Monday, 9 April 2018

प्रश्न - *यदि आपके हाथ में सत्ता होती तो ऐसे कौन से कार्य करती जिससे देश में बदलाव आता?*

प्रश्न - *यदि आपके हाथ में सत्ता होती तो ऐसे कौन से कार्य करती जिससे देश में बदलाव आता?*

उत्तर - जैसा कि आप सब मेरे फेसबुक पेज (awgp.vicharkranti) में देख सकते हो कि मेरे *परमपूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के युगसाहित्य अध्ययन और गायत्री साधना* ये ही मेरे जीवन का अंग है तो उन्ही के विचारों से प्रेरणा लेकर मैं गायत्री की त्रिपदा शक्ति को देश मे स्थापित करती। विकृत चिंतन से उपजी समस्या का समाधान सदचिन्तन से सम्भव है।

त्रिपदा गायत्री की तीन शक्ति है - लक्ष्मी, सरस्वती और काली/दुर्गा
जिसे क्रमशः ॐ की तीन अक्षर - अ, उ, म से समझ सकते हैं। या उसे क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी कह सकते है। सद्बुद्धि, समृद्धि और सुरक्षा।

*सबसे पहले सरस्वती/ज्ञान शक्ति पर कार्य करती।*

वर्तमान अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली शरीर से भारतीय और दिमाग से अंग्रेज पैदा कर रही है। इस कारण देशभक्ति और राष्ट्रचरित्र के अभाव में लूटेरे प्रवृति के ये लोग जिस भी फील्ड में सेवा दे रहे हैं भ्रष्टाचार फैला रहे है।

इस समस्या के समाधान हेतु शिक्षकों को देश का सर्वोच्च सम्मान देती, शिक्षक केवल डिग्री के आधार पर नहीं बल्कि देश के विकास हेतू उनकी सोच क्या है इस पर उनका चयन होता। शिक्षा का प्राइवेट सिस्टम हटा कर, इसका मैनेजमेंट पूर्व देशभक्त सैनिकों के हाथ में देती। जिस प्रकार देशभक्त सैनिक तैयार किये जाते है उसी तर्ज़ पर सब जगह फ़ौजी की तरह विद्यार्थी तैयार होते।शिक्षक चाणक्य की तरह क्लास में चंद्रगुप्त गढ़ते, और बाल संस्कार शाला से राष्ट्रचरित्र से ओतप्रोत युवा गढ़े जाते। एक 45 मिनट का पीरियड जप-ध्यान-योग प्राणायाम का होता, और एक 45 मिनट का पीरियड भारत के अजस्त्र अनुदान और भारतीय गौरवशाली इतिहास का अवश्य होता। लेटेस्ट आधुनिक उपकरणों से भरी लैब होती। सभी आधुनिक विधाओं की पढ़ाई के नींव में भारतीय संस्कृति होती। दिल और दिमाग से भारतीय देशभक्त युवा गढ़ती। तो ऐसे युवा जिस भी फील्ड में जाएंगे देशहित की सोचेंगे तो भारत का सुनहरा भविष्य निश्चित है। जो युवा नियमित ध्यान-योग-स्वाध्याय करेगा, फिर भला किसकी हिम्मत जो उसे नशे के व्यसन में धकेल सके या भ्रष्टाचार करवा सके....तो देश व्यसनमुक्त हो ही जायेगा।

*लक्ष्मी शक्ति* - अर्थात अर्थनीति। भारत एक कृषि प्रधान देश है। 80% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। तो कृषि और पशुपालन भारत की अर्थव्यवस्था की नींव है, खेती में आधुनिक तरीके से प्राचीन पद्धति का उपयोग और किसान को   उसकी मेहनत का मूल्य सही ढंग से मिले इस हेतु व्यवस्था बनाना। अर्थात किसान निश्चिंत रहे कि फ़सल उगाई तो मूल्य कम से कम इतना तो मिलेगा ही। वृक्ष बीमा अभियान चलाती जितने पेड़ लगाओगे उतना सुरक्षा बीमा पाओगे।

20% औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में भी पहले राष्ट्रहित को प्राथमिकता देती। औद्योगिक क्षेत्र के पॉल्यूशन पर नियंत्रण प्रथम दिन से होता।

जब पेड़ लगाने के फ़ायदे पेड़ काटने से ज्यादा होंगे तो हरियाली तो रहेगी ही। सबको फ़ायदा चाहिए ही।

टैक्स - नागरिक कर और मंदिरों के दान लोककल्याण में लगता। मन्दिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारे को अपने दान का 80% रोड, हॉस्पिटल, स्कूल, ग़रीब बच्चो की शिक्षा और गरीबो के मुफ्त इलाज में खर्च करनी पड़ेगी। भगवान का पैसा इंसान अपने पर्सनल काम मे नहीं ले सकता। पुरोहित/फादर/मौलवी/गुरुसेवक को सैलरी मिलेगा और बाकी से मन्दिर/चर्च/मस्जिद/गुरुद्वारे का मेंटेनेंस होगा। धार्मिक संस्थान को भी औद्योगिक संस्थानों की तरह पॉल्यूशन दूर करने और साफ सफाई का व्यवस्था रखना पड़ेगा। इसका ऑडिट होगा।

*काली/दुर्गा शक्ति* - सैनिक बनने के बाद एक युवा निश्चिंत हो जाये। यदि वो शहीद हो भी जाये तो उसके परिवार का भरण पोषण जैसे वो जीवित रहते हुए कर रहा है वैसे उसके मरने के बाद भी होगा। तो देश के लिए मर मिटने को युवा तैयार रहेगा और देश की चौबंद सुरक्षा रहेगी।

पुलिस/CRPF/ट्रैफ़िक पुलिस इत्यादि यदि कर्तव्यों के निर्वहन करते हुए ड्यूटी पर शहीद होता तो उसे भी सैनिक की तरह शहीद का सम्मान मिलता। देश के अंदर या सीमापर जहां भी देशहित जो शहीद होगा वो शहीद है।

सुरक्षित भारत तब होगा जब सुरक्षा में लगा सैनिक आस्वस्त होगा कि उसके शहीद होने के बाद भी उसका परिवार सुरक्षित और व्यवस्थित रहेगा।

दो से अधिक बच्चे पैदा करना राष्ट्रद्रोह घोषित करवाउंगी। अपने स्वार्थ हेतु समाज पर बोझ डालना राष्ट्रद्रोह है। क्योंकि एक बच्चा समाज की कई सारी चीज़ें उपयोग करेगा, हवा, पानी, जल, रहने को घर, शिक्षा, गाड़ी, जॉब इत्यादि कई चीज़े उसे चाहिए जिसकी सप्लाई समाज करता है।

ड्रग्स जैसे व्यसन के समान बेचना और खरीदना दोनो राष्ट्रद्रोह है। क्योंकि यदि एक भी युवा इससे बर्बाद होता है तो यह देश की सबसे बड़ी क्षति होगी। आतंकवादियों के लिए जो दण्ड व्यवस्था वैसी ही कठोर दंड व्यवस्था व्यसन के व्यापारियों के लिए भी लागू होगी।

*अब प्रश्न यह उठेगा ये केवल एक दिन में सम्भव नहीं, इस व्यवस्था को अमल में लाने के लिए ईमानदार लोग/ईमानदार नौकरशाह कहाँ से आएंगे? तो इसका एक समाधान है विचारपरिवर्तन से, लोगों को साधक बनाना, उनकी सोई चेतना जगाना। यह कार्य गुरुदेव ने शुरू करवा दिया है। गायत्री परिजन/डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन और अन्य भले धार्मिक सन्स्थान के सदस्य विचारक्रांति हेतु नित्य प्रयास कर रहे हैं। महाकाल परमपूज्य गुरुदेव ने कहा है तो युग परिवर्तन/युगनिर्माण तो होकर ही रहेगा*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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