Tuesday 27 March 2018

मृत्यु के झरोखे से

मृत्यु के झरोखे से,
जीवन लगता कितना मूल्यवान,
मृत्यु के चश्में से,
जीवन लगता कितना अर्थवान।

शरीर की पीड़ा को,
कोई भी बंटा न पाता,
मृत्यु की यात्रा पर,
कोई भी साथ जा न पाता।

रात का गहन अंधकार,
रौशनी के महत्त्व को समझाता,
गम्भीर गहन बीमारी,
जीवन का भूला कर्तव्य याद दिलाता।

संसार की सारी संपत्ति,
मृत्यु के पल को टाल नहीं सकती,
मजदूर हो या अमीर,
दोनों की चिता की राख़,
एक सी ही लगती।

अमूल्य जीवन को,
 यूं व्यर्थ न गवाओँ,
जीवन का हर पल- हर क्षण,
जी भर के आनंद उठाओ।

मानव जीवन के कर्तव्यों को,
पूरी शिद्दत से निभाओ,
कुछ ऐसा कर जाओ,
कि मरकर भी अमर हो जाओ।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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