Tuesday, 1 May 2018

प्रश्न - *दी मेरे विवाह को एक वर्ष हुआ है, घर में सब मुझसे अच्छे से बात करते हैं, गायत्री परिवार की होने के कारण सहज ही हम सबसे बात करते हैं, लेकिन मेरी जिठानी जी ऐसा लगता है मुझसे बात करना पसंद नहीं करती या कुछ और बात उनके मन में है

प्रश्न - *दी मेरे विवाह को एक वर्ष हुआ है, घर में सब मुझसे अच्छे से बात करते हैं, गायत्री परिवार की होने के कारण सहज ही हम सबसे बात करते हैं, लेकिन मेरी जिठानी जी ऐसा लगता है मुझसे बात करना पसंद नहीं करती या कुछ और बात उनके मन में है। कुछ पूंछने पर हाँ या ना में जवाब देती हैं। कभी बड़ा रूखा तो कभी उनके हाव-भाव में अहंकार झलकता है। मैं भी जॉब करती हूँ और वो भी जॉब करती हैं। वो बड़ी पोस्ट में है। मैं दुविधा में रहती हूँ कि इनसे बात करूं या नहीं। एक ही घर में बिन बोले रहना अजीब लगता है जहां सबसे अच्छे से बात होती हो लेकिन एक परिवार का सदस्य बात न करे। कृपया बताएं हम क्या करें?*

उत्तर - अगर कोई नज़रे चुराता है या अहंकार प्रदर्शित करता है या चुप रहता है। तो यह उनके बचपन से दिए संस्कार पर आधारित होता है। वह व्यवहार जल्दी नहीं बदलता। पता नहीं किस परिवार और परिस्थितियों का उन्हें अब तक सामना करना पड़ा हो यह तुम नहीं जानती।

दूसरी बात वो तुम्हारे घर की सदस्य है अतः कई बार तुमने पहल की अब उन्होंने बात किया तो ठीक नहीं किया तो ठीक...

 उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो, तुम्हारे मन में किसी को लेकर कोई द्वेष नहीं होना चाहिए।

अपनी दुनियां में तुम भी मस्त रहो, अपने हृदय के द्वार खुले रखो जब वो खटखटाएं तो जरूर उनके साथ मित्रवत व्यवहार करना। जब कुछ अच्छा पहनें उन्हें अच्छा कमेंट - जरूर दो, जैसे दी आप बहुत सुंदर लग रही हैं। कुछ किचन में बनाएं और अच्छा बने तो प्रसंशा भी जरूर करो। अपने हिस्से की ईमानदारी बरतो बस।

 सभी उंगलियां एक जैसी नहीं होती, उसी तरह सबके व्यवहार अलग अलग हैं।सबके सोचने का तरीका और जीवन के प्रति नज़रिया अलग होता है।तो उनकी अलग सोच हो ही सकती है।

जो जैसा है उसे वैसे ही रिश्तेदारी में स्वीकार करो, जैसे कि हम सब्जी के साथ करते हैं। करेले से उम्मीद नहीं करते कि वो मीठा हो जाये, भिंडी से यह नहीं कहते कि वो मोटी हो जाये। मिर्ची से यह नहीं कहते तुम खट्टी हो जाओ।

 हम क्या करते हैं, सब्जी के अनुसार मसाला तय करके उसे बना के खा लेते हैं। जिस प्रकार मसालों को थोड़ा बहुत बदल के सभी सब्जीयों को स्वादिष्ट बना के काम चला लेते हैं। वैसे ही रिश्तेदारों के व्यक्तित्व के अनुसार थोड़ा बहुत अपना व्यवहार में सामंजस्य करके काम चला लो।

 उन्हें बदलने और सुधारने में समय व्यर्थ न करो, और न ही यह सोचो वो मेरे बारे में क्या सोच रही है? वो मुझसे ख़ुश है या ईर्ष्या कर रही है? उनका मन है भाई, जो मर्जी आये सोचें वो तुम्हारे या किसी के बारे में भी सोचें, इसे सोचके तुम क्यों परेशान होगी भला?

हाँ तुम तो सबके लिए अच्छा ही सोचो जैसा तुम्हारा स्वभाव है। आत्मीयता विस्तार के अवसर मिलने पर हाथ से न जाने देंना। मुस्कुरा के अच्छे से ही बात करना। अब किसी रिश्तेदार को मुस्कुराना नहीं आता तो इसके लिए तुम क्या कर सकती हो😇।

अब अंत मे एक कहानी के माध्यम से इसे समझो:-

एक सज्जन परिवार ने घर खरीदा, लेकिन पड़ोसी उनका दुर्जन निकला। वो रोज उनके बगीचे में कचड़ा फेंक देता। पत्नी बच्चे परेशान हो गए पड़ोसी की इस हरकत से, सज्जन परिवार के लोगों ने तय किया कि सुबह मिलकर अच्छे फल तोड़कर उसके घर उसी तरह छुपकर रख आएंगे। जैसे वो हमारे घर कचरा रखता है। इस तरह एक सप्ताह किया, तो दुर्जन के परिवार वाले परेशान हो गए आख़िर बिन पैसे ताज़े और स्वादिष्ट फल कौन रख जाता है। एक दिन उन्होंने सज्जन परिवार को पकड़ लिया, और पूंछा ऐसा आप क्यों कर रहे हैं? सज्जन परिवार में पति-पत्नी बच्चे एक साथ बोल पड़े आप रोज हमारे घर कचरा रख आते थे चुपके चुपके, तो हमें इस उपकार कृत्य के बदले में कर्ज़ चुकाना था। अतः हम कचरे के बदले फ़ल आपको लौटा देते हैं, *आपके पास जो था(कचरा) वो आपने एक पड़ोसी के नाते व्यवहार के रूप में हमें दिया, अब हमारे पास जो है(अच्छे स्वादिष्ट फ़ल) वो हम आपको लौटा रहे हैं।

दुर्जन शर्मिंदा हुए और अपनी भूल सुधार ली। सज्जन के घर फिर कभी कचरा नहीं फेंका।

इसी तरह कोई रिश्तेदार आप के साथ कचरा व्यवहार करें, तो प्रतिदान में आप अच्छा व्यवहार करें। उस रिश्तेदार के हृदय में मष्तिष्क में जो भरा था वो मुंह के मार्ग से उसकी बोली में और व्यवहार के माध्यम से दिखाई दे रहा है। अब आपके मन मष्तिष्क में गुरुदेव के सद्विचार और आत्मीयता भरा हैं, आप बस वो छलकाइये, वाणी और व्यवहार  में अच्छा आचरण सज्जन पड़ोसी की तरह ही रखिये। *सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग* , *कोई मेरे बारे में क्या सोचेगा?* इन दो रोगों से मुक्ति पाइये और आप आनन्द में रहिये। गुलाब के पुष्प के पास राजा आये या भिखारी वो दोनों को समान सुंगंध देता है। इसी तरह आपके साथ रिश्तेदारी में कोई अच्छा व्यवहार करें या बुरा आप गुलाब के पुष्प की तरह अच्छा व्यवहार ही कीजिये🙏🏻 आनंदमय खिलखिलाता जीवन जियें।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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