महिला शसक्तीकरण मानसिक विकास कार्यशाला (Women Empowerment Mind Skill Development Workshop) पोस्ट जरूरत से ज्यादा बड़ी है... धैर्य का परिचय देते हुए पढ़ लें...
मानव जीवन सुनहरे भविष्य की सम्भावनाओं को अपने सद्बुद्धि, पुरुषार्थ, उद्यमी, मेहनत, लगन से साकार करने के लिए मिला है। इस खूबसूरत जीवन की खूबसूरती परिस्थिति पर निर्भर नहीं करती वरन मजबूत आत्मविश्वास से भरी मनःस्थिति पर निर्भर करती है। आप हनुमान से शक्तिशाली है, हम तो यहां जाम्बवान की तरह आपके अंदर छुपी शक्ति से परिचय करवाने आये है। आप सभी शक्तिसम्पन्न हनुमान को बस आपका बल याद दिलाने आये है।
अक्ल बड़ी की भैंस? वाली कहावत सबने सुनी होगी। शरीर बल से जो कार्य नहीं हो सकता उसे बुद्धि बल के प्रयोग से आसानी से किया जा सकता है। बुद्धिबल में स्त्री पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कमज़ोर नहीं हैं। अतः आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बने तो बहुत अच्छा है, लेकिन यदि होम मेकर बन रहे हो तो पति को पता होना चाहिए कि ये महान उत्तरदायित्व आप उठा रहे हो तो आप आत्मनिर्भर हो। क्योंकि घर सम्हालना भी रोजगार है।
जब किसी मशीन का लम्बे वक्त तक उपयोग न करो तो उसमें जंग लग जाता है, इसी तरह बुद्धि का प्रयोग लम्बे समय से न करने पर उसमे भी जंग लग जाता है। जिस तरह मशीनों को साफ़ करके ग्रीस और तेल डालकर उसे चलाते रहने से उसकी गुणवत्ता बनी रहती है, उसी तरह मानव दिमाग को नित्य जप-ध्यान-प्राणायाम-स्वाध्याय द्वारा चुस्त दुरुस्त एक्टिव और शार्प बनाया जा सकता है। दोनो हाथों से नित्य एक पेज भी गायत्री मन्त्रलेखन बुद्धि की शार्पनेस को बढ़ाता है।
गाड़ी खरीदो लेकिन चलाओ न तो क्या फ़ायदा? इसी तरह बुद्धि होकर भी उसका प्रयोग सृजन हेतु न करो तो क्या फ़ायदा?
देवत्व और असुरत्व दोनों विचारधारा के बीज मानव मष्तिष्क में मौजूद है। देवत्व के पोषण के लिए असुरत्व के विचारों का शमन आत्मशोधन द्वारा अति अनिवार्य है। जागरूक चैतन्य रहकर ही इस पर कार्य किया जा सकता है।
असुरतत्व विचारधारा के व्यक्ति अपनी बुद्धि का विध्वंस हेतु प्रयोग करते हैं, आजकल आतंकवाद इतना बड़ा विश्व के लिये संकट और सरदर्द बना हुआ है, क्योंकि आतंकवाद में सुपर ब्रेन लगे हुए हैं। इस आतंकवाद को रोकने हेतु भी देवत्व विचारधारा के उच्च गुणवत्ता वाले सुपर ब्रेन ही चाहिए।
विकृत चिंतन से उपजी समस्या सदचिन्तन से ही रोकी जा सकेगी। विचारपरिवर्तन/विचारक्रांति ही एक मात्र समाधान है:-
स्वयं के मन को देखो समझो ध्यान से तो पाओगे कि मन जो स्वास्थ्यकर नहीं है उस ओर भागता है, स्वाद और चटोरापन कितना शरीर को नुकसान देता है कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति यह समझ सकता है। इसी तरह व्यसन, केमिकल मैकअप और फ़ैशन त्वचा के लिए और स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक है, फिर भी असुरत्व विचारधारा हमें इस ओर प्रेरित करती है।
मान लो यदि आप एक कम्पनी के मालिक हो और एक बहुत बहुमूल्य सामान है जिसे अत्यंत सावधानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाना है या उपयोग करना है, तो आप ये जिम्मेदारी किसको सौंपेंगे? आप सबका उत्तर होगा जो सबसे योग्य एम्प्लोयी होगा उसे सौंपेंगे ये जिम्मेदारी, सही कहा न...
