*योग निद्रा*
योग अर्थात किससे जुड़े हो? किधर और किस पर ध्यान है? किस पर केंद्रित हो संसार या परमात्मा?
साधारणतया चेतना ध्यान दिन-रात शरीर और संसार पर ही होता है तो इंसान भ्रमित रहता है, जब यही योग चेतना का परमात्मा से होता है तो इंसान आनन्दित रहता है। योग शरीर के भाव से ऊपर उठा कर आत्मअनुभव तक का सफ़र है। थकान शरीर और मन को होती है, आत्मा को नहीं। हम शरीर भी नहीं है और अनुभवों और यादों से बना मन भी नहीं हैं। हम इन दोनों से ऊपर हैं, बस जागृत अवस्था से चैतन्य अवस्था तक की निद्रा जो सांसारिकता में सुला दे लेकिन अध्यात्मिकता में जगा दे योगनिद्रा है। योग निद्रा में शरीर और मन को हम आराम देकर नींद वाली प्रक्रिया से बिना सोए गुजरते हैं, शरीर के प्रत्येक अंगों तक ध्यान केंद्रित कर प्राण प्रवाह संचारित करते है, शरीर को आदेश देकर विश्राम अवस्था मे पहुँचा देते हैं। फिर मन को आदेश दे उसे विश्राम में पहुंचा देते है और कुछ क्षण तक स्वयं हृदय में केंद्रित हो आत्मभाव में ध्यानस्थ हो जाते है।
निद्रा द्वारा सर्जन, चयापचय और संवृद्धि हार्मोन का स्राव होता है और इम्युनिटी बढ़ने के साथ साथ ऊर्जा संरक्षित होती है जिससे सोकर उठने पर तरोताजगी का अनुभव होता है। मनुष्यों में, प्रत्येक निद्रा चक्र औसत 90 से 110 मिनट तक के लिए रहता है। कई स्तर का N1-N2-N3... REM का होता है। जिसमें अंतिम स्तर और गहराई निद्रा के चौथे प्रहर में प्राप्त होता है।
साधारण रूप से प्रयास रहित आराम योग निद्रा द्वारा किसी भी योगासन क्रम के बाद आवश्यक हैं। योगासन शरीर को गरमाहट देता हैं और शरीर को शांत करता हैं।
योगासन अभ्यास शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाते हैं। योग निद्रा इस ऊर्जा को संरक्षित एवं समेकित करती हैं जिससे शरीर व मन को विश्राम मिलता है। योग निद्रा आपको प्राणायाम और ध्यान के लिए तैयार करती है। अतः यह आवश्यक हैं कि योगासन के पश्चात् आप उचित समय योग निद्रा के लिए रखे।
योग निद्रा के लाभ | Yoga nidra benefits in hindi
योगासन के पश्चात् शरीर को आराम देता हैं।
शरीर का सामान्य तापमान बनाने में मदद करता है| योगासन के प्रभाव को अवशोषित करके तंत्रिका तंत्र को सक्रिय बनाता हैं।
योग निद्रा करने के लिए कैसे तैयार हो
अभ्यास के पूर्व पेट हल्का रखें। योगासन एवं योग निद्रा के पूर्व भर पेट भोजन नही करना चाहिए।
आरामदायक एवं अव्यवस्था रहित स्थान होना चाहिए। एक योगी का घर शांत, आरामदायक एवं अव्यवस्था रहित होता हैं।
कुछ लोगो को योग निद्रा के पश्चात् हलके ठंडक का आभास होता हैं। अतः साथ में एक कम्बल रखना चाहिए।
योग निद्रा की विधि | How to do yoga nidra in hindi
पीठ के बल शवासन में लेट जाएँ। नेत्र बंद कर विश्रामवस्था में आये। कुछ गहरी श्वाश लें और छोड़े। ध्यान रहे साधारण श्वाश लेना हैं, उज्जई नहीं।
अपना ध्यान अपने दाहिने पंजे पर ले जाये।कुछ सेकंड तक यहाँ अपना ध्यान बनाये रखें। पंजों को विश्रामावस्था में लाये। इसके पश्चात अपना ध्यान क्रमशः दाहिने गुटने, दाहिने जंघा तथा दाहिने कूल्हे पर ले जाए। इसके पश्चात अपने पूरे दाहिने पैर के प्रति सचेत हो जाये।
यही प्रक्रिया बाएं पैर में दोहराए।
अपना ध्यान शरीर के सभी भागों जननांग, पेट, नाभि और वक्ष में ले जाये।
अपना ध्यान दाहिने कंधे, भुजा, हथेली, उंगलियो मेँ ले जाएं।यही प्रक्रिया बाये कंधे, भुजा,हथेली, गर्दन एवं चेहरे और सिर के शीर्ष तक ले जाये।
