Monday, 23 July 2018

प्रश्न - *विद्यार्थियों को गायत्री मंत्र जप साधना के लिए मोटिवेट कैसे करें?*

प्रश्न - *विद्यार्थियों को गायत्री मंत्र जप साधना के लिए मोटिवेट कैसे करें?*

उत्तर - कुछ इस तरह समझाएं:-

दुनियां में जब हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैसा कोई सम्प्रदाय नहीं था। तब एक ही सनातन धर्म था, जो मानव कल्याण के लिए बना था। एक ही संस्कृति थी वैदिक संस्कृति।

दुनियाँ की पहली पुस्तक ऋग्वेद है, फिर अन्य वेद सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद लिखे गए।

आध्यात्मिक वैज्ञानिक रिसर्चर को  ऋषि कहा जाता था, जैसे अभी साइंटिस्ट लोग होते हैं।

अब ऋषि संसद ने विचार किया कि कोई ऐसा मन्त्र अर्थात फार्मूला मनुष्य को दिया जाय जिससे मानव जाति का कल्याण हो और वो मन्त्र वेदों का सार हो। एक मास्टर चाबी समस्त समस्याओं के समाधान के लिए...

जैसे कठिन से कठिन गणित के सवाल उसके फ़ार्मूले से हल हो जाते है, ठीक वैसे ही मनुष्य की कठिन से कठिन मानव जीवन की समस्या को हल करने के लिए मन्त्र दिया गया है - *गायत्री मंत्र*। इस मन्त्र के दृष्टा विश्वामित्र जी थे और सहयोगी वशिष्ठ जी थे।

अब ये मन्त्र मानव जीवन मे काम कैसे करेगा? यह प्रश्न आप सबके दिमाग मे आ रहा होगा? भला एक मन्त्र और समस्त समस्या का समाधान...कुछ ज्यादा नहीं बोल रहे..., मानो मास्टर चाबी (Key) दी जा रही हो...क्या ऐसा सम्भव है????

हांजी बिल्कुल सम्भव है, क्योंकि इस मन्त्र में उन अक्षरों और शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जिसके उच्चारण से 24 प्रमुख शरीर के ऊर्जा केंद्र जागृत हो जाएं, 72000 नाड़ियां सक्रिय हो जाएं और इड़ा-पिंगला नाड़ी प्राण ऊर्जा को निम्न केंद्रों से ऊपर सहस्त्रार की ओर प्रवाहित करे। स्थूल - सूक्ष्म और कारण तीनो शरीर एक्टिव हो जाये। जिन्हें क्रमशः क्रियाशक्ति, विचारशक्ति और भावशक्ति भी कहते है। संक्षेप में गायत्री मंत्र प्राण ऊर्जा के उत्पादन का सशक्त टूल है।

मनुष्य के उत्थान हो या पतन दोनों के लिए उत्तरदायी मन ही होता है। मन पढ़ने में लग गया तो पास, नहीं पढ़ने में लगा तो फ़ेल। मन व्यसन और आवारागर्दी में लगा तो जिंदगी में जीते जी नर्क और मन यदि आत्मकल्याण और लोकसेवा में लग गया तो जीते जी स्वर्ग।

अब मन कोई दृश्य वस्तु तो है नहीं, यह तो एक सॉफ्टवेयर है जो दिमाग रूपी हार्डवेयर में इंस्टाल है।  मन एक अदृश्य घोड़ा है जिस पर बैठकर जीवन की यात्रा करते हो, अगर इसे नियंत्रित करना है और इस पर लगाम लगाना है तो केवल इसे प्रचण्ड संकल्पों से ही बांध सकते है, इस पर लगाम लगा सकते है।

अब यह मन रूपी घोड़ा *अंधेरे से प्रकाश की ओर* यात्रा करे, सन्मार्ग पर चले तो संकल्प की लगाम तो चाहिए ही। वह संकल्प की लगाम मन रूपी घोड़े के लिए तैयार करता है गायत्री मंत्र जप।

गायत्री मंत्र जप के निरन्तर जप से मन सधता है। जब मन जिसका सध जाए तो वो उस मन से कुछ भी हांसिल कर सकोगे। पढ़ाई में मन लगा सकेगा, व्यवसाय में कुशलता हांसिल कर सकेगा, सबकुछ सम्भव हो सकेगा।

स्थूल दृष्टि से जल में बिजली है माना नहीं जा सकता, लेकिन टरबाइन जैसे यंत्रों पर जल के तीव्र वेग से बिजली उतपन्न की जा सकती है। यही सिस्टम मन के विचारों से बिजली उतपन्न करने के लिए गायत्री मंत्र रूपी टरबाइन के प्रयोग का है।

इसलिए बचपन से गुरुदीक्षा में प्राचीन समय मे गायत्री मंत्र देकर ही शिक्षा प्रारम्भ की जाती थी।

गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात।*
एक मन्त्र अनेक लाभ है:-

भावार्थ - ईश्वर प्रार्थना
*उस प्राणस्वरूप दुःखनाशक सुख स्वरूप श्रेष्ठ तेजस्वी पापनाशक देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करते हैं। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करे।*

इस जप से स्वयं के मन को निम्नलखित संकल्प से बांधना है, उसे जीवन लक्ष्य और उद्देश्य बार बार बताना और याद दिलाना है, ऐसा करने के लिए मन की प्रोग्रामिंग कर उसे आगे बढ़ाना है:-

*हमें स्वयं को उस सर्वशक्तिमान ईश्वर का सच्चा उत्तराधिकारी बनाना है, हमें स्वयं को प्राणवान,  दुःख- परपीड़ा-युगपिड़ा मिटाने वाला, सुख बांटने वाला/आत्मीयता विस्तार करने वाला, श्रेष्ठ और तेजस्वी व्यक्ति बनाना है। साथ ही देवता बनकर अनीतियों, कुरीतियों,व्यसनों से लोहा लेना है। उस परमात्मा को हमेशा अपनी अंतरात्मा में धारण करते हुए बुद्धि को सन्मार्ग की ओर बलपूर्वक चलाना है। इंद्रियों को वश में करना है और श्रेय मार्ग का चयन करना है। भगवान की बनाई सृष्टि को व्यवस्थित करना है।*

एक मन्त्र में समस्त ज्ञान और उज्ज्वल भविष्य की सम्भावनाये समाई हुई है। क्योंकि जब यह मन्त्र मनुष्य जाति को दिया गया था तो कोई हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई जैसा कोई धर्म सम्प्रदाय exist ही नहीं करता था, इसलिए यह मन्त्र सबके लिए है, और सबका है।

जैसे बर्फ़ से ठण्डक और अग्नि से  गर्मी कोई भी जाति का हो उसे मिलेगा ही, वैसे ही गायत्री मंत्र जप का लाभ कोई भी जाति का व्यक्ति करे, उसे लाभ समान ही मिलेगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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