सन्तान उत्पादन एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है, बहुमूल्य जीवन को शरीर देना और उसे अपने रक्त मांस से विनिर्मित करना, रक्त को प्रेम से दूध बना कर पिलाना और उसे पाल पोस के बड़ा करना यह काम हम स्त्रियों को भगवान ने दिया। इसका अर्थ यह है कि हम भगवान की सबसे योग्य एम्प्लोयी हैं। और भगवान ने जो भरोसा हम पर दिखाया है उस जिम्मेदारी का कुशलता पूर्वक निर्वहन करने में हमे खुशी होनी चाहिए और गर्व भी। जब भगवान की दृष्टि में हम योग्य है तो फ़िर स्त्री होने में गर्व होना चाहिए न कि हींन भावना होनी चाहिए।
अब दूसरा उदाहरण, मान लो आपने कुत्ता पाला, और उस कुत्ते ने किसी अन्य आम नागरिक को काट दिया तो सज़ा किसको मिलेगी। FIR कुत्ते पर होगी या मालिक पर? मालिक पर यही उत्तर है न आपका..
तो सन्तान को जन्म हमने दिया तो यदि वो गलत राह पर चलके किसी को नुकसान पहुंचाता है तो उसके लिए भी जिम्मेदारी हमारी बनेगी। अतः बच्चो को अच्छे संस्कार और भारतीय संस्कृति से जोड़ना हमारा कर्तव्य है।
स्त्री को स्त्री की मदद करनी होगी आगे बढ़ने में, यदि किसी लड़की को कोई लड़का परेशान करता है। तो उस लड़की को 20-25 लड़कियों का समूह लेकर उस लड़के को सबक सिखाना चाहिए। संगठन में शक्ति होती है, संगठित रहिये और महिला मंडल बनाइये। कोई लड़का हिम्मत भी न कर सकेगा संगठन की लड़की को देखने की।
अपने महिला मंडल की 20-25 बहनों को स्वयं सुरक्षा हेतु कुछ तकनीक सिखाइये और स्वयं भी अपनाईये:-
1- पहला नित्य जप-ध्यान-प्राणायाम-स्वाध्याय से आत्मबल एकत्रित कीजिये। स्वयं के मन को अच्छे संस्कारो और विचारों से विनिर्मित करें।
2- जुडो-कराते-ताइक्वांडो इत्यादि की ट्रेनिंग स्वयं करिए और अपने ग्रुप जो करवाइये।
3- जेब मे लाल मिर्च का पावडर, मिर्च स्प्रे, पेपर कटर वाली नाइफ, पेन हमेशा साथ रखिये।
4- यदि कभी इज्जत या जान पर बन आये तो स्वयं शहीद होने से पहले दुष्ट का विनाश करके मरना। जिससे वो किसी अन्य स्त्री के साथ दुराचार करने योग्य न बचे।
5- कोई परेशान करे या छेड़े तो आंखों से घूरते वक्त मन ही मन गायत्री मंत्र पढ़कर पूरे आत्मबल से दृष्टिपात उस पर करना जिससे वो भयभीत हो जाये आत्मविश्वास देख के।
6- जब तक जरूरत न हो बेवजह कहीं अकेले उलझना मत। लेकिन यदि कोई मजबूर करे तो पीछे उसे छोड़ना मत। रानी लक्ष्मीबाई भी एक स्त्री ही थी लेकिन अंग्रेजो के दांत खट्टे कर डाले थे।
7- कभी भी जरूरत पड़ने पर पुलिस कम्प्लेन करने अकेले मत जाना किसी न किसी के साथ जाना। धैर्य के साथ मोबाइल ऑन रख के ऑडियो रिकॉर्ड कर लेना। सबूत जरूरी होता है।
8- कभी भी ऑफिस में बॉस बदतमीज़ी करें, तो पहले धैर्य के साथ उसके खिलाफ, ऑडियो, वीडियो सबूत बत्तमीज़ी के एकत्र करो और उसकी पत्नी को या घर वालो को किसी दूसरे नम्बर से भेज दो। साथ मे डेटा सुरक्षित रखो।
9- ऑफिस में एक सदवाक्य गुरुदेव का लगाओ, लैपटॉप की स्क्रीन में भी सदवाक्य लगाओ। अच्छे साहित्य सबको जन्मदिन या अन्य अवसर पर भेंट करो। कभी भी अपनी शोशल मीडिया में अपने अकेले की फ़ोटो डीपी में न लगाएं। जिससे कोई उसका दुरुयोग करे उसे एडिट करके तो, आप उस ग्रुप फोटो को दिखा सकें। अच्छा तो यही होगा एक सदवाक्य डीपी में लगाएं।
