Saturday, 7 July 2018

नवयुग का संविधान-युगनिर्माण 18 सत्संकल्प* (7 और 8)

*नवयुग का संविधान-युगनिर्माण 18 सत्संकल्प* (7 और 8)

गतांक से आगे...
आत्मीय बहन भाइयों अब तक 1 से 6 तक सूत्रों की चर्चा हम सब कर चुके, आज निम्नलिखित 7 और 8 पर चर्चा करेंगें:-

7. *समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का एक अविच्छिन्न अंग मानेंगे ।।*

8. *चारों ओर मधुरता, स्वच्छता, सादगी एवं सज्जनता का वातावरण उत्पन्न करेंगे ।।*

परमपूज्य गुरुदेव ने 7 वें सूत्र में कहा है कि धरती के स्वर्गीय सुकून भरे, मधुरता भरे, सादगी और सज्जन वातावरण रूपी भवन चार प्रमुख चार ख़म्बे पर खड़ा है जो क्रमशः है - समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी। यदि सभी समझदार बन कर अपने हिस्से की जिम्मेदारी का वहन करे, बहादुरी से ईमानदारी से जीवन जियें तो धरती को स्वर्ग सा सुंदर बनने से कोई नहीं रोक सकता।

एक कहानी सुनते हैं, एक लड़की नन्दिनी ससुराल गयी लेकिन कुछ दिन में ही ससुराल में जेठ जिठानी देवर सास ससुर के आपस के झगड़े देख के दुःखी हो गयी। मायके आकर मां से बोली मां किस नर्क में मेरी शादी कर दी, मैं तो तंग आ गयी।

मां मुस्कुराई और उन्होंने बेटी को युगऋषि की लिखी पुस्तक - *अपना सुधार की संसार की सबसे बड़ी सेवा* और *हम बदले तो युग बदले* दे दी। बोली बेटा इसे पढ़ और अपने लिए स्वर्ग सा सुंदर ससुराल स्वयं बना ले। जाओ आनन्द की खेती स्वयं करो।
*बेटी बोली* - मां केवल मेरे सुधरने से क्या होगा? सब थोड़े इससे सुधर जाएंगे।
*मां बोली* - बेटा ये बताओ ये एक बड़ा पतीला दूध उबालने के लिए मैं क्या करूँगी, गैस पर चढ़ाऊंगी। तो दूध तो केवल एक जगह से उबल रहा है लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा कि पूरा दूध गर्म हो जायेगा। इसी तरह ससुराल के सुधार के लिए उस ससुराल की एक सदस्य यानी तुम्हारी तरफ से परिवर्तन की गर्मी शुरू होगी लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा कि पूरा ससुराल बदल जायेगा।

बस तुम समझदारी, जिम्मेदारी, ईमानदारी और बहादुरी अपना लो। नन्दिनी ने दोनों पुस्तक मायके में ही पढ़ ली और ससुराल आ गयी।

लड़की ससुराल आयी, ससुराल में सबका काम बंटा हुआ था। बड़ी जेठानी के हिस्से में सुबह का नाश्ता और चाय था। वो रोज लेट करती तो झगड़े की शुरुआत सुबह से इसी से होता।

नन्दिनी ने सुबह जल्दी उठ के भजन गुनगुनाते हुए घर के प्रथम झगड़े चाय नाश्ता का कारण समाप्त कर दिया। चाय नाश्ता उसने बना दिया। सुबह झगड़ा नहीं हुआ, तो सुबह सब अच्छे से काम पर चले गए।

दूसरी जेठानी बर्तन मांजने का काम था तो उसने उसमें उनकी सहायता की। इस तरह सब के काम मे थोड़ी बहुत मदद करती रही। एक महीने की लगातार मेहनत से वो सबकी प्यारी बन गयी। नन्दिनी ने सबको वो दोनों पुस्तक पढ़ने को दिया। सबने पढ़ा।

कुछ महीने बाद जब वो नाश्ता बनाने गयी तो देखा जिठानी पहले ही वहां पहुंच गई थी। नाश्ते की तैयारी रात को ही कर ली थी। बोला नन्दिनी थैंक यू जाओ मैं बना लूंगी। तो नन्दिनी गयी और रात के जूठे बर्तन मांज दिए जो कि दूसरी जिठानी का काम था। जब वो आईं तो बर्तन साफ देखा तो बड़ी जिठानी से पूँछा बर्तन किसने साफ किया। और कौन करेगा नन्दिनी। अरे बाबा नन्दिनी कहती है दूसरे के काम करो तो वो ख़ुश होगा तो उसकी दुआ से वो और ज्यादा खुशी मिलेगी। वो कहती है कि उसके गुरु कहते है कि अपने हिस्से की ईमानदारी, जिम्मेदारी, बहादुरी, समझदारी से घर और समाज स्वर्ग सा सुंदर बन जायेगा। हाँ जबसे आयी है अपने घर मे कितनी शांति हो गयी है।

नन्दिनी जब कपड़े धोने गयी तो देखा कपड़े धुले जा चुके थे। अरे कपड़े किसने धोए, सासु मां ने कहा बेटा आनन्द की खेती का कुछ आइडिया मुझे भी लग गया। तू सबका काम कर देती है तो मैंने तेरा कर दिया। चलो झाड़ू पोछा कर लेती हूँ । लेकिन ये क्या नन्दिनी की दूसरे नम्बर की जिठानी ने कर दिया। अब वो क्या करे, तो सोचा बगीचे की सफाई कर दूं, लेकिन ये क्या ससुर जी ने वो काम कर दिया।

कमरे में आई तो पति ने घर सेट कर दिया था। सब रात को डिनर में बैठे तीनो भाई, दोनों जिठानी सास ससुर और उन सबके बच्चे।

तीनो भाइयो ने बताया कि पिताजी इस महीने व्यवसाय में बहुत कमाई हुई। क्योंकि पहले तीनो भाई घर की तरह व्यवसाय में भी लड़ते थे। घर की सुख शांति ने उन्हें व्यवसाय में भी वही फार्मूला अपनाने को प्रेरित किया।

सचमुच आज घर व्यवसाय नर्क से स्वर्ग से सुंदर समृद्ध बन गया। चारों ओर मधुरता, स्वच्छता, सादगी, सज्जनता और आनंदमय वातावरण का निर्माण किसने किया? नन्दिनी ने... गुरुदेब और मां की बात मानने का फल मिला।

हम बदलेंगे तो ही युग बदलेगा,
हम सुधरेंगे तो  ही युग सुधरेगा।

यह फार्मूला परिवार, कम्पनी, सरकारी या गैर सरकारी संस्था, धार्मिक संस्था और देश सब पर काम करेगा।

इसलिए गुरुदेब ने नवयुग के संविधान में इसे शामिल किया।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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