प्रश्न - *किसी भी शुभ अवसर पर यज्ञ क्यों करवाया जाता है? कृपया मार्गदर्शन करें*
उत्तर - धार्मिक कर्मकांड की यूँ तो अनेक विधियां है। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण यज्ञ है।
1- यज्ञ केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं अपितु अध्यात्म का विधिवत विज्ञान है।
2- यज्ञ अर्थात जीव और आत्मा के योग की क्रिया या जीव का आत्मा में विलय की क्रिया है।
3-यज्ञ शब्द के तीन अर्थ हैं- १- देवपूजा, २-दान, ३-संगतिकरण।
👉🏼 देव पूजन- अर्थात स्वयं के भीतर श्रेष्ठता का वरण करना।
👉🏼 दान - समाज की उन्नति कर(टैक्स) और दान(डोनेशन) पर ही निर्भर है। अतः श्रेष्ठ प्रयोजनों के निमित्त दान देने पर पुण्य मिलता है और देवता इंसान कहलाता है।
👉🏼 संगतिकरण का अर्थ है-संगठन। यज्ञ का एक प्रमुख उद्देश्य धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को सत्प्रयोजन के लिए संगठित करना भी है।
इस युग में संघ शक्ति ही सबसे प्रमुख है। मानवजाति की समस्या का हल सामूहिक शक्ति एवं संघबद्धता पर निर्भर है।
4- *यज्ञ का तात्पर्य है*- त्याग, बलिदान, शुभ कर्म।
5- अपने प्रिय खाद्य पदार्थों एवं मूल्यवान् सुगंधित पौष्टिक द्रव्यों को अग्नि एवं वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए यज्ञ द्वारा वितरित किया जाता है
6- पर्यावरण के समग्र उपचार की व्यवस्था यज्ञ से सम्भव है, औषधियों और गाय के घी से हवन करने पर :-
👉🏼पर्यावरण प्रदूषण नष्ट होता है।
👉🏼 वायु शुद्ध होती है और औषधियुक्त प्राणवायु फेफड़ो को साफ कर रक्त शुद्धि में भी सहायक है।
👉🏼 बादलों का निर्माण होता है, प्राण पर्जन्य की वर्षा होती है।
👉🏼 सम्बन्धित औषधियुक्त और मन्त्रशक्ति से सम्पन्न धूम्र के सेवन से रोगों से मुक्ति मिलती है, इस उपचार पद्धति को *यग्योपैथी* कहते है। *शांतिकुंज हरिद्वार में यग्योपैथी की ओपीडी* भी है जहां रोगियों का इलाज इसके माध्यम से होता है।
👉🏼 औषधियुक्त और मन्त्रशक्ति से सम्पन्न धूम्र ग्रहण करने से वृक्ष वनस्पतियों को पोषण मिलता है।
👉🏼 यज्ञ की भष्म भी औषधीय गुणों और मन्त्र अभिमन्त्रित होती है, जो अत्यंत उपयोगी है। जिसका नित्य एक चुटकी सेवन पेट के कीटाणुओ को नष्ट करता है। खेतो में डालने से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाता है। मष्तिष्क पर लगाने से नकारात्मक विचारों का शमन करता है।
👉🏼 मन्त्र से उतपन्न साउंड एनर्जी, यज्ञ की अग्नि से उतपन्न हीट एनर्जी, औषधियों के स्थूल तथा कारण एनर्जी और गौ घृत से चुम्बकीय(मैगनेट) औरा का निर्माण होता है जिसका असर 7 दिनों तक रहता है। उस क्षेत्र की नकारात्मक एनर्जी को या तो नष्ट कर देता है या दूर भगा देता है।
👉🏼 निगेटिव आयन जो मनुष्य के लिए जरूरी है उनमें वृद्धि कई गुना कर देता है।
👉🏼 मानसिक तरंगों को फ़ाईन ट्यून यज्ञ के दौरान करता है। विश्व मे मानसिक रोगों का एकमात्र सफ़ल इलाज़ यज्ञ से ही सम्भव है।
