प्रश्न - *दी, अनुष्ठान और उपवास के दिनों में घर वाले मज़ाक उड़ाते है, तथा लोग कहते है कि भगवान ने कभी नहीं कहा है कि स्वयं को भूखा रख के कष्ट दो। ज़िंदगी चार दिन की है हंसते खेलते खाते पीते जियो, कहाँ व्रत के चक्कर में पड़ी हो। इन लोगों को कैसे हैंडल करूँ, कि यह व्रत के दौरान मुझपर अनावश्यक दबाव भोजन और पार्टी इत्याफी के लिए न करें।*
उत्तर - प्रिय आत्मीय बहन, आजकल सभी लोग फेसबुक में और पर्सनल फ़ैमिली व्हाट्सएप ग्रुप रखते हैं। अतः आप यह पोस्ट अपने फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दीजिए।
प्रिय व्रत-उपवास का मज़ाक उड़ाने वाले भाइयों एवं बहनों, यदि आप पढ़े लिखे है तो गूगल पर उपवास/Fasting के फ़ायदे सर्च कीजिये लम्बी लिस्ट मिल जाएगी।
उपवास शरीर शोधन और प्राण ऊर्जा बढ़ाने की अति महत्त्वपूर्ण प्रणाली है, इस लेख को निम्नलिखित लिंक पर जाकर पढ़े:-
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1969/January/v2.25
*व्रत-उपवास से आयुर्वेद कहता है कि हमें निम्नलखित लाभ मिलेंगे,आयुर्वेद में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए 'लंघन्म सर्वोत्तम औषधं' यानी उपवास को सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता है। :-*
* मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है तथा मस्तिष्क का धुंधलका छँट जाता है।
* तत्काल एवं सुरक्षित तरीके से वजन घटता है।
* तंत्रिका तंत्र में संतुलन कायम होता है।
* ऊर्जा का स्तर बढ़ने से संवेदी क्षमताओं में वृद्धि होती है।
* शरीर के सभी अवयवों में ऊर्जा का संचार होता है।
* सेल्युलर बायोकेमेस्ट्री में संतुलन कायम होता है।
* त्वचा संवेदनशील, नर्म और रेशमी हो जाती है।
* आपके हाथ-पैरों का संचालन सरलता से होने लगता है।
* पाचन तंत्र ठीक होकर सुचारु रूप से काम करने लगता है।
* आंतों में भोजन से रस सोखने की क्रिया में वृद्धि होती है।
*Japanese scientist Dr Yoshinori Oshsumi’s Nobel prize-winning* work on autophagy has shown how damaged cells self-eat or self-destruct — keeping the body in good condition. The other benefit is that when the self-destruction occurs, there is the inducement of the growth hormone which allows for the generation of new cells.
Autophagy of the body means it cleanses itself of damaged, dead and unrepaired cells.
इसे निम्नलखित लिंक पर पूरा पढ़ लें:-
https://www.google.co.in/amp/s/www.deccanchronicle.com/amp/lifestyle/health-and-wellbeing/161016/cell-strategy-how-fasting-makes-the-human-body-better.html
अनुरोध हैं कि भगवान के नाम पर झूठ न बोलें, मनगढ़ंत सुनी सुनाई आधारहीन बातों पर किसी को ज्ञान न दें।, मनुष्य का आज का खान-पान पूर्णतया अप्राकृतिक है जो मनुष्य ने स्वाद लिप्सा हेतु स्वास्थ्य मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए बनाई है। स्वयं के शरीर का ही टेस्ट करवाये और स्वयं चेकलिस्ट बना लें कि शरीर कितना स्वस्थ है और कितना नहीं।
भगवान ने क्या कहा है, यदि यह आपको पता होता तो आप किसी व्रत करने वाले का कभी मज़ाक नहीं उड़ायेंगे। अध्यात्म, आयुर्वेद, आधुनिक चिकित्सा पद्धति और आज का विज्ञान भी उपवास को महत्तव देता है।
उपवास अनुष्ठान के दौरान करने से प्राण ऊर्जा उर्ध्वकेन्द्रों में गमन करती है, और मनःसंस्थान सन्तुलित और एक्टिव बनता है। यह EEG मशीन से भी चेक किया जा सकता है।
अतः बुद्धिमत्ता यह कहती है कि किसी को कुछ कहने से पहले स्ट्रॉग एविडेन्स/सबूत के आधार पर कुछ कहना चाहिए। अन्यथा दूसरों की जगह अपना मज़ाक उड़ता है।
यह पार्टी का होटल का खान पान शरीर और मन दोनों के लिए विषैला है, एक शारीरिक-मानसिक-आध्यात्मिक स्वास्थ्य की ओर अग्रसर अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को बेवजह पार्टी के खान-पान रूपी अस्वास्थ्यकर भोजन को करने के लिए प्रेरित करके कौन सा ज्ञान प्रदर्शित कर रहे हैं? किसका भला कर रहे हैं?
