Sunday 27 May 2018

नाटक - कुछ न कुछ तो देश के लिए करूँगा, और इसकी शुरुआत आज अभी से होगी*🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

*नाटक - कुछ न कुछ तो देश के लिए करूँगा, और इसकी शुरुआत आज अभी से होगी*🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

(सुबह सुबह फ़्रिज़ से चार पाँच बोतल बैग में आदित्य डाल रहा था, तभी उसकी माँ ने आवाज दी)

*मां* - आदित्य बेटा, नाश्ता लग गया है खा लो

*रवि* - अभी आया मां

(पापा ने माँ से पूँछा)
*पापा* - आपके साहबज़ादे क्या कर रहे हैं आजकल इतनी सारी बोतल का...क्या बाकी दोस्त पानी नहीं लाते है? ....और आज तो रविवार है कॉलेज और ट्यूशन दोनों नहीं है..फिर तुम जा कहाँ रहे हो?...कहीं मॉल वगैरह में फ़िल्म देखने?...

(पापा बात पूरी भी न हुई थी कि आदित्य के दोस्त कमल जो कि अभी अभी आया था बोल पड़ा)

*कमल* - अंकल जी हम इतने ख़ुश किस्मत नहीं कि हमारे आदित्य जी के हाथों का लाया पानी पी सकें, बल्कि इनके कारण हम सबको भी तीन चार बोतल एक्स्ट्रा ढोनी पड़ती है।

*पापा* - अच्छा, तो इतनी सारा पानी का तुम सब करते क्या हो?

*कमल* - अंकल जी आपके समाजसेवक पुत्र गरीब बच्चों और वृद्ध लोगो को पानी पिलाते हुये चलते हैं।

*पापा* - वाह, मतलब मां के समाजसेवा का असर बेटे पर भी बढ़िया है। और तुम लोग आजकल क्या कर रहे हो? आज रविवार को कहां जा रहे हो?

*आदित्य* - पापा, पास की झुग्गी झोपड़ी में बाल सँस्कार शाला चलाने जा रहे है मम्मी के साथ। इसलिए अपने दोस्तों को बुलाया है।

(बाकी दोस्त भी आ गए)

*दीप्ति* - मैं कुछ बिस्किट बच्चो कर लिए लाई हूँ, साथ मे बच्चो के लिए कुछ ब्रेन  गेम यूट्यूब से नोट करके लाई हूँ ।

*ईषना* - अंकल फ़िल्म देखने मे भी आनन्द नहीं मिलता जो आनन्द हमें बाल सँस्कार शाला के बच्चों के बीच आता है। जो प्यार जो अपनापन और जो उनके आंखों की चमक है वो मुझे सबसे अच्छी लगती है।

*कमल* - सबसे बड़ी बात अंकल जब हम सब आदित्य के साथ बाल सँस्कार शाला चला रहे होते हैं, तो एक गर्व की अनुभूति होती है। कि हम देश के लिए कुछ कर रहे हैं। हम देश का भविष्य गढ़ रहे हैं। अंकल अभी हम जॉब नहीं कर रहे लेकिन समय और अपनी प्रतिभा और ज्ञान का प्रयोग तो कर ही सकते हैं।

(थोड़ी देर में बेल बजती है, मां अंदर से आवाज़ देती है कि तुम्हारे सब दोस्त तो आ गए अब भला कौन आया होगा? तभी सब हतप्रभ रह जाते है, कि उनके प्रोफेशर सर को देखकर जो पत्नी के साथ आये थे)

*आदित्य* - नमस्ते सर, आप मुझे बता देते यदि कोई काम था। आपने आने की तकलीफ क्यों की?

