गुरुगीता अनुष्ठान विधि🙏
👉आध्यात्मिक और सांसारिक सफलता के लिए, गृह क्लेश और बीमारी निवारण के लिए, पाप के शमन के लिए , उच्च आध्यात्मिक सफलता के लिए
🚩गुरुगीता श्री स्कन्द पुराण के उत्तरखंड में भगवान शंकर और माता पार्वती के संवाद के रूप में वर्णित है | इसका स्वाध्याय और अनुष्ठान पथ जन–जन के कल्याण और श्रद्धा संवर्धन के लिए है | गुरुगीता आपको किसी भी गायत्री चेतना केंद्र या शक्तिपीठ से मिल सकती है और इसका संपादन 👉डॉक्टर प्रणव पंड्या जी ने किये है |
👉इसके दो भाग है खंड “अ” और खंड “ब”. इस पुस्तक के खंड 👉ब. में इसकी शास्त्रोक्त अनुष्ठान पाठ विधी दी गयी है|
👉इसे क्रमशः 5 दिन, १० दिन, ३० दिन और ४० दिन की अवधी सुविधानुसार ली जा सकती है |
इस अनुष्ठान को किसी भी गुरुवार (Thursday) से प्रारम्भ किया जा सकता है |
👉इसके पाठ के साथ 5, 11, २१, 27 माला गायत्री जप की सुविधानुसार किया जाता है |
👉उदाहरण के तौर पर हम १० दिन के गुरुगीता अनुष्ठान बताते है :-
१- गुरुवार (Thursday) से प्रारम्भ किया
२- 11 माला गायत्री की और एक पाठ गुरुगीता का
३- षठ (६) कर्म करने के बाद, ईश्वर आवाहन
४- रोज खंड – ब को ही पढना है
५- पहले जल के साथ संकल्प, फिर जल के साथ गायत्री विनियोग, हृदय न्यास, कर न्यास, आवाहन
६- १० माला गायत्री जप
७- जल के साथ गुरुगीता विनियोग, हृदय न्यास, कर न्यास, आवाहन, ध्यान
८- गुरुगीता का पाठ
९- अंतिम में जल के साथ संकल्प, फिर जल के साथ गायत्री विनियोग, हृदय न्यास, कर न्यास, आवाहन
१०- एक माला गायत्री जप और एक माला गुरु मंत्र – “ॐ एं श्री राम आनंदनाथाय गुरुवे नमः ॐ “
११- विसर्जन , गुरुस्तुती
१२- नियमित १० दिन तक करना है, सिर्फ कम्बल या उन के बने आसन का ही प्रयोग करें |
👉आध्यात्मिक और सांसारिक सफलता के लिए, गृह क्लेश और बीमारी निवारण के लिए, पाप के शमन के लिए , उच्च आध्यात्मिक सफलता के लिए
🚩गुरुगीता श्री स्कन्द पुराण के उत्तरखंड में भगवान शंकर और माता पार्वती के संवाद के रूप में वर्णित है | इसका स्वाध्याय और अनुष्ठान पथ जन–जन के कल्याण और श्रद्धा संवर्धन के लिए है | गुरुगीता आपको किसी भी गायत्री चेतना केंद्र या शक्तिपीठ से मिल सकती है और इसका संपादन 👉डॉक्टर प्रणव पंड्या जी ने किये है |
👉इसके दो भाग है खंड “अ” और खंड “ब”. इस पुस्तक के खंड 👉ब. में इसकी शास्त्रोक्त अनुष्ठान पाठ विधी दी गयी है|
👉इसे क्रमशः 5 दिन, १० दिन, ३० दिन और ४० दिन की अवधी सुविधानुसार ली जा सकती है |
इस अनुष्ठान को किसी भी गुरुवार (Thursday) से प्रारम्भ किया जा सकता है |
👉इसके पाठ के साथ 5, 11, २१, 27 माला गायत्री जप की सुविधानुसार किया जाता है |
👉उदाहरण के तौर पर हम १० दिन के गुरुगीता अनुष्ठान बताते है :-
१- गुरुवार (Thursday) से प्रारम्भ किया
२- 11 माला गायत्री की और एक पाठ गुरुगीता का
३- षठ (६) कर्म करने के बाद, ईश्वर आवाहन
४- रोज खंड – ब को ही पढना है
५- पहले जल के साथ संकल्प, फिर जल के साथ गायत्री विनियोग, हृदय न्यास, कर न्यास, आवाहन
६- १० माला गायत्री जप
७- जल के साथ गुरुगीता विनियोग, हृदय न्यास, कर न्यास, आवाहन, ध्यान
८- गुरुगीता का पाठ
९- अंतिम में जल के साथ संकल्प, फिर जल के साथ गायत्री विनियोग, हृदय न्यास, कर न्यास, आवाहन
१०- एक माला गायत्री जप और एक माला गुरु मंत्र – “ॐ एं श्री राम आनंदनाथाय गुरुवे नमः ॐ “
११- विसर्जन , गुरुस्तुती
१२- नियमित १० दिन तक करना है, सिर्फ कम्बल या उन के बने आसन का ही प्रयोग करें |
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