10- इंटरनेट की दुनियां बहुत असुरक्षित है, अतः अपने मोबाइल, लैपटॉप, जरूरी वेबसाइट या ईमेल का पासवर्ड किसी के सामने टाइप न करें। सुरक्षित डेटा रखें। साइट उपयोग के बाद हिस्ट्री हमेशा डिलीट कर दें।
11- पब्लिक मॉल या शॉप या होटल में बाथरूम या चेंजिंग रूम उपयोग से पहले वहां लगे सीसे/दर्पण को चेक करें फिंगर उस पर रख के, यदि उनमे दूरी है तो ठीक है। यदि नहीं तो दूसरा व्यक्ति कांच के उस पार से आपको देख रहा है। छुपे हुए कैमरे पर भी दृष्टि दौड़ाए। जब सबकुछ सेफ लगे तभी वाशरूम या चेंजिंग रूम प्रयोग में ले।
12. घर से निकलते वक्त माता-पिता या पति या बहन को सूचित कर दें, और लौटने का वक्त, जिससे यदि कोई दुर्घटना भगवान न करे कभी हो तो उस वक्त सही समय पर आपको मदद मिल सके।
13. जब साधू सन्तो की भी अप्सरायें अभद्र ड्रेस और नृत्य से उनकी तपस्या भंग कर देती हैं। तो आम इंसान पुरुष तो और भी ज्यादा कमज़ोर मानसिकता के हैं। यदि कॉलेज, ऑफिस, पार्टी में कम वस्त्रों में डांस करेंगी तो इनका चरित्र गिरना तय होता है। शराब/ड्रग्स पीने के बाद देवत्व विदा हो जाता है और असुरत्व/पिशाच बाहर चरित्र में आ जाता है। अतः जहां शराब/ड्रग्स पार्टी हो वहां कोशिस करें न जाएं। यदि जाना भी पड़े ऑफ़िस कार्य मे मजबूरी में तो सुरक्षा हेतु पर्स में लाल मिर्च , पेन और पेपर कटर जरूर साथ रखें।
14. जमाना कितना भी आधुनिक हो जाये, घोड़े और घास की दोस्ती सम्भव नहीं है। उसी तरह लडक़ी(घास) है और लड़के(घोड़े), एकांत मिलते ही मुंह मारने की कोशिश करेंगे। अतः एकांत में किसी भी जान पहचान या अनजान किसी से भी न मिले। मजबूरी में ऑफिस कार्य मे मिलना भी पड़े तो गुरुदेव-माताजी का आह्वाहन करके उन्हें साथ ले लें।
15. अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है, अपनी सुरक्षा अपने हाथ है। मन से मन की राह होती है। मन हमेशा मजबूत रखे, सब मेरे साथ अच्छा ही होगा ये विश्वास रखे। गुरुदेव-माताजी मेरे साथ है इसपर दिल से यकीन रखे।
16. बच्चो के समक्ष कभी भी जीवनसाथी से वाद-विवाद न करें। जो भी विवाद हो एकांत में निपटारण करें।
17. पति-पत्नी एक दूसरे के सहयोगी है, पूरक है। विरोधी नहीं है, अतः विवाह के बाद मित्रवत रहें, एक दूसरे का सम्मान करें। गृहस्थ एक तपोवन बनाये और सुखपूर्वक रहें, बच्चो के उत्तदायित्व का मिलकर निर्वहन करें। यदि आप पति की आर्थिक कमाई कर मदद कर रहे है तो घर में पति से गृह कार्य मे निःसंकोच हो मदद लें। समाज सेवा हेतु भी अंशदान-समयदान करें।समाज के निर्माण का दायित्व भी पूरा करें।
18. भगवान उनकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते है। भगवान सही समय पर सही बुद्धि देता है, यदि भगवान से लिंक बनाये रखोगे, अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनोगे, गायत्री मंत्र का GPS साथ रखोगे तो जीवन मे कभी नहीं भटकोगे। 18 सत्संकल्प रोज पढ़े, और अखण्डज्योति के स्वाध्याय के बाद ही सोएं। बिन पूजन भोजन नहीं, और बिन स्वाध्याय शयन नहीं , इस जीवन मन्त्र को कभी न भूलें।
आप सभी बच्चियों के उज्ज्वल भविष्य की हम प्रार्थना करते हैं।
ॐ शांति
