*स्त्रियों को गायत्री का अधिकार सम्बन्धी शंका का समाधान*
प्रत्येक शरीर मे स्त्री तत्व और पुरूष तत्व दोनो है, इसलिए शिव का अर्ध नारीश्वर स्वरूप जग विदित है।
कोई भी स्त्री स्वयं की मनःस्थिति को बदल के पुरुष की तरह कठोर बन सकती है और कोई भी पुरुष मनःस्थिति बदल कर स्त्री की तरह कोमल व्यवहार कर सकता है।
आत्मा के स्तर पर नर और नारी में कोई भिन्नता नहीं है, पुनर्जन्म के कई ऐसे प्रमाण परामनोविज्ञान में मिलता है कि एक आत्मा एक जन्म में स्त्री तो दूसरे में पुरुष जन्म ली है।
उच्चस्तरीय सधनाये और मंत्रजप मन करता है, इसलिए इसे मन्त्र अर्थात (मन + त्र) मन को त्र अर्थात त्राण करने रक्षा और व्यवस्था करने वाली विधि व्यवस्था। गायत्री अर्थात गय(प्राण) + त्र(त्राण) - प्राणों की रक्षा करने वाली शक्ति।
24 केंद्र और षठ चक्र सूक्ष्म लेवल पर होते हैं, उन्हें स्थूल में आँकना मूर्खता है। इड़ा -पिंगला नाड़ी जो कि ब्रह्मांड की एनर्जी को गायत्री मंत्र जप से सूक्ष्म जागृत करती है। स्थूल के आकार-प्रकार में कोई बदलाव नहीं होता। प्राण शक्ति में परिवर्तन होता है, सद्बुध्दि और विवेकदृष्टि जागृत होता है।
चेतना अन्तर्जगत की यात्रा करके शिखर पर पहुंचती है।
जो भी पुरुष भाई किसी स्त्री से कहे कि वो गायत्री जप का अधिकार नहीं रखती, वो अर्ध विद्या भयंकरी वाला ज्ञान रखता है। अतः उस महामूर्ख बनाने वाली बात से परेशान होने की जरूरत नहीं।
एक बार शंकराचार्य की ज्ञान चर्चा में जब ऐसा ही कुछ ऊटपटाँग(विधवा होने की बात) स्त्रियों को गायत्री जप अधिकार सम्बन्धी बोला गया, तो वहां गायत्री परिवार की स्त्रियों ने खुला चेलेंज दिया कि लाखों महिलायें गायत्री जपती है, हमारे यहां सबका भला हुआ। हम सभी सौभाग्यवती स्त्री है। अपने पतियों को खड़ा करके सभी ने शंकराचार्य जी से पूंछा ये हटते कट्टे स्वस्थ है और हम सब कई वर्षो से गायत्री जप रहे हैं। और हमारे साथ आई माताजी पिछले 30 वर्षों से जप रही है और बाबूजी भी स्वस्थ है।
उन स्त्रियों ने शंकराचार्य से पूंछा क्या ऐसा कोई गारंटी दे सकते है कि जो महिला गायत्री नहीं जपेगी वो सदा सुहागन और निरोग रहेगी।
या जो पुरुष गायत्री या अमुक जपेगा तो उसके प्रारब्धानुसार उसे कोई कष्ट न सहने पड़ेंगे। शंकराचार्य मौन हो गए, कुछ जवाब देते न बना।
मैं भी 40 वर्ष की हूँ, पिछले 14 वर्ष से आई टी फील्ड में जॉब करती हूँ। मेरे पति भी आई टी फील्ड में है और 9 वर्षीय बेटा है। स्वस्थ प्रशन्न हूँ। नित्य गायत्री मंत्र जपती हूँ। जॉब पति बच्चा स्वास्थ्य धन सबकुछ है, ऐसी लाखो गायत्री जपने वाली महिलाओं से मिलवा भी सकती हूँ। मेरे पास युगऋषि परम् पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्रदत्त तथ्य तर्क प्रमाण है, लाखो बहनो द्वारा नित्य जप के प्रमाण है, गायत्री जप द्वारा स्त्रियों को हुए लाभ के प्रमाण है, आ जाओ शास्त्रार्थ करने, खुला चैलेंज दे रही हूँ। स्थान - शान्तिकुंज हरिद्वार होगा, हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या? प्रत्यक्ष को प्रमाण देने में कैसा भय?
कुछ पुरुषप्रधान व्यवस्था के समर्थक भाई समाज में स्त्री के अस्तित्व को कभी बढ़ने नहीं देना चाहता, सदियों से लड़कियों को वस्तु और गुलाम बंनाने की परंपरा है। वो भूल गए हैं कि उनका जन्म भी स्त्री के ही रक्त मांस मज़्ज़ा से बना है और नौ महीने स्त्री के गर्भ से ही निकलकर बाहर आये है। पिता के साथ माता का DNA के गुण उनमे है। पता नहीं ये स्वयं पवित्र कैसे हो गए और इनकी माता और बहन अपवित्र कैसे हो गयी और गायत्री अधिकार से वंचित क्यों हो गयी?
