Friday 25 May 2018

प्रश्न - *महिला सम्मेलन में विचारक्रांति हेतु उदबोधन के कंटेंट दीजिये*

प्रश्न - *महिला सम्मेलन में विचारक्रांति हेतु उदबोधन के कंटेंट दीजिये*

उत्तर - नज़र का ईलाज हॉस्पिटल में उपलब्ध है, लेकिन नज़रिए का इलाज सिर्फ़ अध्यात्म के पास है। शशक्त विचारों से महिलाशसक्तिकरण के वर्कशॉप में उदबोधन के माध्यम से नज़रिए/दृष्टिकोण की मरम्मत कीजिये। नजरिये बदलते ही नजारे बदल जाएंगे। जामवंत की भूमिका सर्वत्र निभाते हुये निम्नलिखित उदबोधन दीजिये :-

आत्मीय बहनों,

परम् पूज्य गुरुदेव कहते हैं, आध्यात्मिक शास्त्र का यह एक अटल सिद्धान्त है कि जो अपने को जैसा मानता है, उसका बाह्य आचरण भी वैसा ही बनने लगता है। बीज से पौधा उगता है और विचारों से आचरण का निर्माण होता है। जो अपने को दीन, दास, दुखी, दासता मानता है वह वैसा ही बना रहेगा। हमारे देश में दीनता, दद्रिता, दुख, दरिद्रता के विचार फैले और भारतभूमि ठीक वैसी ही बन गई। अपने निवास लोक को जब हम ‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ कहते थे तब यह दैव लोक थी, जब ‘भव सागर’ कहने लगे तो वह बद्ध कारागार के रूप में हमारे मौजूद है।

यदि आप अपने को नीच पतित मानते हैं तो विश्वास रखिये आप वैसे ही बने रहेंगे कोई भी आपको ऊँचा या पवित्र न बना सकेगा, किन्तु जिस दिन आपके अन्दर से आत्मगौरव की आध्यात्मिक महत्ता की हुँकार उठने लगेगी उसी दिन से आपका जीवन दूसरे ही ढांचे में ढलना शुरू हो जायेगा संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उनमें उनके निजी प्रयत्न का ही श्रेय अधिक है। हम मानते कि दूसरों की सहायता से भी उन्नति होती है पर यह सहायता उन्हें ही प्राप्त होती है। जो अपने सहायता खुद करते हैं।

रक्तदान लेकर आपत्तिकाल में जीवन बचाया जा सकता है, जीवन जिया नहीं जा सकता। स्वयं के शरीर में स्वयं की आवश्यकता के लिए रक्त उत्पादन तो करना ही पड़ेगा। स्वाध्याय और ध्यान से नित्य की विचारशक्ति को प्रबल करना ही पड़ेगा। अपनी मदद आपको स्वयं करना ही होगा। स्वयं की योग्यता-पात्रता बढ़ाइये, अपनी वर्तमान परिस्थिति को बेहतर और आनन्दमय बनाने के लिए सत्प्रयास कीजिये। मनःस्थिति बदलते ही परिस्थिति बदलने लगेगी।

आप सभी शक्तियां है, आपके अंदर लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की शक्ति समाई हुई है। हम मात्र जामवंत जी की तरह आपको आपकी शक्ति से परिचित कराने आये हैं। हनुमान जी शक्ति भूले थे और जामवंत की प्रेरणा से शक्ति याद आते ही श्रीराम कार्य में जुट गए। इसी तरह युगऋषि के संदेशों के माध्यम से हम आपसबकी चेतना शक्ति जगाने आये है आप सबको आपकी शक्ति से परिचित करवाने आये हैं। जागिये एक हाथ से स्वयं का कल्याण कीजिये और दूसरे हाथ से श्रीराम काज युगनिर्माण में जुट जाईये।

स्त्री कभी बेरोजगार नहीं होती, जॉब करने वाली भी कमाती है और घर सम्हालने की जॉब करने वाली स्त्री भी कमाती है। ऑफ़ीस और कस्टमर सम्हालने वाली भी कमाती है और घर, बच्चो और रिश्तेदारों को सम्हालने वाली भी कमाती है। अतः आपके पास दोनों ही स्थिति में महत्त्वपूर्ण जॉब है। अतः सम्मान सहित सर उठा कर  जियें।

स्त्री परिवार की धुरी है, स्त्री के बिना सृष्टि नहीं, स्त्री के बिना परिवार नहीं और स्त्री के बिना जीवन मे रस और सुंदरता नहीं। घर में गृहलक्ष्मी है, पालन पोषण में सरस्वती और जरूरत पड़ने पर दुर्गा बन सकती है। तुम कोमल हो लेकिन कमज़ोर नहीं, बस जरूरत है अपनी शक्तियों के जागरण हेतु प्रयास करने की।

हे नारी शक्तियों साधनात्मक त्रिशूल(उपासना-साधना-आराधना) का धारण करो और अपने जीवन को कंटको से मुक्त करो। गृहस्थ एक तपोवन बनाओ। और लोहे की जंजीर दासता-अज्ञानता-हीनता को काट फेंको और स्वयं को मुक्त करो, साथ ही सोने की जंजीरों फ़ैशन-व्यसन-टीवी इनसे भी स्वयं को मुक्त करो। हे जननी तुम सर्वश्रेष्ठ हो, इसका भान करो। स्वयं को आत्मशक्ति, विचारशक्ति, सादगी और आत्मीयता के सृंगार से सज़ाओं। आत्मनिर्भर बनो। स्वयं को ईश्वर की विशिष्ट कृति मानो, और सर उठा कर आनन्द से जियो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...