कोई प्रश्न हो तो पूंछे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
मानव जीवन सुनहरे भविष्य की सम्भावनाओं को अपने सद्बुद्धि, पुरुषार्थ, उद्यमी, मेहनत, लगन से साकार करने के लिए मिला है। इस खूबसूरत जीवन की खूबसूरती परिस्थिति पर निर्भर नहीं करती वरन मजबूत आत्मविश्वास से भरी मनःस्थिति पर निर्भर करती है। आप हनुमान से शक्तिशाली है, हम तो यहां जाम्बवान की तरह आपके अंदर छुपी शक्ति से परिचय करवाने आये है। आप सभी शक्तिसम्पन्न हनुमान को बस आपका बल याद दिलाने आये है।
अक्ल बड़ी की भैंस? वाली कहावत सबने सुनी होगी। शरीर बल से जो कार्य नहीं हो सकता उसे बुद्धि बल के प्रयोग से आसानी से किया जा सकता है। बुद्धिबल में स्त्री पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कमज़ोर नहीं हैं। अतः आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बने तो बहुत अच्छा है, लेकिन यदि होम मेकर बन रहे हो तो पति को पता होना चाहिए कि ये महान उत्तरदायित्व आप उठा रहे हो तो आप आत्मनिर्भर हो। क्योंकि घर सम्हालना भी रोजगार है।
जब किसी मशीन का लम्बे वक्त तक उपयोग न करो तो उसमें जंग लग जाता है, इसी तरह बुद्धि का प्रयोग लम्बे समय से न करने पर उसमे भी जंग लग जाता है। जिस तरह मशीनों को साफ़ करके ग्रीस और तेल डालकर उसे चलाते रहने से उसकी गुणवत्ता बनी रहती है, उसी तरह मानव दिमाग को नित्य जप-ध्यान-प्राणायाम-स्वाध्याय द्वारा चुस्त दुरुस्त एक्टिव और शार्प बनाया जा सकता है। दोनो हाथों से नित्य एक पेज भी गायत्री मन्त्रलेखन बुद्धि की शार्पनेस को बढ़ाता है।
गाड़ी खरीदो लेकिन चलाओ न तो क्या फ़ायदा? इसी तरह बुद्धि होकर भी उसका प्रयोग सृजन हेतु न करो तो क्या फ़ायदा?
देवत्व और असुरत्व दोनों विचारधारा के बीज मानव मष्तिष्क में मौजूद है। देवत्व के पोषण के लिए असुरत्व के विचारों का शमन आत्मशोधन द्वारा अति अनिवार्य है। जागरूक चैतन्य रहकर ही इस पर कार्य किया जा सकता है।
असुरतत्व विचारधारा के व्यक्ति अपनी बुद्धि का विध्वंस हेतु प्रयोग करते हैं, आजकल आतंकवाद इतना बड़ा विश्व के लिये संकट और सरदर्द बना हुआ है, क्योंकि आतंकवाद में सुपर ब्रेन लगे हुए हैं। इस आतंकवाद को रोकने हेतु भी देवत्व विचारधारा के उच्च गुणवत्ता वाले सुपर ब्रेन ही चाहिए।
विकृत चिंतन से उपजी समस्या सदचिन्तन से ही रोकी जा सकेगी। विचारपरिवर्तन/विचारक्रांति ही एक मात्र समाधान है:-
स्वयं के मन को देखो समझो ध्यान से तो पाओगे कि मन जो स्वास्थ्यकर नहीं है उस ओर भागता है, स्वाद और चटोरापन कितना शरीर को नुकसान देता है कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति यह समझ सकता है। इसी तरह व्यसन, केमिकल मैकअप और फ़ैशन त्वचा के लिए और स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक है, फिर भी असुरत्व विचारधारा हमें इस ओर प्रेरित करती है।
मान लो यदि आप एक कम्पनी के मालिक हो और एक बहुत बहुमूल्य सामान है जिसे अत्यंत सावधानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाना है या उपयोग करना है, तो आप ये जिम्मेदारी किसको सौंपेंगे? आप सबका उत्तर होगा जो सबसे योग्य एम्प्लोयी होगा उसे सौंपेंगे ये जिम्मेदारी, सही कहा न...