इत्यादि अनेक फ़ायदे हैं, जिनके कारण प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत यज्ञ द्वारा करवाने की विधि व्यवस्था आध्यात्मिक वैज्ञानिक रिसर्चर ऋषियों ने दी। यज्ञमय जीवन जीने वाला और नित्य यज्ञ करने वाला कभी रोगी नहीं होता। जिस घर मे नित्य यज्ञ होता है वहां कोई मानसिक रोगी नहीं होता। जिस घर मे नित्य यज्ञ होता है वहां धन - धान्य की कभी कमी नहीं होती। जहां यज्ञ होता है वो स्थान सिद्ध मन्दिर की तरह प्राणवान और मनोकामना पूर्ति करने वाला हो जाता है।
सामूहिक कई कुंडीय यज्ञ उपरोक्त लाभ को कई गुना बढ़ा देते है। यज्ञ एक समग्र उपचार पद्धति है। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र के साथ यज्ञ अनेक गुना लाभकारी है।
यज्ञ एक समग्र उपचार(यग्योपैथी) को यूनिवर्सिटी कोर्स की तरह देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में पढ़ाया जाता है। यहीं से यग्योपैथी पर पीएचडी की हुई डॉक्टर ममता सक्सेना ने दिल्ली पॉल्यूशन बोर्ड के साथ किये रिसर्च पर यह सिद्ध किया कि मन्त्रोच्चारण के साथ औषधीय हवन से प्रदूषण दूर होता है तथा हवा में व्याप्त रोगाणु नष्ट होते है।
यज्ञ से सम्बंधित ज्ञान विज्ञान वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा लिखित निम्नलिखित पुस्तकों में पढ़ें, इनकी पुस्तकों के आधार पर कई यूनिवर्सिटी में यज्ञ पर रिसर्च हुए हैं:-
1- यज्ञ एक समग्र उपचार
2- यज्ञ का ज्ञान विज्ञान
3- यज्ञ चिकित्सा
4- हमारा यज्ञ अभियान
5- Applied Science of Yagya for health & Environment
6- Reviving vedic the Vedik culture of Yagya
समस्त पुस्तकें ऑनलाइन फ्री पढ़ने के लिए निम्लिखित साइट विजिट करें:-
http://vicharkrantibooks.org
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - धार्मिक कर्मकांड की यूँ तो अनेक विधियां है। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण यज्ञ है।
1- यज्ञ केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं अपितु अध्यात्म का विधिवत विज्ञान है।
2- यज्ञ अर्थात जीव और आत्मा के योग की क्रिया या जीव का आत्मा में विलय की क्रिया है।
3-यज्ञ शब्द के तीन अर्थ हैं- १- देवपूजा, २-दान, ३-संगतिकरण।
👉🏼 देव पूजन- अर्थात स्वयं के भीतर श्रेष्ठता का वरण करना।
👉🏼 दान - समाज की उन्नति कर(टैक्स) और दान(डोनेशन) पर ही निर्भर है। अतः श्रेष्ठ प्रयोजनों के निमित्त दान देने पर पुण्य मिलता है और देवता इंसान कहलाता है।
👉🏼 संगतिकरण का अर्थ है-संगठन। यज्ञ का एक प्रमुख उद्देश्य धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को सत्प्रयोजन के लिए संगठित करना भी है।
इस युग में संघ शक्ति ही सबसे प्रमुख है। मानवजाति की समस्या का हल सामूहिक शक्ति एवं संघबद्धता पर निर्भर है।
4- *यज्ञ का तात्पर्य है*- त्याग, बलिदान, शुभ कर्म।
5- अपने प्रिय खाद्य पदार्थों एवं मूल्यवान् सुगंधित पौष्टिक द्रव्यों को अग्नि एवं वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए यज्ञ द्वारा वितरित किया जाता है
6- पर्यावरण के समग्र उपचार की व्यवस्था यज्ञ से सम्भव है, औषधियों और गाय के घी से हवन करने पर :-
👉🏼पर्यावरण प्रदूषण नष्ट होता है।
👉🏼 वायु शुद्ध होती है और औषधियुक्त प्राणवायु फेफड़ो को साफ कर रक्त शुद्धि में भी सहायक है।
👉🏼 बादलों का निर्माण होता है, प्राण पर्जन्य की वर्षा होती है।