एक गहरी श्वास लें। अपने शरीर में तरंगो का अनुभव करें। कुछ मिनट इसी स्थिति में आराम करे।
अपने शरीर एवं आस-पास के वातावरण के प्रति सचेत हो जाये। दाहिने करवट ले के कुछ समय लेटे रहे। बाएं नासिका से श्वास बाहर छोड़े जिससे शरीर में ठंडेपन का अहसास होगा।
अपना समय लेते हुए धीरे धीरे उठकर बैठे।जब आप आराम महसूस करे तो धीरे धीरे नेत्र खोलें।
विशेष: ध्यान रखे योगनिद्रा *सचेत प्रयास* नहीं *सचेत विश्राम* हैं|
जैसे किसी पल आप एक शब्द ‘ सेब’ सुनते हैं, तुरंत उसका प्रतिबिम्ब आपके मन में आ जाता हैं। आपको यह प्रयास नहीं करना पड़ता कि वह छोटा हैं या बड़ा हैं या लाल हैं या हरा। यही स्थिति योग निद्रा में होती हैं।
आपको इस बात पर एकाग्र या फोकस नही होना पड़ता कि पैर क्या हैं या नाक को स्पर्श नहीं करना होता। न ही आपको शरीर के इन भागो को हिलाना होता हैं। केवल आप अपनी चेतना को उन स्थानों पर ले जाते हैं और गहरी श्वास लेते हैं।योग निद्रा पूर्ण सचेतावस्था में गहरा विश्राम देती हैं। यह प्रयास रहित सचेत शरीर और मनका विश्राम हैं।
यह प्राकर्तिक हैं कि योग निद्रा के समय कुछ विचार आये, उसे नियंत्रण करने का प्रयास न करे। यदि आप प्राकर्तिक रूप से सोजाते हैं तो अपराधबोध से ग्रसित न हो। इस प्रकार योग निद्रा आनंदपूर्ण प्रयासरहित तरीका हैं जो योगासन के बाद करना चाहिए। आओ चले आराम और आनंद का अनुभव इस प्रकार करें।
"जैसे नींद के पश्चात ताजगी का अहसास होता हैं, योग निद्रा वही अहसास देती हैं यह मेरी सबसे प्यारी झपकी हैं जो मुझे गहन विश्राम और ताजगी देता है।
योग अर्थात किससे जुड़े हो? किधर और किस पर ध्यान है? किस पर केंद्रित हो संसार या परमात्मा?
साधारणतया चेतना ध्यान दिन-रात शरीर और संसार पर ही होता है तो इंसान भ्रमित रहता है, जब यही योग चेतना का परमात्मा से होता है तो इंसान आनन्दित रहता है। योग शरीर के भाव से ऊपर उठा कर आत्मअनुभव तक का सफ़र है। थकान शरीर और मन को होती है, आत्मा को नहीं। हम शरीर भी नहीं है और अनुभवों और यादों से बना मन भी नहीं हैं। हम इन दोनों से ऊपर हैं, बस जागृत अवस्था से चैतन्य अवस्था तक की निद्रा जो सांसारिकता में सुला दे लेकिन अध्यात्मिकता में जगा दे योगनिद्रा है। योग निद्रा में शरीर और मन को हम आराम देकर नींद वाली प्रक्रिया से बिना सोए गुजरते हैं, शरीर के प्रत्येक अंगों तक ध्यान केंद्रित कर प्राण प्रवाह संचारित करते है, शरीर को आदेश देकर विश्राम अवस्था मे पहुँचा देते हैं। फिर मन को आदेश दे उसे विश्राम में पहुंचा देते है और कुछ क्षण तक स्वयं हृदय में केंद्रित हो आत्मभाव में ध्यानस्थ हो जाते है।
निद्रा द्वारा सर्जन, चयापचय और संवृद्धि हार्मोन का स्राव होता है और इम्युनिटी बढ़ने के साथ साथ ऊर्जा संरक्षित होती है जिससे सोकर उठने पर तरोताजगी का अनुभव होता है। मनुष्यों में, प्रत्येक निद्रा चक्र औसत 90 से 110 मिनट तक के लिए रहता है। कई स्तर का N1-N2-N3... REM का होता है। जिसमें अंतिम स्तर और गहराई निद्रा के चौथे प्रहर में प्राप्त होता है।
साधारण रूप से प्रयास रहित आराम योग निद्रा द्वारा किसी भी योगासन क्रम के बाद आवश्यक हैं। योगासन शरीर को गरमाहट देता हैं और शरीर को शांत करता हैं।
