*गुरुभक्ति रस में डूबा मन,*
*मन परमानन्द का अनुभव कर रहा है।*
रसहीन सूखे रसगुल्ले थे,
बेस्वाद जीवन जी रहे थे,
जिस दिन गुरुभक्ति रस में डूबे,
मन परमानन्द का अनुभव कर रहा है।
समाधिस्थ हुआ कुछ यूं मन कि...
दुर्भावों के कंटक जल गए,
सद्भावों के कमल खिल गए,
अपना पराया कोई न रहा,
कण कण में उसके ही दर्शन हो रहे हैं,
ज्ञान पराग की मदमस्त सुगन्ध में,
ब्रह्मानन्द का अनुभव कर रहे हैं।
अब तो भीतर गुरुभक्ति रस है,
बाहर भी वही निर्झर बरस रहा है,
आत्मा-परमात्मा के परम मिलन में,
*तत्सवितुर्वरेण्यं* अनुभव कर रहा है।
गुरु को समर्पित करके जीवन,
मन परम् शांति अनुभव कर रहा है,
गुरुभक्ति रस में डूबा मन,
परमानंद का अनुभव कर रहा है।
न कोई कामना बची है,
न कोई वासना रही है,
अब जब मैं ही न रहा...
और तू ही तू मुझमें बचा. .. तो,
यज्ञ में समिधा बन....
आहूत होंने का अनुभव हो रहा है,
यज्ञ में आहूत हो,
यज्ञ ही बन जाने का अनुभव हो रहा है।
गुरुभक्ति रस में डूबा मन,
परमानन्द का अनुभव कर रहा है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*मन परमानन्द का अनुभव कर रहा है।*
रसहीन सूखे रसगुल्ले थे,
बेस्वाद जीवन जी रहे थे,
जिस दिन गुरुभक्ति रस में डूबे,
मन परमानन्द का अनुभव कर रहा है।
समाधिस्थ हुआ कुछ यूं मन कि...
दुर्भावों के कंटक जल गए,
सद्भावों के कमल खिल गए,
अपना पराया कोई न रहा,
कण कण में उसके ही दर्शन हो रहे हैं,
ज्ञान पराग की मदमस्त सुगन्ध में,
ब्रह्मानन्द का अनुभव कर रहे हैं।
अब तो भीतर गुरुभक्ति रस है,
बाहर भी वही निर्झर बरस रहा है,
आत्मा-परमात्मा के परम मिलन में,
*तत्सवितुर्वरेण्यं* अनुभव कर रहा है।
गुरु को समर्पित करके जीवन,
मन परम् शांति अनुभव कर रहा है,
गुरुभक्ति रस में डूबा मन,
परमानंद का अनुभव कर रहा है।
न कोई कामना बची है,
न कोई वासना रही है,
अब जब मैं ही न रहा...
और तू ही तू मुझमें बचा. .. तो,
यज्ञ में समिधा बन....
आहूत होंने का अनुभव हो रहा है,
यज्ञ में आहूत हो,
यज्ञ ही बन जाने का अनुभव हो रहा है।
गुरुभक्ति रस में डूबा मन,
परमानन्द का अनुभव कर रहा है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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