Wednesday 27 June 2018

निर्भय बने शांत रहें

जितना भय दिन में है उतना ही रात में है, जितनी निर्भयता दिन में है उतनी ही रात में है।

गृहणियां बच्चे और बड़े वही रात में डरते है जो कल्पनायें बढ़िया वाली करते है। वो कभी नहीं डरते जो चीज़ों को जैसा है वैसा ही देखते हैं।

निर्भय बने शांत रहें, व्यर्थ की कुकल्पनाओं से बचें। रस्सी में सांप की कल्पना करो तो रस्सी चलती हुई प्रतीत होगी ही।

डर दूर है तो डरो लेकिन पास आये तो मुकाबला करो।

जो लोग ध्यान नही करते उनके मन कुकल्पनाओं में स्वतः एक्सपर्ट हो जाते हैं। जो ध्यान करता है उसकी विवेकदृष्टि जागृत हो जाती है। वह निर्भय होकर सर्वत्र विचरता है। सुकून से जीता है।

बच्चे के मन से अंधेरे के प्रति भय हटाएं उसे समझाए रात को जो जैसा छोड़ते हैं सुबह वैसा ही मिलता है। कुर्सी चेयर सब। एक दिन पूरा परिवार रात को जागरण कर उसका परिवार सहित एनालिसिस करें। स्वयं ध्यान करें- निर्भय बने और अपने परिवार को ध्यान करवाएं और निर्भय बनाएं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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