा। तबतक मम्मी-पापा का बेटियों की चिंता जायज़ है, मम्मी का भैया से ज्यादा तुम्हारी फिक्र करना जायज़ है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
पहले लम्बी गहरी श्वांस लो और तीन बार गायत्री मंत्र विवेकदृष्टि जागरण के लिए जपो, और स्वयं को इस प्रश्न का हिस्सा न समझ के इसे समस्त कॉलेज जाने वाली लड़कियों का प्रश्न समझो, समस्या समझो। जब हम कोई बात/समस्या पर्सनल लेते है तो उत्तर समझ नहीं सकते, लेकिन जब वही बात/समस्या दूसरों के लिए बोलते है तो बेहतर समझ पाते हैं। तुम बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ रही हो तो तुम्हें तुम्हारी भाषा मे समझाती हूँ।
सोने को तिज़ोरी में रखते है और उसे ज़्यादा सुरक्षा के साथ कहीं लाते और ले जाते हैं। क्यूंकि चोरी होने का ज्यादा डर है। लोहे की सुरक्षा हेतु हमें कुछ विशेष करने की जरूरत नहीं पड़ती। वास्तव में धातु तो दोनों है लेकिन लोगों के दृष्टिकोण के कारण यह सुरक्षा बरतनी पड़ती है। अब यदि लोग स्वर्ण का मोह त्याग दें और कोई इसे भाव ही न दे, उपेक्षा कर दे, सब सन्त बन जाएं या स्वर्ण लोहे की तरह बहुतायत हो जाय तो लोग स्वर्ण को भी लोहे की तरह बेपरवाह होके उपयोग में लेंगे और उसकी सुरक्षा नहीं करेंगे। तो तुम अर्थात लड़की स्वर्ण हो तुम्हारी इज्जत चोरी का भय ज्यादा है इसलिए तुम्हारी सुरक्षा ज्यादा है। तुम्हारा भाई लोहा है अतः उसके लिए सुरक्षा की आवश्यकता नहीं, उसके इज्जत चोरी होने का भय नहीं अतः प्रश्न कम पूंछे जाते हैं।
अब आते है मॉडर्न कपड़े पर, जो कि आज की जनरेशन के हिसाब से सुंदर दिखने और सेक्सी लगने के लिए पहने जाते हैं।
स्वयं से प्रश्न करो कि कॉलेज जाते क्यूँ हो? पढ़ने या मॉडलिंग करने? कपड़े पास करवाएंगे या पढ़ाई? क्या जरूरी है?
क्या कोई लड़का मिनी पैंट या मिनी स्कर्ट सा कुछ पहन के डीप नेक का कुछ पहन के आते देखा है? टीशर्ट जीन्स पहनते हैं वो राइट। क्या जितना मैकअप लड़कियां करती है उतना मैकअप करते लड़को को देखा है नहीं न।
मॉडर्न या ओल्ड एक सोच है जो टीवी, मीडिया और फ़िल्म जगत हम सबके मन में प्रोग्राम करता है। जिससे हम नकलची बन्दर की तरह उसका अंधानुकरण करने लगते है बिना विचारे... जानते हो अधिकतर लड़के और लड़कियां कुछ कार्य इसलिए करते हैं क्यूंकि सब कर रहे है तो उन्हें भी करना है...सब जगह भेड़ चाल है...जो बुद्धि-विवेक का उपयोग करेगा वो भेड़चाल में नहीं पड़ेगा।
फ़टी जीन्स और कम कपड़े, आपको चंद लोगों के सामने मॉडर्न घोषित कर भी दें तो उससे आपको हासिल क्या होगा? बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में इस फैशन का कोई योगदान होगा? जब जॉब करेंगी तो प्रोफेशनल ड्रेस पहनना पड़ेगा वहां भी इसका कोई लाभ नहीं। सिर्फ़ मॉडलिंग और फ़िल्म जगत में इन कपड़ों से फ़ायदा मिलेगा जहां आप अंग-प्रदर्शन से कुछ आर्थिक कमाई का ज़रिया होता है। अन्यथा सब जगह इन कपड़ो का कोई कद्र नहीं।
अब यह आपको तय करना है कि अर्जुन की तरह बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में दक्षता हासिल करना आपका लक्ष्य है या मॉडर्न लुक में कुछ गैरजिम्मेदार लड़के लड़कियों की वाहवाही लूटना आपका लक्ष्य है? मम्मी-पापा आप पर आपके भाई से ज़्यादा गर्व करें इस हेतु कुछ कर गुजरना और योग्य इंसान बनना आपका लक्ष्य है? या मात्र घर में बेवज़ह भाई से तक़रार आपका लक्ष्य है? तय आपको करना है....जिंदगी आपकी है...
*खुदी को कर बुलन्द इतना कि खुद ख़ुदा आकर पूंछे ए बन्दे तेरी रज़ा क्या है? महिलाओं को सम्मान और शशक्तिकरण कोई भीख में नहीं देगा, इसे अपनी मेहनत और बुद्धिबल से हासिल करना होगा।*
इतनी योग्य बन जाओ कि इंटरव्यू में कम्पनियां पूंछे कि कितना पैकेज लोगी? बिजनेस मैगज़ीन फ्रंट पेज में तुम्हारा फ़ोटो और आर्टिकल लेने के लिए तुम्हारे आगे पीछे घूमें.... तुम्हारे मम्मी-पापा विश्व मे तुम्हारे नाम से जाने जायँ... लड़को के रिश्ते घर आये तुम तय करो कि किससे शादी करना है या किससे नहीं..तुम्हें देखकर लोग प्रेरणा लें और अपने घर बेटी पैदा करके तुमसा बनाएं...यदि बड़ा लक्ष्य रखना है तो कुछ बड़ा करो...स्वर्ण हो तो स्वर्ण की तरह चमको...स्वर्ण को कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस कपड़े में या अलमारी में वो रखा है...उसकी कीमत लोहे से हमेशा ज़्यादा रहती है...कोई माने या न माने...लेकिन यदि सुरक्षा न कि और सावधान न रहे तो चोरी होने का ख़तरा सदैव बना रहेगा।
लड़कों को अपनी सोच बड़ी रखनी है तो आप लड़कियों को भी सभ्य कपड़े पहनने होंगें। स्त्री मोह त्याग के साधु संत जबतक समस्त विश्व के लड़के नहीं बन जाते तब तक लड़कियों को सावधान रहना ही होगा। तबतक मम्मी-पापा का बेटियों की चिंता जायज़ है, मम्मी का भैया से ज्यादा तुम्हारी फिक्र करना जायज़ है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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