प्रश्न - *क्या विद्यार्थी जीवन मे सादगी और विनम्रता सफ़लता की कुंजी है? उदाहरण सहित समझाएं।*
उत्तर - सादगी और विनम्रता न सिर्फ़ विद्यार्थी के लिए अपितु उम्र के किसी भी मोड़ पर सफ़लता की कुंजी है।
विनम्रता बिना मोल मिलती है, लेकिन विश्व मे इससे बहुत कुछ खरीदा जा सकता है।
सादगी से बेहतर कोई सृंगार नहीं जो दुनियां में हमें सबसे खूबसूरत बनाता है।
अहंकार और दिखावा, भड़कीला वेशभूषा यह सिद्ध करता है कि हम अपूर्ण है, असुंदर है और सुंदरता के अपाहिज़ है और इसीलिए हमें भड़कीले मैकअप रूपी बैसाखी की जरूरत है। इनकी नज़र में रूप की गुण से ज्यादा जरूरत है, अतः ये अपना समय-साधन-श्रम रूप सज्जा में खर्च करते हैं।फ़ूहड़ और फ़टे जीन्स अंग प्रदर्शन वाले वस्त्र फैशन के नाम पर पहनने वाले कभी भी आपको उच्च पद पर नहीं मिलेंगे और न ही ऐसे लोग कभी भी कुछ श्रेष्ठ जीवन मे कर पाते हैं।
सादगी और विनम्रता यह आत्मविश्वास जगाती है, कि हम ओरिजिनल रूप में ही सुंदर ईश्वर की कृति है। रूप से गुण का महत्त्व अधिक है, इसलिए गुणों, ज्ञान, शक्ति,सामर्थ्य की अभिवृद्धि में समय-साधन खर्च करने चाहिए। इसीलिए सफलता ऐसे लोगों के कदम चूमतीं है। सफलता इनके चरणों की दासी होती है।
उदाहरण मैं हनुमान जी का यहां देना चाहूंगी। भगवान सूर्य से समस्त वेदों का ज्ञान और अस्त्र विद्या उनके साथ विनम्रता से चलते हुए ग्रहण की। यदि आप में से किसी ने भी रामायण पढ़ी हो तो आप पाएंगे सबसे ज़्यादा शक्तिशाली, बुद्धिमान और सफ़ल यदि श्रीराम सेना में कोई था तो वो श्री हनुमान जी थे। दूसरी तरफ़ आप यह भी पाएंगे कि सबसे बड़ा भक्त, विनम्र, सादगी युक्त कोई था तो वो भी श्री हनुमान जी ही थे।
वो बल का प्रदर्शन भी आवश्यकता पड़ने पर ही करते थे, बुद्धिबल से ही अधिकतर कार्य सम्पन्न करते थे। सुरसा को बुद्धिबल से मार्ग से हटाया, तो परछाई पकड़ने वाले राक्षस को बुद्धिबल और शक्ति से मार गिराया। गेट पर लंकिनी राक्षसी को मृत्युदंड नहीं दिया, विभीषण को समझ के विनम्रता और सादगी से मिले। माता सीता के समक्ष भी लघु रूप में विनम्रता से मिले। उनके अनुरोध पर ही शक्तिशाली रूप प्रकट किया। राक्षस पुत्र अच्छ कुमार को मारा और रावण की पूरी की पूरी लंका निर्भय होकर जला दी, फिर लौटकर उसी विनम्रता और सादगी से मां सीता विदाई ली और आकर उसी विनम्रता से श्रीराम के चरणों मे प्रणाम किया और मिले जैसे कुछ बड़ा किया ही न हो।
पूरे राम-रावण युद्ध मे कई जगह श्रीराम-श्रीलक्ष्मण के प्राण बचाये, फिर भी विनम्र होकर उनके चरणों मे बैठे। किसी रिस्की काम करने से पीछे नहीं हटे।
आज श्रीराम जी से ज्यादा हनुमान जी के मंदिर हैं, और भगवान राम जी का मंदिर हो या फ़ोटो बिना भक्त हनुमान के नहीं होती।
सादगी के आकर्षण के साथ, विनम्रता का आभूषण धारण करने वाला, सद्बुद्धि और सामर्थ्य के पंखों पर अपनी निश्चित जीवन लक्ष्य की ओर उड़ने वाले विद्यार्थी का जीवन सफल होता है।
सादगी और विनम्र रहने से प्रचण्ड आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, यह आत्मविश्वास विद्यार्थी को जीवनलक्ष्य तक पहुँचाता है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - सादगी और विनम्रता न सिर्फ़ विद्यार्थी के लिए अपितु उम्र के किसी भी मोड़ पर सफ़लता की कुंजी है।
