Sunday 27 May 2018

नाटक - दिमाग़ को सन्तुलित विचार, आराम और व्यायाम चाहिए। नशा नहीं चाहिए।

*नाटक - दिमाग़ को सन्तुलित विचार, आराम और व्यायाम चाहिए। नशा नहीं चाहिए।*

(डॉ रेखा और प्रकाश जी ने अपने पुत्र जतिन को अच्छे सँस्कार देकर बड़ा किया था। डॉक्टर होने के नाते वो अध्यात्म को वैज्ञानिकता के साथ अपने दोनों बच्चों को समझाती थीं। जब बड़ा बेटा वक़ालत की पढ़ाई करने महाराष्ट्र जा रहा था, तो मां ने बच्चे को कुछ साहित्य देते हुए कहा था कि बेटे युगऋषि के यदि साहित्य का नित्य स्वाध्याय करोगे और नित्य गायत्री मंत्र का जप करोगे तो तुम्हारा जीवन चन्दन की तरह सुगन्धित होगा, कुसंस्कारी संताने जो तुम्हारे साथ पढ़ेंगी और हॉस्टल शेयर करेंगी वो तुम्हें कुमार्ग में नहीं धकेल पाएंगी। कुमार्ग और नशे के दल दल में एंट्री आसान है और एग्जिट बहुत मुश्किल। जतिन ने कहा माँ मैं खुद तो नशा नहीं करूंगा लेकिन कोशिस करूँगा कि कम से कम एक दो को तो नशे से मुक्त कर दूं।)

(दृश्य - हॉस्टल का रूम और कुछ  लड़के कमरे में दौड़ते हुए आये)

*कमल* - जतिन तुमने सुना सुनील और उसके अन्य दोस्तों को पुलिस पकड़कर ले गयी। हॉस्टल में पुलिस आयी है। मुझे बहुत डर लग रहा है।

*जतिन* - क्या हुआ? कुछ गलत किया क्या उन्होंने?

*कमल* - वो ड्रग्स लेते पकड़े गए, वार्डन ने सुनील और उसके दोस्तों के मम्मी-पापा को भी फोन अभी किया है।

*जतिन* - देखो, गुरुदेव कहते है कि स्वर्ग-नरक की स्वचालित प्रक्रिया चल रही है। कर्म हम करेंगे तो कर्मफ़ल तो भुगतना ही पड़ेगा। जैसे उल्टा-सीधा खाओगे तो पेट खराब होगा ही।

*कमल* - जतिन भाई, इतना सारा पढ़ने के बाद दिमाग़ का दही बन जाता है। तो कुछ तो चाहिए होता है इसे रिलैक्स करने को...अब तुम तो सिगरेट पीते नहीं...तुम्हें नहीं पता कि दो कश के बाद कितना मस्त लगता है...दिमाग रिलैक्स हो जाता है। पढ़ाई की टेंशन झेलने की अद्भुत दवा है।

*जतिन* - कमल भाई, मेरी माँ डॉक्टर है। तो मुझे इतना पता है कि सिगरेट और अन्य मादक वस्तुएं मात्र दिमाग को बेहोश-मदहोश करती है। थोड़ी देर के लिए टेशन भूला देती है। डोपामिन अनियंत्रित रिलीज़ करती है। लेकिन इससे दिमाग को न सुकून मिलता है और न आराम। बल्कि पूरे शरीर को इस ज़हर से नुकसान पहुंचता है। अतः प्लीज़ मेरे सामने मादक वस्तुओं का प्रचार मत करो।

(आशीष जतीन को चिढ़ाते हुए बोला)

*आशीष* -  ओए होए, तो मम्मी के साथ बेटा भी डॉक्टर बनना था। यहां एडवोकेट बनने क्यों आये भाई? तुम्हारी माँ ने टेंशन का इलाजस्वरूप सीक्रेट दवाईयां देकर भेजी होंगी। हमारी मां ने नहीं दी इसलिए हमें सिगरेट पीनी पड़ती है।

*जतिन* - मुस्कुराते हुए, भाई तुमने मेरी आलमारी चेक की है लगता है। तभी तुमने मेरी सीक्रेट दवाइयां देखी होंगी। लेकिन बिना परमिशन किसी का राज नहीं पता करना चाहिए।