सन्तान उत्पादन एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है, बहुमूल्य जीवन को शरीर देना और उसे अपने रक्त मांस से विनिर्मित करना, रक्त को प्रेम से दूध बना कर पिलाना और उसे पाल पोस के बड़ा करना यह काम हम स्त्रियों को भगवान ने दिया। इसका अर्थ यह है कि हम भगवान की सबसे योग्य एम्प्लोयी हैं। और भगवान ने जो भरोसा हम पर दिखाया है उस जिम्मेदारी का कुशलता पूर्वक निर्वहन करने में हमे खुशी होनी चाहिए और गर्व भी। जब भगवान की दृष्टि में हम योग्य है तो फ़िर स्त्री होने में गर्व होना चाहिए न कि हींन भावना होनी चाहिए।
अब दूसरा उदाहरण, मान लो आपने कुत्ता पाला, और उस कुत्ते ने किसी अन्य आम नागरिक को काट दिया तो सज़ा किसको मिलेगी। FIR कुत्ते पर होगी या मालिक पर? मालिक पर यही उत्तर है न आपका..
तो सन्तान को जन्म हमने दिया तो यदि वो गलत राह पर चलके किसी को नुकसान पहुंचाता है तो उसके लिए भी जिम्मेदारी हमारी बनेगी। अतः बच्चो को अच्छे संस्कार और भारतीय संस्कृति से जोड़ना हमारा कर्तव्य है।
स्त्री को स्त्री की मदद करनी होगी आगे बढ़ने में, यदि किसी लड़की को कोई लड़का परेशान करता है। तो उस लड़की को 20-25 लड़कियों का समूह लेकर उस लड़के को सबक सिखाना चाहिए। संगठन में शक्ति होती है, संगठित रहिये और महिला मंडल बनाइये। कोई लड़का हिम्मत भी न कर सकेगा संगठन की लड़की को देखने की।
अपने महिला मंडल की 20-25 बहनों को स्वयं सुरक्षा हेतु कुछ तकनीक सिखाइये और स्वयं भी अपनाईये:-
1- पहला नित्य जप-ध्यान-प्राणायाम-स्वाध्याय से आत्मबल एकत्रित कीजिये। स्वयं के मन को अच्छे संस्कारो और विचारों से विनिर्मित करें।
2- जुडो-कराते-ताइक्वांडो इत्यादि की ट्रेनिंग स्वयं करिए और अपने ग्रुप जो करवाइये।
3- जेब मे लाल मिर्च का पावडर, मिर्च स्प्रे, पेपर कटर वाली नाइफ, पेन हमेशा साथ रखिये।
4- यदि कभी इज्जत या जान पर बन आये तो स्वयं शहीद होने से पहले दुष्ट का विनाश करके मरना। जिससे वो किसी अन्य स्त्री के साथ दुराचार करने योग्य न बचे।
5- कोई परेशान करे या छेड़े तो आंखों से घूरते वक्त मन ही मन गायत्री मंत्र पढ़कर पूरे आत्मबल से दृष्टिपात उस पर करना जिससे वो भयभीत हो जाये आत्मविश्वास देख के।
6- जब तक जरूरत न हो बेवजह कहीं अकेले उलझना मत। लेकिन यदि कोई मजबूर करे तो पीछे उसे छोड़ना मत। रानी लक्ष्मीबाई भी एक स्त्री ही थी लेकिन अंग्रेजो के दांत खट्टे कर डाले थे।
7- कभी भी जरूरत पड़ने पर पुलिस कम्प्लेन करने अकेले मत जाना किसी न किसी के साथ जाना। धैर्य के साथ मोबाइल ऑन रख के ऑडियो रिकॉर्ड कर लेना। सबूत जरूरी होता है।
8- कभी भी ऑफिस में बॉस बदतमीज़ी करें, तो पहले धैर्य के साथ उसके खिलाफ, ऑडियो, वीडियो सबूत बत्तमीज़ी के एकत्र करो और उसकी पत्नी को या घर वालो को किसी दूसरे नम्बर से भेज दो। साथ मे डेटा सुरक्षित रखो।
9- ऑफिस में एक सदवाक्य गुरुदेव का लगाओ, लैपटॉप की स्क्रीन में भी सदवाक्य लगाओ। अच्छे साहित्य सबको जन्मदिन या अन्य अवसर पर भेंट करो। कभी भी अपनी शोशल मीडिया में अपने अकेले की फ़ोटो डीपी में न लगाएं। जिससे कोई उसका दुरुयोग करे उसे एडिट करके तो, आप उस ग्रुप फोटो को दिखा सकें। अच्छा तो यही होगा एक सदवाक्य डीपी में लगाएं।