लड़कियां वैदिक काल में सक्षम थीं, लेकिन मध्ययुगीन काल लड़कियों के लिए बुरा था। हिंदुस्तान हो या पाश्चत्य देश या मुश्लिम सर्वत्र स्त्री को शोषण करने की वस्तु समझा जाता है।
उन्हें समान वेतन कभी नहीं मिला और न हीं वोट देने का अधिकार था, न हीं उन्हें मन्दिर, चर्च, मस्जिदों में अधिकार था। कई लड़ाइयां लड़ी गयी तब जाके सब अधिकार मिले।
अब कुतर्कों के जाल और बड़ी बड़ी बातों में लड़कियों को बर्गलाने की चाल चल रही है। कहीं कुतर्क से तो कहीं अनिष्ट का भय दिखा के उन्हें काबू में करने की कोशिश की जा रही है। स्त्री हूँ गायत्री जपती हूँ, फेस टू फेस शास्त्रार्थ को तैयार हूँ, आयुर्वेद से लेकर एलोपैथ के डॉक्टरों के साक्ष्य में, और ज्योतिषियो और अध्यात्म वैज्ञानिकों के साक्ष्य में, लाखो गायत्री परिवार के पुरुष भाई जो स्त्रियों के गायत्री जप का समर्थन करते है के साक्ष्य में, शास्त्रार्थ करने को तैयार हूँ। हमारे गुरुदेव ने गायत्री जप का अधिकार दिया, हमने जपा और हम लाभान्वित हुए।
रेफरेन्स- http://literature.awgp.org/book/Super_Science_of_Gayatri/v9.14
http://literature.awgp.org/book/gayatri_upnishad/v1.4
ऋग्वेद के 10-134, 10-39, 10-40, 8-91, 10-95, 10-107, 10-109, 10-154, 10-159, 10-189, 5-28, 8-91 आदि सूक्तों कीमन्त्र दृष्टा यह ऋषिकायें हैं।
ऐसे अनेक प्रमाण मिलते हैं, जिनसे
स्पष्ट होता है कि स्त्रियां भीपुरुषों की तरह यज्ञ करती और कराती थीं। वे यज्ञ-विद्या और ब्रह्म विद्यामें पारंगत थीं। कई नारियां तो इस सम्बन्ध में अपने पिता तथा पति का मार्ग दर्शन करती थीं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशनसृतियो
प्रत्येक शरीर मे स्त्री तत्व और पुरूष तत्व दोनो है, इसलिए शिव का अर्ध नारीश्वर स्वरूप जग विदित है।
कोई भी स्त्री स्वयं की मनःस्थिति को बदल के पुरुष की तरह कठोर बन सकती है और कोई भी पुरुष मनःस्थिति बदल कर स्त्री की तरह कोमल व्यवहार कर सकता है।
आत्मा के स्तर पर नर और नारी में कोई भिन्नता नहीं है, पुनर्जन्म के कई ऐसे प्रमाण परामनोविज्ञान में मिलता है कि एक आत्मा एक जन्म में स्त्री तो दूसरे में पुरुष जन्म ली है।
उच्चस्तरीय सधनाये और मंत्रजप मन करता है, इसलिए इसे मन्त्र अर्थात (मन + त्र) मन को त्र अर्थात त्राण करने रक्षा और व्यवस्था करने वाली विधि व्यवस्था। गायत्री अर्थात गय(प्राण) + त्र(त्राण) - प्राणों की रक्षा करने वाली शक्ति।
24 केंद्र और षठ चक्र सूक्ष्म लेवल पर होते हैं, उन्हें स्थूल में आँकना मूर्खता है। इड़ा -पिंगला नाड़ी जो कि ब्रह्मांड की एनर्जी को गायत्री मंत्र जप से सूक्ष्म जागृत करती है। स्थूल के आकार-प्रकार में कोई बदलाव नहीं होता। प्राण शक्ति में परिवर्तन होता है, सद्बुध्दि और विवेकदृष्टि जागृत होता है।
चेतना अन्तर्जगत की यात्रा करके शिखर पर पहुंचती है।
जो भी पुरुष भाई किसी स्त्री से कहे कि वो गायत्री जप का अधिकार नहीं रखती, वो अर्ध विद्या भयंकरी वाला ज्ञान रखता है। अतः उस महामूर्ख बनाने वाली बात से परेशान होने की जरूरत नहीं।
एक बार शंकराचार्य की ज्ञान चर्चा में जब ऐसा ही कुछ ऊटपटाँग(विधवा होने की बात) स्त्रियों को गायत्री जप अधिकार सम्बन्धी बोला गया, तो वहां गायत्री परिवार की स्त्रियों ने खुला चेलेंज दिया कि लाखों महिलायें गायत्री जपती है, हमारे यहां सबका भला हुआ। हम सभी सौभाग्यवती स्त्री है। अपने पतियों को खड़ा करके सभी ने शंकराचार्य जी से पूंछा ये हटते कट्टे स्वस्थ है और हम सब कई वर्षो से गायत्री जप रहे हैं। और हमारे साथ आई माताजी पिछले 30 वर्षों से जप रही है और बाबूजी भी स्वस्थ है।
