*गृहे गृहे यज्ञ अभियान*
वातावरण के परिशोधन हेतु सबसे शसक्त माध्यम यज्ञ है। यदि आत्मबल शसक्त न हो तो वातावरण मति प्रभावित कर बदल देता है।
उदाहरण - स्वरूप आप मन्दिर जाएंगे तो मन्दिर का वातारण आपकी मति/बुद्धि को भक्ति हेतु प्रेरित करेगा। मन्दिर का गर्भ गृह का वातावरण तो मन मे असीम शांति से भर देगा और ध्यानस्थ तक कर देगा।
लेकिन इसके विपरीत फ़िल्म हाल, पब और पार्टी स्थल और मॉल का वातावरण वासना, तृष्णा और कुत्सित भावनाओ का जागरण कर देगा।
दुकानों के बाहर घूमो कुछ न कुछ खरीदने को वहां का वातावरण प्रेरित कर देगा, होटल के पास घूमने पर कुछ न कुछ खाने को होटल का वातारण प्रेरित कर देगा।
ऐसा ही कुछ श्रवण कुमार के साथ घटा जब वो ऐसी जगह पहुंचे जहां एक कुपुत्र ने माता-पिता की हत्या की थी, करुण क्रंदन चीत्कार से युक्त वो वातावरण था। वहां पहुंचते ही उन्होंने ने माता पिता को कँधे से उतार दिया और बोले तीर्थ यात्रा करनी है तो पैदल चलो मेरे कंधे पर क्यों चढ़े हो। पिता ने ध्यान लगाया तो वातारण का प्रभाव समझ आया। उन्होंने कहा श्रवण हमें यहां से कुछ दूर छोड़ दो वहां से हम पैदल चले जाएंगे। कुछ दूर जाते ही वातावरण का प्रभाव हटा और श्रवण की बुद्धि पुनः शुद्ध हो गयी। क्षमा मांगी माता-पिता से और आगे मार्ग में बढ़ गए।
रावण वध के बाद तुरंत श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ की घोषणा की क्योंकि रावण तो मर गया, लेकिन असुरता का वातावरण जो उसने बनाया था वो आज भी लोगो को असुरत्व की ओर धकेल रहा था। तो रावण के बनाये असुरत्व को कोई अस्त्र-शस्त्र नष्ट नहीं कर सकते थे केवल और केवल यज्ञ से ही रावण के बनाये वातावरण को नष्ट करके श्रीराम के मर्यादा और सम्वेदना का वातावरण बनाना सम्भव हुआ। क्योंकि राम राज्य का धोबी और अन्य प्रजा भी असुरत्व के वातावरण से प्रभावित हुई।
अश्वेमेध यज्ञ से ही राम राज्य की स्थापना हुई। यदि यज्ञ पहले हो जाता तो धोबी की बुद्धि से विकृति निकल जाती और माते सीता को वन न जाना पड़ता।
*गायत्री परिवार कलियुगी वातावरण के प्रभाव को नष्ट करने के लिये आपका आह्वाहन कर रहा है। घर घर यज्ञ से सविता के तेजयुक्त वातावरण को विनिर्मित करने हेतु आपका सहयोग चाहता है।*
प्रत्येक रविवार को एक साथ एक समय सुबह 9 से दोपहर 12 बजे के बीच यज्ञ घर घर करें और यज्ञ सृंखला बनाये। इसकी सूचना नज़दीकी शक्तिपीठ में दें। ग्यारह करोड़ गायत्री परिवार मिलकर प्रत्येक रविवार को ग्यारह करोड़ घरों में यज्ञ करवा दे। ऐसे 40 यज्ञ श्रृंखला पूरे विश्व के वातावरण को मथ देगा। सतयुग के आगमन में फिर देरी न लगेगी। लोगों के ह्रदय में परिवर्तन दिखने लग जाएगा। घर के बच्चे और बड़ो में देवत्व उदीयमान होगा, उनका व्यक्तित्व सुदृढ होगा।
स्कूलों में यज्ञ करवाने से समूह के समूह में बच्चो का हृदय परिवर्तित होगा। स्कूल का वातावरण शुद्ध होगा।
यज्ञ के ज्ञान विज्ञान के विविध आयाम आदरणीय चिन्मय भैया के उद्बोधन को सुनकर समझें:-
https://youtu.be/geanqDavuhM
नज़दीकी शक्तिपीठ का अड्र्स निम्नलिखित लिंक पर जाकर प्राप्त करें:-
For India Click here:-
http://www.awgp.org/contact_us/india_contacts
For Global Click Here:-
http://www.awgp.org/contact_us/global_contacts
To Learn Yagya Process/Book for Yagya...Click here