10- इंटरनेट की दुनियां बहुत असुरक्षित है, अतः अपने मोबाइल, लैपटॉप, जरूरी वेबसाइट या ईमेल का पासवर्ड किसी के सामने टाइप न करें। सुरक्षित डेटा रखें। साइट उपयोग के बाद हिस्ट्री हमेशा डिलीट कर दें।
11- पब्लिक मॉल या शॉप या होटल में बाथरूम या चेंजिंग रूम उपयोग से पहले वहां लगे सीसे/दर्पण को चेक करें फिंगर उस पर रख के, यदि उनमे दूरी है तो ठीक है। यदि नहीं तो दूसरा व्यक्ति कांच के उस पार से आपको देख रहा है। छुपे हुए कैमरे पर भी दृष्टि दौड़ाए। जब सबकुछ सेफ लगे तभी वाशरूम या चेंजिंग रूम प्रयोग में ले।
12. घर से निकलते वक्त माता-पिता या पति या बहन को सूचित कर दें, और लौटने का वक्त, जिससे यदि कोई दुर्घटना भगवान न करे कभी हो तो उस वक्त सही समय पर आपको मदद मिल सके।
13. जब साधू सन्तो की भी अप्सरायें अभद्र ड्रेस और नृत्य से उनकी तपस्या भंग कर देती हैं। तो आम इंसान पुरुष तो और भी ज्यादा कमज़ोर मानसिकता के हैं। यदि कॉलेज, ऑफिस, पार्टी में कम वस्त्रों में डांस करेंगी तो इनका चरित्र गिरना तय होता है। शराब/ड्रग्स पीने के बाद देवत्व विदा हो जाता है और असुरत्व/पिशाच बाहर चरित्र में आ जाता है। अतः जहां शराब/ड्रग्स पार्टी हो वहां कोशिस करें न जाएं। यदि जाना भी पड़े ऑफ़िस कार्य मे मजबूरी में तो सुरक्षा हेतु पर्स में लाल मिर्च , पेन और पेपर कटर जरूर साथ रखें।
14. जमाना कितना भी आधुनिक हो जाये, घोड़े और घास की दोस्ती सम्भव नहीं है। उसी तरह लडक़ी(घास) है और लड़के(घोड़े), एकांत मिलते ही मुंह मारने की कोशिश करेंगे। अतः एकांत में किसी भी जान पहचान या अनजान किसी से भी न मिले। मजबूरी में ऑफिस कार्य मे मिलना भी पड़े तो गुरुदेव-माताजी का आह्वाहन करके उन्हें साथ ले लें।
15. अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है, अपनी सुरक्षा अपने हाथ है। मन से मन की राह होती है। मन हमेशा मजबूत रखे, सब मेरे साथ अच्छा ही होगा ये विश्वास रखे। गुरुदेव-माताजी मेरे साथ है इसपर दिल से यकीन रखे।
16. बच्चो के समक्ष कभी भी जीवनसाथी से वाद-विवाद न करें। जो भी विवाद हो एकांत में निपटारण करें।
17. पति-पत्नी एक दूसरे के सहयोगी है, पूरक है। विरोधी नहीं है, अतः विवाह के बाद मित्रवत रहें, एक दूसरे का सम्मान करें। गृहस्थ एक तपोवन बनाये और सुखपूर्वक रहें, बच्चो के उत्तदायित्व का मिलकर निर्वहन करें। यदि आप पति की आर्थिक कमाई कर मदद कर रहे है तो घर में पति से गृह कार्य मे निःसंकोच हो मदद लें। समाज सेवा हेतु भी अंशदान-समयदान करें।समाज के निर्माण का दायित्व भी पूरा करें।
18. भगवान उनकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते है। भगवान सही समय पर सही बुद्धि देता है, यदि भगवान से लिंक बनाये रखोगे, अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनोगे, गायत्री मंत्र का GPS साथ रखोगे तो जीवन मे कभी नहीं भटकोगे। 18 सत्संकल्प रोज पढ़े, और अखण्डज्योति के स्वाध्याय के बाद ही सोएं। बिन पूजन भोजन नहीं, और बिन स्वाध्याय शयन नहीं , इस जीवन मन्त्र को कभी न भूलें।
आप सभी बच्चियों के उज्ज्वल भविष्य की हम प्रार्थना करते हैं।
ॐ शांति
कोई प्रश्न हो तो पूंछे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
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