उन स्त्रियों ने शंकराचार्य से पूंछा क्या ऐसा कोई गारंटी दे सकते है कि जो महिला गायत्री नहीं जपेगी वो सदा सुहागन और निरोग रहेगी।
या जो पुरुष गायत्री या अमुक जपेगा तो उसके प्रारब्धानुसार उसे कोई कष्ट न सहने पड़ेंगे। शंकराचार्य मौन हो गए, कुछ जवाब देते न बना।
मैं भी 40 वर्ष की हूँ, पिछले 14 वर्ष से आई टी फील्ड में जॉब करती हूँ। मेरे पति भी आई टी फील्ड में है और 9 वर्षीय बेटा है। स्वस्थ प्रशन्न हूँ। नित्य गायत्री मंत्र जपती हूँ। जॉब पति बच्चा स्वास्थ्य धन सबकुछ है, ऐसी लाखो गायत्री जपने वाली महिलाओं से मिलवा भी सकती हूँ। मेरे पास युगऋषि परम् पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्रदत्त तथ्य तर्क प्रमाण है, लाखो बहनो द्वारा नित्य जप के प्रमाण है, गायत्री जप द्वारा स्त्रियों को हुए लाभ के प्रमाण है, आ जाओ शास्त्रार्थ करने, खुला चैलेंज दे रही हूँ। स्थान - शान्तिकुंज हरिद्वार होगा, हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या? प्रत्यक्ष को प्रमाण देने में कैसा भय?
कुछ पुरुषप्रधान व्यवस्था के समर्थक भाई समाज में स्त्री के अस्तित्व को कभी बढ़ने नहीं देना चाहता, सदियों से लड़कियों को वस्तु और गुलाम बंनाने की परंपरा है। वो भूल गए हैं कि उनका जन्म भी स्त्री के ही रक्त मांस मज़्ज़ा से बना है और नौ महीने स्त्री के गर्भ से ही निकलकर बाहर आये है। पिता के साथ माता का DNA के गुण उनमे है। पता नहीं ये स्वयं पवित्र कैसे हो गए और इनकी माता और बहन अपवित्र कैसे हो गयी और गायत्री अधिकार से वंचित क्यों हो गयी?
लड़कियां वैदिक काल में सक्षम थीं, लेकिन मध्ययुगीन काल लड़कियों के लिए बुरा था। हिंदुस्तान हो या पाश्चत्य देश या मुश्लिम सर्वत्र स्त्री को शोषण करने की वस्तु समझा जाता है।
उन्हें समान वेतन कभी नहीं मिला और न हीं वोट देने का अधिकार था, न हीं उन्हें मन्दिर, चर्च, मस्जिदों में अधिकार था। कई लड़ाइयां लड़ी गयी तब जाके सब अधिकार मिले।
अब कुतर्कों के जाल और बड़ी बड़ी बातों में लड़कियों को बर्गलाने की चाल चल रही है। कहीं कुतर्क से तो कहीं अनिष्ट का भय दिखा के उन्हें काबू में करने की कोशिश की जा रही है। स्त्री हूँ गायत्री जपती हूँ, फेस टू फेस शास्त्रार्थ को तैयार हूँ, आयुर्वेद से लेकर एलोपैथ के डॉक्टरों के साक्ष्य में, और ज्योतिषियो और अध्यात्म वैज्ञानिकों के साक्ष्य में, लाखो गायत्री परिवार के पुरुष भाई जो स्त्रियों के गायत्री जप का समर्थन करते है के साक्ष्य में, शास्त्रार्थ करने को तैयार हूँ। हमारे गुरुदेव ने गायत्री जप का अधिकार दिया, हमने जपा और हम लाभान्वित हुए।
रेफरेन्स- http://literature.awgp.org/book/Super_Science_of_Gayatri/v9.14
http://literature.awgp.org/book/gayatri_upnishad/v1.4
ऋग्वेद के 10-134, 10-39, 10-40, 8-91, 10-95, 10-107, 10-109, 10-154, 10-159, 10-189, 5-28, 8-91 आदि सूक्तों कीमन्त्र दृष्टा यह ऋषिकायें हैं।
ऐसे अनेक प्रमाण मिलते हैं, जिनसे
स्पष्ट होता है कि स्त्रियां भीपुरुषों की तरह यज्ञ करती और कराती थीं। वे यज्ञ-विद्या और ब्रह्म विद्यामें पारंगत थीं। कई नारियां तो इस सम्बन्ध में अपने पिता तथा पति का मार्ग दर्शन करती थीं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशनसृतियो
Didi, Chandrayan vrat ya Gayatri anusthan ke waqt period aa jaye to kya krna h??
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