*प्रोफेशर सर* - बेटा, हम तो तुम्हारे माता - पिता से मिलने आये है। उन्हें इतने अच्छे संस्कारवान बच्चा गढ़ने के लिए धन्यवाद देने आया हूँ।

*पापा और मम्मी* - सर ये तो आप सब की दी हुई शिक्षा है।

*प्रोफेशर सर* - जी नहीं, ये आपके सँस्कार है। पूरा कॉलेज आज पाश्चात्य के अंधानुकरण में उपद्रवी बन गया है। अभद्र वस्त्र और व्यसन आम बात है। लेकिन कलियुग में भी सतयुग की झलक आपका बच्चा और उसके दोस्त उसके प्रभाव में दिखाते है। एक दिन एक सवाल के जवाब में उसने कहा - सर, मै कुछ न कुछ तो 🇮🇳अपने देश के लिए करूंगा ही। तथा उसने उस दिन मुझे बाल सँस्कार शाला के बारे में बताया तो मैं और मेरी पत्नी आज वही देखने आए हैं।

(प्रोफेशर सर पत्नी से बोले)
अरे सुनो, बिस्किट के पैकेट दे दो जो हम लाये हैं बच्चो के लिए...तुम्हारी बाल सँस्कार शाला में तो 70 बच्चे है इसलिए हम 100 पैकेट ही ले आये।

(फिर उन्होंने आदित्य के पापा से पूँछा, ये सँस्कार आप लोगों को कहां से मिले)

*आदित्य के पापा*- सर हम लोग गायत्री परिवार से हैं। युवाओं को लोकसेवी और देशभक्ति के गुण हमारे परमपूज्य गुरुदेब युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य ने दिया है। उन्ही से प्रेरणा लेकर पूरे देश मे सप्त आंदोलन और शत सूत्रीय कार्यक्रम में आदित्य की तरह पूरे देश में युवा डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन के नाम से कर रहे हैं। पर्यावरण आंदोलन के तहत नदियों की सफाई के साथ साथ 150 से ज्यादा पहाड़ी हरी भरी कर दी, व्यसनमुक्ति के लिए तो ये युवा संकल्पित हैं। ऐसे अनेक कार्य गायत्री परिवार कर रहा है।

*प्रोफ़ेसर सर* - व्यसनमुक्ति का कोई कार्यक्रम आदित्य तुम लोग अपने कॉलेज में भी करो। हम पूरा सहयोग करेंगे।

*आदित्य* - जी सर जरूर,
(दीप्ति को कहा)
 दीप्ति जो बिस्किट तुम लाई हो मम्मी को दे दो, इसे नेक्स्ट वीक ले जाएंगे। आज तो बच्चो को हमलोग प्रोफेशर सर के लाये बिस्किट ही देंगे।

(सब मुस्कुराते हुए, नज़दीकी झुग्गी बस्ती के पार्क पहुंचते है। जहाँ बच्चे पहले से ही मौजूद थे। )

(फ़टाफ़ट दरी वग़ैरह बिछा के बच्चों को बिठाया गया। और आदित्य ने बच्चो को बोला ..)


*आदित्य* - पता है बच्चो आज आपसे मिलने और आपको पढ़ाने कौन आया है?

*बच्चे* - कौन आया है आचार्य जी?

*आदित्य* - आपके आचार्य जी के आचार्य जी और वो आपके लिए आज गिफ्ट में बिस्किट लाये हैं।

*बच्चे* - मतलब,  (दोनों हाथ फैलाकर एक साथ बोल पड़े) बहुत बड़े वाले आचार्य जी...

(बच्चो के ऐसा बोलने पर आदित्य के सब दोस्त और प्रोफेशर साहब अपनी हंसी रोक न सके😊😊😊 और उनके साथ सभी बच्चे भी खिलखिला के हंस दिए😂😂😂, फ़िर बच्चो ने गायत्री मंत्र, योग, प्राणायाम, कविता और विभिन्न मन्त्र उच्चारण किया। बच्चो को फ्री ट्यूशन के बाद नैतिक शिक्षा भी दी गयी। प्रोफेशर साहब और उनकी पत्नी इस पल में आनंद में डूब रहे थे। घर आकर भी इस पल की यादों में खोए रहे, उन 70 बच्चों की निर्मल हंसी को वो भूल नहीं पा रहे थे। सचमुच देश की सेवा केवल सीमा पर नहीं होती, केवल धन से नहीं होती, बल्कि समय दान और प्रतिभा दान करके भी देश सेवा की जा सकती है।)

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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