प्रश्न - *दी मैं मां बनने वाली हूँ। 5 माह हो गए है। मासपरायण में जप कैसे करूँ? और क्या आहार नियम अपनाऊँ*
उत्तर - सबसे पहले तो बधाई, दूसरा गर्भ को संस्कारवान बनाने में अत्यंत सहायक है। मासपरायण साधना।
जैसा कि पिछली पोस्ट में आंटी जी को बताया था, वही क्रम आप भी अपनाएं। एक साफ कम्बल ले लीजिए उसे बैठने वाली चेयर या मूढढे पर कुछ इस तरह बिछाएं कि आधा चेयर पर हो और आधा निचे। जिससे जब आप उस पर बैठें तो आपके शरीर का कोई भी अंग पैर सहित सबकुछ कम्बल पर ही रहे। अब कोई शॉल या सोफ़े की तकिया से कमर को सहारा दे दें। अब आराम से भगवान के समक्ष मन्दिर में चेयर लगा के या मूढढे में बैठ के जप क्रम पूरा कर लें।
रात का भोजन गैस बनाता है, और वो जोड़ो में जमा होता है। इससे ही जोड़ो और कमर में दर्द रहता है। अतः सुबह *आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी* पुस्तक के आसान सरल योग व्यायाम जरूर करें, इससे जोड़ो में जमी गैस निकल जायेगी। जच्चा बच्चा दोनों चुस्त दुरुस्त रहेगा। वाक जरूर करें।
सुबह खाली पेट दो ग्लास गुनगुना पानी पियें। सुबह नारियल और दूध ले सकें तो बहुत अच्छा रहेगा। ये मैं अपने बच्चे के समय लेती थी।
भोजन दोनों वक़्त 8 ग्रास लें। दाल में लौकी जैसा सुपाच्य सब्जी मिला के बना लें। आपके एक ग्रास की साइज़ मुर्गी के अंडे के साइज की होगी। तो पेट बड़े आराम से भर जाएगा। दूध दही छाछ और फल का जूस लेते रहें। सलाद और थोड़े से ड्राईफ्रूइट्स जब भी भूख असहनीय हो तब खाये। बिना भूख के जबजस्ती न खाएं।
स्वाध्याय में चेतना की शिखर यात्रा जोर से अपनी सहज आवाज में बोल बोल कर पढ़े, मानो गर्भ से आप संवाद कर रहे हो, अच्छे अच्छे दिव्य भजन सुने, संस्कृत के ज्यादा से ज्यादा मन्त्र बोलें और दोनों हाथ से मन्त्रलेखन करें। भावना करिये की आप शान्तिकुंज में ही हो, सुबह नित्य ध्यान में शान्तिकुंज के दर्शन करें।
दवा रेगुलर वाली लेते रहें और टीके भी जरूरी लगवाते रहें। पतिदेव को भी मासपारायण के लिए प्रेरित करें।
सोते वक़्त गोल तकिए पर पैर रख के सोए, और पैर में और नाभि में और पूरे पेट मे सरसों या नारियल के तेल की हल्की मालिश करके सोएं। आत्मबोध -तत्त्वबोध के साथ योगनिद्रा लें।
*एक स्वस्थ सुंदर प्रशन्नचित्त दिव्यात्मा ऋषिआत्मा युगनिर्माणि को जन्म दें, यही शुभकामनाएं हैं।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - सबसे पहले तो बधाई, दूसरा गर्भ को संस्कारवान बनाने में अत्यंत सहायक है। मासपरायण साधना।
जैसा कि पिछली पोस्ट में आंटी जी को बताया था, वही क्रम आप भी अपनाएं। एक साफ कम्बल ले लीजिए उसे बैठने वाली चेयर या मूढढे पर कुछ इस तरह बिछाएं कि आधा चेयर पर हो और आधा निचे। जिससे जब आप उस पर बैठें तो आपके शरीर का कोई भी अंग पैर सहित सबकुछ कम्बल पर ही रहे। अब कोई शॉल या सोफ़े की तकिया से कमर को सहारा दे दें। अब आराम से भगवान के समक्ष मन्दिर में चेयर लगा के या मूढढे में बैठ के जप क्रम पूरा कर लें।
रात का भोजन गैस बनाता है, और वो जोड़ो में जमा होता है। इससे ही जोड़ो और कमर में दर्द रहता है। अतः सुबह *आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी* पुस्तक के आसान सरल योग व्यायाम जरूर करें, इससे जोड़ो में जमी गैस निकल जायेगी। जच्चा बच्चा दोनों चुस्त दुरुस्त रहेगा। वाक जरूर करें।
सुबह खाली पेट दो ग्लास गुनगुना पानी पियें। सुबह नारियल और दूध ले सकें तो बहुत अच्छा रहेगा। ये मैं अपने बच्चे के समय लेती थी।
भोजन दोनों वक़्त 8 ग्रास लें। दाल में लौकी जैसा सुपाच्य सब्जी मिला के बना लें। आपके एक ग्रास की साइज़ मुर्गी के अंडे के साइज की होगी। तो पेट बड़े आराम से भर जाएगा। दूध दही छाछ और फल का जूस लेते रहें। सलाद और थोड़े से ड्राईफ्रूइट्स जब भी भूख असहनीय हो तब खाये। बिना भूख के जबजस्ती न खाएं।
स्वाध्याय में चेतना की शिखर यात्रा जोर से अपनी सहज आवाज में बोल बोल कर पढ़े, मानो गर्भ से आप संवाद कर रहे हो, अच्छे अच्छे दिव्य भजन सुने, संस्कृत के ज्यादा से ज्यादा मन्त्र बोलें और दोनों हाथ से मन्त्रलेखन करें। भावना करिये की आप शान्तिकुंज में ही हो, सुबह नित्य ध्यान में शान्तिकुंज के दर्शन करें।
दवा रेगुलर वाली लेते रहें और टीके भी जरूरी लगवाते रहें। पतिदेव को भी मासपारायण के लिए प्रेरित करें।
सोते वक़्त गोल तकिए पर पैर रख के सोए, और पैर में और नाभि में और पूरे पेट मे सरसों या नारियल के तेल की हल्की मालिश करके सोएं। आत्मबोध -तत्त्वबोध के साथ योगनिद्रा लें।
*एक स्वस्थ सुंदर प्रशन्नचित्त दिव्यात्मा ऋषिआत्मा युगनिर्माणि को जन्म दें, यही शुभकामनाएं हैं।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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