योगासन अभ्यास शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाते हैं। योग निद्रा इस ऊर्जा को संरक्षित एवं समेकित करती हैं जिससे शरीर व मन को विश्राम मिलता है। योग निद्रा आपको प्राणायाम और ध्यान के लिए तैयार करती है। अतः यह आवश्यक हैं कि योगासन के पश्चात् आप उचित समय योग निद्रा के लिए रखे।
योग निद्रा के लाभ | Yoga nidra benefits in hindi
योगासन के पश्चात् शरीर को आराम देता हैं।
शरीर का सामान्य तापमान बनाने में मदद करता है| योगासन के प्रभाव को अवशोषित करके तंत्रिका तंत्र को सक्रिय बनाता हैं।
योग निद्रा करने के लिए कैसे तैयार हो
अभ्यास के पूर्व पेट हल्का रखें। योगासन एवं योग निद्रा के पूर्व भर पेट भोजन नही करना चाहिए।
आरामदायक एवं अव्यवस्था रहित स्थान होना चाहिए। एक योगी का घर शांत, आरामदायक एवं अव्यवस्था रहित होता हैं।
कुछ लोगो को योग निद्रा के पश्चात् हलके ठंडक का आभास होता हैं। अतः साथ में एक कम्बल रखना चाहिए।
योग निद्रा की विधि | How to do yoga nidra in hindi
पीठ के बल शवासन में लेट जाएँ। नेत्र बंद कर विश्रामवस्था में आये। कुछ गहरी श्वाश लें और छोड़े। ध्यान रहे साधारण श्वाश लेना हैं, उज्जई नहीं।
अपना ध्यान अपने दाहिने पंजे पर ले जाये।कुछ सेकंड तक यहाँ अपना ध्यान बनाये रखें। पंजों को विश्रामावस्था में लाये। इसके पश्चात अपना ध्यान क्रमशः दाहिने गुटने, दाहिने जंघा तथा दाहिने कूल्हे पर ले जाए। इसके पश्चात अपने पूरे दाहिने पैर के प्रति सचेत हो जाये।
यही प्रक्रिया बाएं पैर में दोहराए।
अपना ध्यान शरीर के सभी भागों जननांग, पेट, नाभि और वक्ष में ले जाये।
अपना ध्यान दाहिने कंधे, भुजा, हथेली, उंगलियो मेँ ले जाएं।यही प्रक्रिया बाये कंधे, भुजा,हथेली, गर्दन एवं चेहरे और सिर के शीर्ष तक ले जाये।
एक गहरी श्वास लें। अपने शरीर में तरंगो का अनुभव करें। कुछ मिनट इसी स्थिति में आराम करे।
अपने शरीर एवं आस-पास के वातावरण के प्रति सचेत हो जाये। दाहिने करवट ले के कुछ समय लेटे रहे। बाएं नासिका से श्वास बाहर छोड़े जिससे शरीर में ठंडेपन का अहसास होगा।
अपना समय लेते हुए धीरे धीरे उठकर बैठे।जब आप आराम महसूस करे तो धीरे धीरे नेत्र खोलें।
विशेष: ध्यान रखे योगनिद्रा *सचेत प्रयास* नहीं *सचेत विश्राम* हैं|
जैसे किसी पल आप एक शब्द ‘ सेब’ सुनते हैं, तुरंत उसका प्रतिबिम्ब आपके मन में आ जाता हैं। आपको यह प्रयास नहीं करना पड़ता कि वह छोटा हैं या बड़ा हैं या लाल हैं या हरा। यही स्थिति योग निद्रा में होती हैं।
आपको इस बात पर एकाग्र या फोकस नही होना पड़ता कि पैर क्या हैं या नाक को स्पर्श नहीं करना होता। न ही आपको शरीर के इन भागो को हिलाना होता हैं। केवल आप अपनी चेतना को उन स्थानों पर ले जाते हैं और गहरी श्वास लेते हैं।योग निद्रा पूर्ण सचेतावस्था में गहरा विश्राम देती हैं। यह प्रयास रहित सचेत शरीर और मनका विश्राम हैं।
यह प्राकर्तिक हैं कि योग निद्रा के समय कुछ विचार आये, उसे नियंत्रण करने का प्रयास न करे। यदि आप प्राकर्तिक रूप से सोजाते हैं तो अपराधबोध से ग्रसित न हो। इस प्रकार योग निद्रा आनंदपूर्ण प्रयासरहित तरीका हैं जो योगासन के बाद करना चाहिए। आओ चले आराम और आनंद का अनुभव इस प्रकार करें।
"जैसे नींद के पश्चात ताजगी का अहसास होता हैं, योग निद्रा वही अहसास देती हैं यह मेरी सबसे प्यारी झपकी हैं जो मुझे गहन विश्राम और ताजगी देता है।
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