👉🏼 सम्बन्धित औषधियुक्त और मन्त्रशक्ति से सम्पन्न धूम्र के सेवन से रोगों से मुक्ति मिलती है, इस उपचार पद्धति को *यग्योपैथी* कहते है। *शांतिकुंज हरिद्वार में यग्योपैथी की ओपीडी* भी है जहां रोगियों का इलाज इसके माध्यम से होता है।
👉🏼 औषधियुक्त और मन्त्रशक्ति से सम्पन्न धूम्र ग्रहण करने से वृक्ष वनस्पतियों को पोषण मिलता है।
👉🏼 यज्ञ की भष्म भी औषधीय गुणों और मन्त्र अभिमन्त्रित होती है, जो अत्यंत उपयोगी है। जिसका नित्य एक चुटकी सेवन पेट के कीटाणुओ को नष्ट करता है। खेतो में डालने से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाता है। मष्तिष्क पर लगाने से नकारात्मक विचारों का शमन करता है।
👉🏼 मन्त्र से उतपन्न साउंड एनर्जी, यज्ञ की अग्नि से उतपन्न हीट एनर्जी, औषधियों के स्थूल तथा कारण एनर्जी और गौ घृत से चुम्बकीय(मैगनेट) औरा का निर्माण होता है जिसका असर 7 दिनों तक रहता है। उस क्षेत्र की नकारात्मक एनर्जी को या तो नष्ट कर देता है या दूर भगा देता है।
👉🏼 निगेटिव आयन जो मनुष्य के लिए जरूरी है उनमें वृद्धि कई गुना कर देता है।
👉🏼 मानसिक तरंगों को फ़ाईन ट्यून यज्ञ के दौरान करता है। विश्व मे मानसिक रोगों का एकमात्र सफ़ल इलाज़ यज्ञ से ही सम्भव है।
इत्यादि अनेक फ़ायदे हैं, जिनके कारण प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत यज्ञ द्वारा करवाने की विधि व्यवस्था आध्यात्मिक वैज्ञानिक रिसर्चर ऋषियों ने दी। यज्ञमय जीवन जीने वाला और नित्य यज्ञ करने वाला कभी रोगी नहीं होता। जिस घर मे नित्य यज्ञ होता है वहां कोई मानसिक रोगी नहीं होता। जिस घर मे नित्य यज्ञ होता है वहां धन - धान्य की कभी कमी नहीं होती। जहां यज्ञ होता है वो स्थान सिद्ध मन्दिर की तरह प्राणवान और मनोकामना पूर्ति करने वाला हो जाता है।
सामूहिक कई कुंडीय यज्ञ उपरोक्त लाभ को कई गुना बढ़ा देते है। यज्ञ एक समग्र उपचार पद्धति है। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र के साथ यज्ञ अनेक गुना लाभकारी है।
यज्ञ एक समग्र उपचार(यग्योपैथी) को यूनिवर्सिटी कोर्स की तरह देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में पढ़ाया जाता है। यहीं से यग्योपैथी पर पीएचडी की हुई डॉक्टर ममता सक्सेना ने दिल्ली पॉल्यूशन बोर्ड के साथ किये रिसर्च पर यह सिद्ध किया कि मन्त्रोच्चारण के साथ औषधीय हवन से प्रदूषण दूर होता है तथा हवा में व्याप्त रोगाणु नष्ट होते है।
यज्ञ से सम्बंधित ज्ञान विज्ञान वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा लिखित निम्नलिखित पुस्तकों में पढ़ें, इनकी पुस्तकों के आधार पर कई यूनिवर्सिटी में यज्ञ पर रिसर्च हुए हैं:-
1- यज्ञ एक समग्र उपचार
2- यज्ञ का ज्ञान विज्ञान
3- यज्ञ चिकित्सा
4- हमारा यज्ञ अभियान
5- Applied Science of Yagya for health & Environment
6- Reviving vedic the Vedik culture of Yagya
समस्त पुस्तकें ऑनलाइन फ्री पढ़ने के लिए निम्लिखित साइट विजिट करें:-
http://vicharkrantibooks.org
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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