(आशीष और कमल खड़े हो जाते है  उन्हें लगता है उनका तुक्का सही लगा। जतीन के पास कुछ ऐसी दवा है जिसे खाकर वो टेंशन फ्री रहता है। इसलिए सिगरेट भी नहीं पीता और वो आलमारी जतीन को खोलने को कहते है। )

*कमल* - जतिन भाई मुझे भी सीक्रेट दवा दो न , मेरे सर में बहुत दर्द होता है। घण्टे भर भी ठीक से पढ़ाई नहीं हो पाती। ऐसा लगता है मानो हज़ारो लोग मेरे दिमाग मे शोर कर रहे हों।

*आशीष* - भाई, मेरे सर में दर्द तो नही होता लेकिन अजीब अशांति रहती है। पढ़ने में मन नहीं लगता। इसलिए दो चार सिगरेट पीते हुए पढ़ता हूँ। प्लीज़ हमें भी सीक्रेट दवा दो, तुम्हारी तरह हम भी पढ़ सकें।

*जतिन* - ओके ठीक है, उसने आलमारी खोल के कुछ पुस्तके निकाली - व्यसनमुक्ति और मानसिक संतुलन की जिनमें मुख्य थी - *दृष्टिकोण ठीक रखें* , *मन की प्रचण्ड शक्ति* , *मानसिक संतुलन* , *आगे बढ़ने की तैयारी* , *सफल जीवन की दिशा धारा* , *सफलता के सात सूत्र*, *संकल्प शक्ति की प्रचन्ड प्रक्रिया* इत्यादि

*आशीष* - ये तो पुस्तकें है कोई सीक्रेट दवा नहीं...

*जतिन* - भाई जैसे पेट के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही दिमाग के लिए अच्छे विचार जरूरी है। ये साहित्य दिमाग का भोजन है। इससे मेरा दिमाग कुपोषण का शिकार नहीं होता। *दिमाग़ को भोजन मिलेगा तो वो नशे की डिमांड नहीं करेगा*। *दिमाग़ को व्यायाम, सन्तुलित विचार और आराम चाहिए। नशा नहीं।*

*कमल* -ये तो तुम्हारे हिसाब से दिमाग़ का भोजन है तो जो हम कोर्स का पढ़ते है वो फिर क्या है? उसे पढ़कर तो दिमाग बोझिल होता क्यों है?

*जतिन* - एक बात बताओ यदि तुम खड़े खड़े थक जाते हो तो बैठने पर आराम मिलता है या नहीं। या एक जैसे बैठे रहने पर कुछ देर खड़े होकर चलने पर और अंगड़ाई लेने पर आराम मिलता है या नहीं।

*कमल* - आराम मिलता है, लेकिन इससे इस बात का क्या लेना देना।

*जतिन* - क्योंकि दोनों ही स्थिति खड़े या बैठने या टहलने में शरीर बिस्तर पर लेटता नहीं फिर भी शरीर की पोज़िशन चेज करने पर आराम मिलता है। इसी तरह कोर्स के साथ साथ इन पुस्तकों को पढ़ने स्व हमारे दिमाग को सन्तुलित भोजन मिनरल विटामिन की तरह अच्छे विचार मिलते है जो दिमाग को तरोताज़ा करते हैं। ये जब तुम स्वयं करोगे तो अनुभव करोगे।

*कमल* - ये तो ठीक है, लेकिन मेरे सरदर्द और दिमाग को रिलैक्स करने की प्रोसेस बताओ।

*जतिन* - कमल प्लीज़ मेरा मोबाइल देना चार्जिंग में लगा है। और अपने मोबाइल का ब्लूटूथ ऑन करो मैं तुम्हे कुछ शेयर करता हूँ।

(आशीष पुनः जतीन को चिढ़ाते हुए)

*आशीष* - तो कुछ हॉट वीडियो है क्या? दिमाग और दिल के मनोरंजन और आराम के लिए? हमें भी शेयर करो।(हंसने लगा)

*जतिन* - आशीष भाई तुझे निराशा होगी, क्योंकि ये हॉट नहीं वेरी कूल ऑडियो है। जिसे नादयोग कहते हैं।

*कमल* - ये नादयोग भला क्या बला है?