अतः अनुरोध है, आप सब भी उपवास और अनुष्ठान करके रोगमुक्त और प्रशन्नचित्त बने, आध्यात्मिक मनोविज्ञान को समझें। अनुरोध है, कुतर्क नहीं केवल तर्क करें वो भी सबूत के साथ।🙏🏻
एक बार एक मासीय चन्द्रायण स्वयं हिम्मत करके देखें, और अपने शारिरिक,मानसिक, आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आनन्द लें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - प्रिय आत्मीय बहन, आजकल सभी लोग फेसबुक में और पर्सनल फ़ैमिली व्हाट्सएप ग्रुप रखते हैं। अतः आप यह पोस्ट अपने फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दीजिए।
प्रिय व्रत-उपवास का मज़ाक उड़ाने वाले भाइयों एवं बहनों, यदि आप पढ़े लिखे है तो गूगल पर उपवास/Fasting के फ़ायदे सर्च कीजिये लम्बी लिस्ट मिल जाएगी।
उपवास शरीर शोधन और प्राण ऊर्जा बढ़ाने की अति महत्त्वपूर्ण प्रणाली है, इस लेख को निम्नलिखित लिंक पर जाकर पढ़े:-
http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1969/January/v2.25
*व्रत-उपवास से आयुर्वेद कहता है कि हमें निम्नलखित लाभ मिलेंगे,आयुर्वेद में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए 'लंघन्म सर्वोत्तम औषधं' यानी उपवास को सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता है। :-*
* मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है तथा मस्तिष्क का धुंधलका छँट जाता है।
* तत्काल एवं सुरक्षित तरीके से वजन घटता है।
* तंत्रिका तंत्र में संतुलन कायम होता है।
* ऊर्जा का स्तर बढ़ने से संवेदी क्षमताओं में वृद्धि होती है।
* शरीर के सभी अवयवों में ऊर्जा का संचार होता है।
* सेल्युलर बायोकेमेस्ट्री में संतुलन कायम होता है।
* त्वचा संवेदनशील, नर्म और रेशमी हो जाती है।
* आपके हाथ-पैरों का संचालन सरलता से होने लगता है।
* पाचन तंत्र ठीक होकर सुचारु रूप से काम करने लगता है।
* आंतों में भोजन से रस सोखने की क्रिया में वृद्धि होती है।
*Japanese scientist Dr Yoshinori Oshsumi’s Nobel prize-winning* work on autophagy has shown how damaged cells self-eat or self-destruct — keeping the body in good condition. The other benefit is that when the self-destruction occurs, there is the inducement of the growth hormone which allows for the generation of new cells.
Autophagy of the body means it cleanses itself of damaged, dead and unrepaired cells.
इसे निम्नलखित लिंक पर पूरा पढ़ लें:-
https://www.google.co.in/amp/s/www.deccanchronicle.com/amp/lifestyle/health-and-wellbeing/161016/cell-strategy-how-fasting-makes-the-human-body-better.html
अनुरोध हैं कि भगवान के नाम पर झूठ न बोलें, मनगढ़ंत सुनी सुनाई आधारहीन बातों पर किसी को ज्ञान न दें।, मनुष्य का आज का खान-पान पूर्णतया अप्राकृतिक है जो मनुष्य ने स्वाद लिप्सा हेतु स्वास्थ्य मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए बनाई है। स्वयं के शरीर का ही टेस्ट करवाये और स्वयं चेकलिस्ट बना लें कि शरीर कितना स्वस्थ है और कितना नहीं।
भगवान ने क्या कहा है, यदि यह आपको पता होता तो आप किसी व्रत करने वाले का कभी मज़ाक नहीं उड़ायेंगे। अध्यात्म, आयुर्वेद, आधुनिक चिकित्सा पद्धति और आज का विज्ञान भी उपवास को महत्तव देता है।
उपवास अनुष्ठान के दौरान करने से प्राण ऊर्जा उर्ध्वकेन्द्रों में गमन करती है, और मनःसंस्थान सन्तुलित और एक्टिव बनता है। यह EEG मशीन से भी चेक किया जा सकता है।
अतः बुद्धिमत्ता यह कहती है कि किसी को कुछ कहने से पहले स्ट्रॉग एविडेन्स/सबूत के आधार पर कुछ कहना चाहिए। अन्यथा दूसरों की जगह अपना मज़ाक उड़ता है।
यह पार्टी का होटल का खान पान शरीर और मन दोनों के लिए विषैला है, एक शारीरिक-मानसिक-आध्यात्मिक स्वास्थ्य की ओर अग्रसर अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को बेवजह पार्टी के खान-पान रूपी अस्वास्थ्यकर भोजन को करने के लिए प्रेरित करके कौन सा ज्ञान प्रदर्शित कर रहे हैं? किसका भला कर रहे हैं?
अतः अनुरोध है, आप सब भी उपवास और अनुष्ठान करके रोगमुक्त और प्रशन्नचित्त बने, आध्यात्मिक मनोविज्ञान को समझें। अनुरोध है, कुतर्क नहीं केवल तर्क करें वो भी सबूत के साथ।🙏🏻
एक बार एक मासीय चन्द्रायण स्वयं हिम्मत करके देखें, और अपने शारिरिक,मानसिक, आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आनन्द लें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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