*आओ जाने होली का इतिहास*,
कैसे जन्मा नारायण भक्त प्रह्लाद?
कैसे हुआ दुष्ट हिरण्यकश्यप का नाश?
क्यूँ हुआ नरसिंह का अवतार?
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
राक्षस हिरण्यकश्यप ने किया तप,
मांगा एक अजब-गजब वरदान,
बोला दो ब्रह्मा जी ये वरदान,
न दिन में मरूं, न मरूं रात में,
न अस्त्र-शस्त्र से जाए मेरी जान,
न देवता मार सकें मुझे,
न ही पशु-पक्षी-नर ले सकें मेरी जान।
तप का तो मिलना ही था फल,
सो मिल गया उसे ये अनूठा वरदान।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
ख़ुद को अमर समझ के हिरण्यकश्यप
करने लगा लोगों पर अत्याचार,
स्वयं को कर दिया ईश्वर घोषित,
और करने लगा सबको मनमाना शोषित,
जो न करता उसकी पूजा,
उसको देता वो भयंकर सज़ा,
जिंदा ऋषियों को जलाता,
अपनी बात जबरजस्ती मनवाता,
देवताओं को हरा के,
वो करने लगा तीनों लोकों पर राज,
मौत का सौदागर बनके,
ऋषियों से मांगने लगा यज्ञ का भाग।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
हिरण्यकश्यप की पत्नी जब हुई गर्भवती,
तो क्रोधित इंद्र ने किया उसका अपहरण,
देवर्षि नारद ने उसे छुड़ाया,
और अपने आश्रम में लाया,
यहां हुआ प्रह्लाद की मां का,
श्रेष्ठ दिव्य गर्भ सँस्कार,
उत्तम भक्तिमय वातावरण में जन्मा,
श्रेष्ठ गुणों से सम्पन्न नारायण भक्त प्रह्लाद,
कुछ समय बाद माता सहित लौट,
जब वो पिता हिरण्यकश्यप के पास,
पिता ने पुत्र प्रह्लाद को गले लगाया,
और ख़ुद को सर्वशक्तिमान भगवान बताया।
लेकिन प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप पिता को,
भगवान मानने से इन्कार कर दिया,
श्री नारायण को हृदय से,
सर्वशक्तिमान भगवान सभा में घोषित कर दिया,
हिरण्यकश्यप ने इसे स्वयं का अपमान समझ के,
भक्त प्रह्लाद को तत्क्षण मृत्य दण्ड दे दिया।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
होलिका हिरण्यकश्यप की थी बहन,
अग्नि में न जलने का उसे था वरदान प्राप्त,
प्रह्लाद को गोद मे लेकर अग्नि में बैठ गयी,
लेकिन भक्त प्रह्लाद की भक्ति जीत गयी,
और होलिका स्वयं जलकर ही ख़ाक हो गयी।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
तब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को ख़म्बे दिया बांध,
कत्ल करने को जैसे ही उसने तलवार लिया हाथ,
ख़म्बे को फाड़कर प्रकटे नरसिंह,
जो आधे थे नर और आधे थे सिंह,
हिरण्यकश्यप को उठाया,
और गोद मे लिटाया,
नाखूनों उस पर प्रहार किया,
और उसका अस्तित्व मिटा दिया।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
अच्छाई की बुराई पर हुई जीत,
इस पर्व से सबको मिली सीख,
इस ख़ुशी में लोगों ने होली मनाया,
ख़ुशी में विभिन्न फागुन गीत गाया,
मीठी गुझिया से सबका मुंह मीठा करवाया,
ढ़ोल बाजे शंख नाद से आनन्द मनाया,
इस दिन की याद में प्रतिवर्ष होलिका जलाया,
और दूसरे दिन सुबह होली का त्योहार मनाया।
जीवन को उल्लास के रंग से रंग दिया,
मन को भक्ति के रंग में डुबो दिया।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
🙏🏻श्वेता, दिया
आपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएं, आपके हृदय में ईश्वर भक्ति जगमगाये, और भक्ति के रंग में जीवन रंग जाए।
कैसे जन्मा नारायण भक्त प्रह्लाद?
