*यज्ञ के मन्त्र अशिव विचार धारा को ध्वस्त कर, सकारात्मकता की वृद्धि करते हैं। मन्त्र गुम्फ़न और शब्द शक्ति सामर्थ्य अग्नि की ऊर्जा और औषधियों के तत्व लेकर रोगी के स्वास्थ्य को ठीक करने में अन्य सभी पैथियों से बेस्ट - सुपर बेस्ट है।*
क्योंकि मनोवैज्ञानिकों तथा चिकित्सा शास्त्रियों का कहना है कि आज रोगियों की बड़ी संख्या में ऐसे लोग बहुत कम होते हैं, जो वास्तव में किसी रोग से पीड़ित हों। अन्य या बहुतायत ऐसे ही रोगियों की होती है, जो किसी न किसी काल्पनिक रोग के शिकार होते हैं। आरोग्य का विचारों से बहुत बड़ा सम्बन्ध होता है। जो व्यक्ति अपने प्रति रोगी होने, निर्बल और असमर्थ होने का भाव रखते हैं और सोचते रहते हैं कि उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता। उन्हें आँख, नाक, कान, पेट, पीठ का कोई न कोई रोग लगा ही रहता है। बहुत कुछ उपाय करने पर भी वे पूरी तरह स्वस्थ नहीं रह पाते। ऐसे अशिव विचारों को धारण करने वाले वास्तव में कभी भी स्वस्थ नहीं रह पाते। यदि उनको कोई रोग नहीं भी होता है तो भी उनकी इस अशिव विचार साधना के फलस्वरूप कोई न कोई रोग उत्पन्न हो जाता है और वे वास्तव में रोगी बन जाते।
इसके विपरीत जो स्वास्थ्य सम्बन्धी सद्विचारों की साधना करते हैं, वे रोगी होने पर भी शीघ्र चंगे हो जाया करते हैं। रोगी इस प्रकार सोचने के अभ्यस्त होते हैं। वे उपचार के अभाव में भी स्वास्थ्य लाभ कर लेते हैं। मेरा रोग साधारण है, मेरा उपचार ठीक- ठीक पर्याप्त ढंग से हो रहा है, दिन- दिन मेरा रोग घटता जाता है और मैं अपने अन्दर एक स्फूर्ति, चेतना और आरोग्य की तरंग अनुभव करता हूँ। मेरे पूरी तरह स्वस्थ हो जाने में अब ज्यादा देर नहीं है। इसी प्रकार जो निरोग व्यक्ति भूलकर भी रोगों की शंका नहीं करता और अपने स्वास्थ्य से प्रसन्न रहता है। जो कुछ खाने को मिलता है, खाता और ईश्वर को धन्यवाद देता है, वह न केवल आजीवन निरोग ही रहता है, बल्कि दिन- दिन उसकी शक्ति और सामर्थ्य भी बढ़ती जाती है।
सकारात्मक सोच यज्ञ के दिव्य वातारण में श्रद्धा और विश्वास से स्वतः विनिर्मित होती है। जो अशिव चिंतन का शमन करता है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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