http://vicharkrantibooks.org/vkp_ecom/Hindi_Books/Science_Of_Yagya_in_Hindi
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
वातावरण के परिशोधन हेतु सबसे शसक्त माध्यम यज्ञ है। यदि आत्मबल शसक्त न हो तो वातावरण मति प्रभावित कर बदल देता है।
उदाहरण - स्वरूप आप मन्दिर जाएंगे तो मन्दिर का वातारण आपकी मति/बुद्धि को भक्ति हेतु प्रेरित करेगा। मन्दिर का गर्भ गृह का वातावरण तो मन मे असीम शांति से भर देगा और ध्यानस्थ तक कर देगा।
लेकिन इसके विपरीत फ़िल्म हाल, पब और पार्टी स्थल और मॉल का वातावरण वासना, तृष्णा और कुत्सित भावनाओ का जागरण कर देगा।
दुकानों के बाहर घूमो कुछ न कुछ खरीदने को वहां का वातावरण प्रेरित कर देगा, होटल के पास घूमने पर कुछ न कुछ खाने को होटल का वातारण प्रेरित कर देगा।
ऐसा ही कुछ श्रवण कुमार के साथ घटा जब वो ऐसी जगह पहुंचे जहां एक कुपुत्र ने माता-पिता की हत्या की थी, करुण क्रंदन चीत्कार से युक्त वो वातावरण था। वहां पहुंचते ही उन्होंने ने माता पिता को कँधे से उतार दिया और बोले तीर्थ यात्रा करनी है तो पैदल चलो मेरे कंधे पर क्यों चढ़े हो। पिता ने ध्यान लगाया तो वातारण का प्रभाव समझ आया। उन्होंने कहा श्रवण हमें यहां से कुछ दूर छोड़ दो वहां से हम पैदल चले जाएंगे। कुछ दूर जाते ही वातावरण का प्रभाव हटा और श्रवण की बुद्धि पुनः शुद्ध हो गयी। क्षमा मांगी माता-पिता से और आगे मार्ग में बढ़ गए।
रावण वध के बाद तुरंत श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ की घोषणा की क्योंकि रावण तो मर गया, लेकिन असुरता का वातावरण जो उसने बनाया था वो आज भी लोगो को असुरत्व की ओर धकेल रहा था। तो रावण के बनाये असुरत्व को कोई अस्त्र-शस्त्र नष्ट नहीं कर सकते थे केवल और केवल यज्ञ से ही रावण के बनाये वातावरण को नष्ट करके श्रीराम के मर्यादा और सम्वेदना का वातावरण बनाना सम्भव हुआ। क्योंकि राम राज्य का धोबी और अन्य प्रजा भी असुरत्व के वातावरण से प्रभावित हुई।
अश्वेमेध यज्ञ से ही राम राज्य की स्थापना हुई। यदि यज्ञ पहले हो जाता तो धोबी की बुद्धि से विकृति निकल जाती और माते सीता को वन न जाना पड़ता।
*गायत्री परिवार कलियुगी वातावरण के प्रभाव को नष्ट करने के लिये आपका आह्वाहन कर रहा है। घर घर यज्ञ से सविता के तेजयुक्त वातावरण को विनिर्मित करने हेतु आपका सहयोग चाहता है।*
प्रत्येक रविवार को एक साथ एक समय सुबह 9 से दोपहर 12 बजे के बीच यज्ञ घर घर करें और यज्ञ सृंखला बनाये। इसकी सूचना नज़दीकी शक्तिपीठ में दें। ग्यारह करोड़ गायत्री परिवार मिलकर प्रत्येक रविवार को ग्यारह करोड़ घरों में यज्ञ करवा दे। ऐसे 40 यज्ञ श्रृंखला पूरे विश्व के वातावरण को मथ देगा। सतयुग के आगमन में फिर देरी न लगेगी। लोगों के ह्रदय में परिवर्तन दिखने लग जाएगा। घर के बच्चे और बड़ो में देवत्व उदीयमान होगा, उनका व्यक्तित्व सुदृढ होगा।
स्कूलों में यज्ञ करवाने से समूह के समूह में बच्चो का हृदय परिवर्तित होगा। स्कूल का वातावरण शुद्ध होगा।
यज्ञ के ज्ञान विज्ञान के विविध आयाम आदरणीय चिन्मय भैया के उद्बोधन को सुनकर समझें:-
https://youtu.be/geanqDavuhM
नज़दीकी शक्तिपीठ का अड्र्स निम्नलिखित लिंक पर जाकर प्राप्त करें:-
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🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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