Wednesday 13 June 2018

जूठन छोड़ना अपराध है*

*जूठन छोड़ना अपराध है*
🍪🍪🍪🍪🍪🍪
प्रिय बच्चों,

रोटी, स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है,
रोटी, स्वास्थ्य की एक प्रहरी है।

लेकिन जानते हो,
कितनी मेहनत के बाद,
कितने लोगों से जुड़े श्रम के बाद,
हज़ारो मीलों की यात्रा कर,
कितना डीज़ल-पेट्रोल ख़र्चा कर,
तुम्हारे प्लेट तक पहुंचती है,
और तुम्हारी क्षुधा शान्त करती है।

सर्वप्रथम किसान की मेहनत,
और धन इसमें लगता है,
धरती का सीना चीर कर,
बीज गलकर पौधा बनता है,
घण्टों की निराई गुड़ाई और खाद-पानी,
फ़िर कुछ महीनों मे दिखती है गेहूं की बाली।

फ़सल पकती है,
और तब कटती है,
गेहूँ लेकर किसान मंडी पहुंचता है,
मंडी से गेहूं कई मील दूर,
विभिन्न गाड़ियों से अन्य दुकानों तक पहुंचता।

वहां से गेंहू फ़िर चक्की मिल तक पहुंचता,
बड़े बड़े पत्थरों के बीच पिसता है,
गेंहू का रूप बदल जाता है,
फिर वो गेंहू की जगह आटा कहलाता है,
पिताजी मेहनत की कमाई उसे ख़रीदते हैं,
मां ने अपने प्यार औऱ जल से उसे  गूंधती है,
चकले बेलन पर लोइयां घुमाई जाती है,
गोल गोल सुंदर रोटियां बनाई जाती है,
गैस चूल्हे पर उसे पकाया जाता है,
तब कहीं जाकर,
तुम्हें प्यार से उसे परोसा जाता है।

पर ये क्या,😱😱😱😱
इतनी सारे लोगों की मेहनत,
तुमने बेकार कर दिया,
जूठन में रोटी का टुकड़ा फेंक दिया,
देश की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया,
धरती और किसान के हृदय को आघात पहुंचाया।

जानते नहीं...
जूठन छोड़ना पाप है,
ये अन्न का अपमान है,
यह एक नैतिक अपराध है,
किसानों के साथ किया अन्याय है।

इतने सारे लोगों की मेहनत से मिला अन्न,
धन से ज्यादा अनमोल है,
धरती माता के हृदय चीरकर उपजा अन्न,
माता के दूध सा अनमोल है।

👉🏼ध्यान रखो....👈🏻
इतना ही लो थाली में कि,
व्यर्थ न जाये नाली में,
अन्न का सम्मान करो,
केवल जितना जरूरत है,
उतना ही उपभोग करो,
स्वयं भी जूठा न छोड़ने का संकल्प लो,
और घर में सबको इसके लिए प्रेरित करो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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