विनम्रता बिना मोल मिलती है, लेकिन विश्व मे इससे बहुत कुछ खरीदा जा सकता है।
सादगी से बेहतर कोई सृंगार नहीं जो दुनियां में हमें सबसे खूबसूरत बनाता है।
अहंकार और दिखावा, भड़कीला वेशभूषा यह सिद्ध करता है कि हम अपूर्ण है, असुंदर है और सुंदरता के अपाहिज़ है और इसीलिए हमें भड़कीले मैकअप रूपी बैसाखी की जरूरत है। इनकी नज़र में रूप की गुण से ज्यादा जरूरत है, अतः ये अपना समय-साधन-श्रम रूप सज्जा में खर्च करते हैं।फ़ूहड़ और फ़टे जीन्स अंग प्रदर्शन वाले वस्त्र फैशन के नाम पर पहनने वाले कभी भी आपको उच्च पद पर नहीं मिलेंगे और न ही ऐसे लोग कभी भी कुछ श्रेष्ठ जीवन मे कर पाते हैं।
सादगी और विनम्रता यह आत्मविश्वास जगाती है, कि हम ओरिजिनल रूप में ही सुंदर ईश्वर की कृति है। रूप से गुण का महत्त्व अधिक है, इसलिए गुणों, ज्ञान, शक्ति,सामर्थ्य की अभिवृद्धि में समय-साधन खर्च करने चाहिए। इसीलिए सफलता ऐसे लोगों के कदम चूमतीं है। सफलता इनके चरणों की दासी होती है।
उदाहरण मैं हनुमान जी का यहां देना चाहूंगी। भगवान सूर्य से समस्त वेदों का ज्ञान और अस्त्र विद्या उनके साथ विनम्रता से चलते हुए ग्रहण की। यदि आप में से किसी ने भी रामायण पढ़ी हो तो आप पाएंगे सबसे ज़्यादा शक्तिशाली, बुद्धिमान और सफ़ल यदि श्रीराम सेना में कोई था तो वो श्री हनुमान जी थे। दूसरी तरफ़ आप यह भी पाएंगे कि सबसे बड़ा भक्त, विनम्र, सादगी युक्त कोई था तो वो भी श्री हनुमान जी ही थे।
वो बल का प्रदर्शन भी आवश्यकता पड़ने पर ही करते थे, बुद्धिबल से ही अधिकतर कार्य सम्पन्न करते थे। सुरसा को बुद्धिबल से मार्ग से हटाया, तो परछाई पकड़ने वाले राक्षस को बुद्धिबल और शक्ति से मार गिराया। गेट पर लंकिनी राक्षसी को मृत्युदंड नहीं दिया, विभीषण को समझ के विनम्रता और सादगी से मिले। माता सीता के समक्ष भी लघु रूप में विनम्रता से मिले। उनके अनुरोध पर ही शक्तिशाली रूप प्रकट किया। राक्षस पुत्र अच्छ कुमार को मारा और रावण की पूरी की पूरी लंका निर्भय होकर जला दी, फिर लौटकर उसी विनम्रता और सादगी से मां सीता विदाई ली और आकर उसी विनम्रता से श्रीराम के चरणों मे प्रणाम किया और मिले जैसे कुछ बड़ा किया ही न हो।
पूरे राम-रावण युद्ध मे कई जगह श्रीराम-श्रीलक्ष्मण के प्राण बचाये, फिर भी विनम्र होकर उनके चरणों मे बैठे। किसी रिस्की काम करने से पीछे नहीं हटे।
आज श्रीराम जी से ज्यादा हनुमान जी के मंदिर हैं, और भगवान राम जी का मंदिर हो या फ़ोटो बिना भक्त हनुमान के नहीं होती।
सादगी के आकर्षण के साथ, विनम्रता का आभूषण धारण करने वाला, सद्बुद्धि और सामर्थ्य के पंखों पर अपनी निश्चित जीवन लक्ष्य की ओर उड़ने वाले विद्यार्थी का जीवन सफल होता है।
सादगी और विनम्र रहने से प्रचण्ड आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, यह आत्मविश्वास विद्यार्थी को जीवनलक्ष्य तक पहुँचाता है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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