*जतिन* - कमल भाई, यदि तुझे अपने दिमाग़ को सुपर कूल और रिलैक्स करना है तो जैसा हम बोल रहे हैं वैसा करो। नहीं तो भाई लोग आप जाओ और मुझे पढ़ने दो।

*आशीष* - कमल चलो सिगरेट पीने चलते है, जतिन के पास कुछ और देर रहा तो पक जाऊँगा।

*कमल* - जतिन बताओ, तुम जैसा बोलोगे मैं वैसा करूंगा। यदि मैं इस बार एग्जाम में पास हुआ तो तुम्हें हज़ार रुपये की पार्टी दूंगा।

*आशीष* - (हंसते हुए) और यदि कमल पास न हुआ तो हज़ार रुपये हम ज्ञानी जतीन से वसूलेंगे।

*जतिन* - *कमल अध्यात्म के अभ्यास ईंधन देने के साथ गाड़ी चलाने का कौशल देना मात्र हैं। लेकिन ईंधन लेकर और ड्राइविंग सीख कर तुम तबतक कहीं नहीं पहुंच सकते जब तक गाड़ी तुम स्वयं न चलाओ। रास्ते मे गड्ढे भी पड़ेंगे और लोग गलत भी गाड़ी चलाएंगे और रास्ते मे भीड़ भी होगी। फिर भी हिम्मत करके गाड़ी तुम्हे ही चलाना होगा। पढ़ना तुम्हे ही पड़ेगा। कोई भी आध्यात्मिक अभ्यास बिन पढ़े पास नहीं करवा सकता।*

*कमल* - तुम आशीष की बात पर ध्यान मत दो, तुम मुझे बताओ। मैं 100% तुम्हारी बात मानूंगा।

*जतिन* - *सुबह गायत्री मंत्र बोलकर उठना। नहाने के बाद कम से कम 24 बार गायत्री मंत्र जपना। पढ़ने से पहले 5 बार डीप ब्रीदिंग, 5 बार ॐ और 5 बार गायत्री मंत्र जपना। कुछ भी खाने पीने से पहले गायत्री मंत्र जपना। शाम को नादयोग आंखे बंद करके सुनना, और रात को इनमें से कोई भी साहित्य का एक पेज पढ़कर सो जाना। बाकी दिनभर जैसे चाहो वैसे जियो।*

(आशीष और कमल चले गए, चुपके से आशिष ने कमल से नादयोग का ऑडियो और ऑनलाइन वही पुस्तके awgp वेबसाइट से पढ़ने लगा। और बिना कमल और जतीन को बताए वो भी वही दिनचर्या जो जतीन ने बताई थी फॉलो करने लगा)

(रिज़ल्ट आया तो आशीष और कमल दोनों के अच्छे मार्क्स आये। जतीन को कमल ने गले लगाया और हज़ार रुपये जतीन को देते हुए बोला यार तुमने तो मेरी जिंदगी ही बदल दी। मेरे दिमाग का शोर गायब कर दिया। आशीष उस दिन का साक्षी था इसलिए इसे भी साथ लाया हूँ। तभी मुस्कुराते हुए आशीष ने दो हज़ार रुपये जतीन की ओर बढ़ाते हुए कहा, भाई मेरी तरफ से)

*जतिन* - क्या हुआ आशीष भाई, सुर बड़े बदले बदले लग रहे हैं।

*आशीष* - मैंने चुपके से कमल के मोबाइल से नादयोग का ऑडियो लिया और उस रात लगा कर सुनते सुनते सो गया। बता नहीं सकता कितनी अच्छी नींद आयी।सुबह तुम्हारी पुस्तको को नेट पर ढूंढा और पढ़ना शुरू किया। यार, मैंने कई वीडियो भी यूट्यूब पर देखे। मैंने सिगरेट छोड़ दी। मन भी बड़ा शांत रहता है। तुम सही कहते थे - *दिमाग को सन्तुलित विचार, आराम और व्यायाम चाहिए, नशा नहीं चाहिए*। मेरे दिमाग का कुपोषण दूर हुआ और सुर बदल गए।

(तीनो दोस्त हंस दिए, जतीन ने तीन हज़ार रुपये की सत्साहित्य की पुस्तकें खरीदी और तीनों दोस्तो ने कॉलेज में बांट दिया)

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...