Wednesday 21 March 2018

यग्योपैथी- यज्ञ एक समग्र उपचार और भविष्य सुरक्षित रखने वाला ज्ञान-विज्ञान

*यग्योपैथी- यज्ञ एक समग्र उपचार और भविष्य सुरक्षित रखने वाला ज्ञान-विज्ञान*

विज्ञान की तरक़्क़ी से एक ओर विकास तो दूसरी ओर विनाश होता है। आधुनिक विभिन्न कारे-वाहन, फैक्ट्री-मिल जहां विकास का चिन्ह है वहीं उनसे निकलने वाला जहरीला धुंआ विनाश का चिन्ह है। टेलीविजन, मोबाइल, लेपटॉप, आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स समान एक तरफ़ विकास का चिन्ह है तो इनसे उतपन्न रेडिएशन विनाश का चिन्ह हैं। प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग विकास का चिन्ह है और इनका अंधाधुंध अत्यधिक दोहन विनास का चिन्ह है। एंटीबायोटिक  दवाओं और टीकों का जितना लाभ है उससे ज्यादा उससे शरीर को होता नुकसान है। इस विनाश और प्रदूषण का कोई हल विज्ञान के पास नहीं है।

युगऋषि आचार्य श्रीराम जी ने अपनी पुस्तक यज्ञ एक समग्र उपचार में इसका हल दिया और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में यज्ञ रिसर्च की नींव रखी। इस विश्वविद्यालय से यज्ञ पर सर्वप्रथम यज्ञ पर पीएचडी डॉक्टर ममता सक्सेना ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या के मार्गदर्शन में किया।

बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉक्टर ममता सक्सेना ने दिल्ली पॉल्युशन बोर्ड के साथ मिलकर यज्ञ के प्रभाव को हवा में व्यापत प्रदूषण और रोगाणुओं पर किया। परिणाम आश्चर्यजनक थे। यज्ञ द्वारा औषधियों, आम की लकड़ी, मन्त्र शक्ति और व्यवस्थित तरीके से उतपन्न धुएं से हवा में व्यापत रोगाणु घटे, PM2.5 और PM10 भी घट गया। रेडिएशन भी यज्ञ के धुंए से घटा साथ ही घर की नकारात्मक एनर्जी दूर करने में भी सफलता प्राप्त की।

पीएचडी पूरी करने के बाद डॉक्टर ममता सक्सेना ने यग्योपैथी टीम बनाई जो कई प्रकार के इंस्ट्रूमेंट की सहायता से लाइव यज्ञ के प्रभाव को जनसामान्य को दिखाता है। वैज्ञानिक रिसर्च अनवरत इस पर चल रही है।

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में सेकंड बैच में आयुर्वेद की डॉक्टर वंदना ने भी यज्ञ पर पीएचडी कुलाधिपति डॉक्टर प्रणव पण्ड्या के मार्गदर्शन में किया। उन्होंने विभिन्न बीमारियों को यज्ञ चिकित्सा के माध्यम से ठीक किया , पूरे भारतवर्ष से लगभग 200 से 250 मरीज प्रतिवर्ष  यज्ञचिकित्सा से रोगों से निदान प्राप्त कर स्वास्थ्य प्राप्त करते हैं।

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय की डॉक्टर रुचि ने कई प्रकार के वैज्ञानिक परीक्षण यज्ञ के धुएं और उसकी राख के केमिकल एनालिसिस पर किया। उन्होंने ने पाया कि यज्ञ के धुएं में अनेक ऐसे तत्व होते है जो न सिर्फ़ प्रदूषण दूर करने में सहायक होते है, बल्कि रोगाणु भी नष्ट करते है। साथ ही मनुष्य के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। बंध्यापन और मानसिक रोगों के लिए तो यग्योपैथी राम बाण इलाज है।

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय और यहां से पीएचडी करने वाले डॉक्टर्स देश के विभिन्न हिस्सों में इस पर रिसर्च कर रहे हैं।

वृक्षारोपण और यज्ञ मात्र यही दो उपाय है जिनसे जीवन बच सकता है।

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