कैसे हुआ दुष्ट हिरण्यकश्यप का नाश?
क्यूँ हुआ नरसिंह का अवतार?
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
राक्षस हिरण्यकश्यप ने किया तप,
मांगा एक अजब-गजब वरदान,
बोला दो ब्रह्मा जी ये वरदान,
न दिन में मरूं, न मरूं रात में,
न अस्त्र-शस्त्र से जाए मेरी जान,
न देवता मार सकें मुझे,
न ही पशु-पक्षी-नर ले सकें मेरी जान।
तप का तो मिलना ही था फल,
सो मिल गया उसे ये अनूठा वरदान।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
ख़ुद को अमर समझ के हिरण्यकश्यप
करने लगा लोगों पर अत्याचार,
स्वयं को कर दिया ईश्वर घोषित,
और करने लगा सबको मनमाना शोषित,
जो न करता उसकी पूजा,
उसको देता वो भयंकर सज़ा,
जिंदा ऋषियों को जलाता,
अपनी बात जबरजस्ती मनवाता,
देवताओं को हरा के,
वो करने लगा तीनों लोकों पर राज,
मौत का सौदागर बनके,
ऋषियों से मांगने लगा यज्ञ का भाग।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
हिरण्यकश्यप की पत्नी जब हुई गर्भवती,
तो क्रोधित इंद्र ने किया उसका अपहरण,
देवर्षि नारद ने उसे छुड़ाया,
और अपने आश्रम में लाया,
यहां हुआ प्रह्लाद की मां का,
श्रेष्ठ दिव्य गर्भ सँस्कार,
उत्तम भक्तिमय वातावरण में जन्मा,
श्रेष्ठ गुणों से सम्पन्न नारायण भक्त प्रह्लाद,
कुछ समय बाद माता सहित लौट,
जब वो पिता हिरण्यकश्यप के पास,
पिता ने पुत्र प्रह्लाद को गले लगाया,
और ख़ुद को सर्वशक्तिमान भगवान बताया।
लेकिन प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप पिता को,
भगवान मानने से इन्कार कर दिया,
श्री नारायण को हृदय से,
सर्वशक्तिमान भगवान सभा में घोषित कर दिया,
हिरण्यकश्यप ने इसे स्वयं का अपमान समझ के,
भक्त प्रह्लाद को तत्क्षण मृत्य दण्ड दे दिया।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
होलिका हिरण्यकश्यप की थी बहन,
अग्नि में न जलने का उसे था वरदान प्राप्त,
प्रह्लाद को गोद मे लेकर अग्नि में बैठ गयी,
लेकिन भक्त प्रह्लाद की भक्ति जीत गयी,
और होलिका स्वयं जलकर ही ख़ाक हो गयी।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
तब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को ख़म्बे दिया बांध,
कत्ल करने को जैसे ही उसने तलवार लिया हाथ,
ख़म्बे को फाड़कर प्रकटे नरसिंह,
जो आधे थे नर और आधे थे सिंह,
हिरण्यकश्यप को उठाया,
और गोद मे लिटाया,
नाखूनों उस पर प्रहार किया,
और उसका अस्तित्व मिटा दिया।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
अच्छाई की बुराई पर हुई जीत,
इस पर्व से सबको मिली सीख,
इस ख़ुशी में लोगों ने होली मनाया,
ख़ुशी में विभिन्न फागुन गीत गाया,
मीठी गुझिया से सबका मुंह मीठा करवाया,
ढ़ोल बाजे शंख नाद से आनन्द मनाया,
इस दिन की याद में प्रतिवर्ष होलिका जलाया,
और दूसरे दिन सुबह होली का त्योहार मनाया।
जीवन को उल्लास के रंग से रंग दिया,
मन को भक्ति के रंग में डुबो दिया।
कैसे हुआ बुराई का नाश....
आओ जाने होली का इतिहास....
🙏🏻श्वेता, दिया
आपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएं, आपके हृदय में ईश्वर भक्ति जगमगाये, और भक्ति के रंग में जीवन रंग जाए।
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