जब गुरुकार्य के लिए बाहर निकले, उसके लिए विशेस 5 गायत्री मन्त्र की माला जप लें।
प्रार्थना-
हे महाकाल! यह शरीर, मन, बुद्धि सब आपका वाहन है, इसे जहाँ चाहो अपने कार्य के लिए उपयोग ले लो। जो कार्य आपने सौंपा है उसमें सफ़लता मिले।
जहाँ आप हमें भेज रहे हो, हम वहां गुरुदेव माताजी आप ही विभिन्न रूपों में मिलना।
हम सबको मित्रवत् देखें, सब हमें मित्रवत् देखें।
इस कार्य की सफ़लता-असफलता सब कुछ आपको समर्पित। आप तो कंकड़-पत्थर से भी युगनिर्माण करवा सकते हो, लेकिन आपने हमें गुरुकार्य में निमित्त बनने का अवसर देने के लिए धन्यवाद् और आभार🙏🏻
हे जगतगुरु बुद्धिरथ पर सवार होकर सतत् यूँ ही मार्गदर्शन करते रहना। हम आपका आह्वाहन करते हैं साथ चलिए और यह कार्य पूर्ण करवा दीजिये।
प्रार्थना-
हे महाकाल! यह शरीर, मन, बुद्धि सब आपका वाहन है, इसे जहाँ चाहो अपने कार्य के लिए उपयोग ले लो। जो कार्य आपने सौंपा है उसमें सफ़लता मिले।
जहाँ आप हमें भेज रहे हो, हम वहां गुरुदेव माताजी आप ही विभिन्न रूपों में मिलना।
हम सबको मित्रवत् देखें, सब हमें मित्रवत् देखें।
इस कार्य की सफ़लता-असफलता सब कुछ आपको समर्पित। आप तो कंकड़-पत्थर से भी युगनिर्माण करवा सकते हो, लेकिन आपने हमें गुरुकार्य में निमित्त बनने का अवसर देने के लिए धन्यवाद् और आभार🙏🏻
हे जगतगुरु बुद्धिरथ पर सवार होकर सतत् यूँ ही मार्गदर्शन करते रहना। हम आपका आह्वाहन करते हैं साथ चलिए और यह कार्य पूर्ण करवा दीजिये।
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