Sunday 15 July 2018

प्रश्न - *बलिवैश्व यज्ञ का लाभ क्या है?

प्रश्न - *बलिवैश्व यज्ञ का लाभ क्या है?*

उत्तर - *भावों की शुद्धि का उपक्रम - बलिवैश्व यज्ञ है।*

एक कहानी के माध्यम से इसका उत्तर समझिए-

सीमा बहू की शादी के बाद आज पहली रसोई थी। तो मीठे में आज खीर बनी।

जैसे ही खीर बन गयी उनकी सास आयी और एक छोटा सा ताम्र पात्र उनके हाथ मे दिया और बोला इसे गैस पर चढ़ाओ बहु और गर्म करो।

थोड़ी सी खीर कटोरी में ले लो, और एक किचन में लगे बलिवैश्व यज्ञ के स्टीकर की ओर इशारा करके कहा कि, इस स्टिकर में गायत्री मंत्र को पढ़ो और पांच आहुतियाँ इस ताम्रपात्र पर दे दो। ऐसे ही जब रोज आज के बाद से भोजन बनेगा, केवल मीठे से आहुति लगेगी। नमक सोडियम क्लोराइड जलने पर जहरीली गैस और नकारात्मक ऊर्जा उतपन्न करता है। अतः यज्ञ में नमक प्रयोग नहीं होगा। जिस दिन किचन में मीठा न बने उस दिन गुड़ और घी पके थोड़े से चावल या थोड़ी सी रोटी में मिलाकर पांच आहुति दे देना।

सीमा ने आहुति दे दी और सब खाने की टेबल पर पहुंच गए। सीमा ने भोजन और खीर सबको परोसी।

सीमा बहु ने खाने की टेबल पर अपनी सास नीलम जी से पूँछा, मांजी एक प्रश्न है,

*बलिवैश्व यज्ञ जो अभी आपने करवाया वो क्या है? और इसके करने से क्या लाभ है?*

बेटे! वैसे तो यज्ञ का ज्ञान विज्ञान गहन है, लेकिन भोजन की टेबल पर संक्षेप में समझाती हूँ।

जैसे खाना बनाने से पहले हम अन्न, फ़लों और सब्ज़ियों को अच्छे से धोते है, उसकी स्थूल सफाई के लिए, ठीक उसी प्रकार *अन्न की पुराने सूक्ष्म भावों-संस्कारो की धुलाई करके उसे अच्छे संस्कारोयुक्त बनाने के लिए हम बलिवैश्व यज्ञ करते है।*

इस यज्ञ में हम अन्न को भगवान को अर्पित करते हैं मन्त्रों द्वारा, तो अन्न अग्नि में वायुभूत मन्त्र के साथ हो जाता है। और मन्त्र की वाइब्रेशन/तरंगे भोजन में प्रवेश कर जाती है और उस अन्न को संस्कारित कर देती हैं।

ससुर महेश ने कहा, बेटा हमें नहीं पता की जब अन्न किसान ने उपजाया गया तो किसान किस भाव दशा मे था( भाव- क्रोध, लोभ, मोह, दम्भ, दुःख या सुख)

हमें यह भी नहीं पता को इस अन्न को स्पर्श करने वाले किसान से लेकर दुकानदार तक हज़ारो हाथों  से होते हुए यह अन्न हम तक पहुंचा। अब यदि इस अन्न के भाव  संस्कारित न किये गए तो यह भाव निश्चयतः मन में हमारे विकार उतपन्न करेंगे।

पति रवि ने कहा- सीमा एक कहावत है- जैसा खाओ अन्न , वैसे होवें मन। अन्न के भी तीन शरीर मनुष्यो की तरह ही होते है- स्थूल, सूक्ष्म और कारण।

स्थूल अन्न से स्थूल शरीर बनता है, और सूक्ष्म अन्न सूक्ष्म शरीर का पोषण करता और कारण शरीर भाव शरीर अर्थात मन का निर्माण करता है। जिसे क्रमशः क्रियाशक्ति, विचारशक्ति(IQ) और भावना शक्ति(EQ) भी कहते है।

सास नीलम ने कहा - सीमा बेटे ! तुम मुझे मां और मैं तुम्हे बेटी के रूप में स्वीकारु, तुम इस घर को अपना और सब तुम्हे अपना स्वीकारे, हम सब अधिकारों की उपेक्षा करके और कर्तव्यों को महत्तव दें, इसके लिए हम सबका सद्बुद्धि युक्त और भाव सम्वेदना युक्त होना और विकार मुक्त होना जरूरी है।

परमपूज्य गुरुदेब ने इसी हेतु यह बलिवैश्व यज्ञ की शृंखला घर घर चलाई है। *यह एक तरह से सुखी सम्पन्न आत्मीयता से भरे परिवार का रिमोट कंट्रोल है, जिसे परमपूज्य गुरुदेब ने बलिवैश्व यज्ञ के रूप में गृहणी के हाथ मे थमाया है।*

सीमा बहु यह घर स्वर्ग सा सुंदर रहेगा या कलहयुक्त नारकीय यह हमारी मनःस्थिति और हमारा दृष्टिकोण तय करेगा। अब EQ-भाव तो बलिवैश्व यज्ञ संस्कारित कर देगा, लेकिन कहीं बुद्धि(IQ) बाहर किसी के बहकावे में न भटके इसके लिए घर मे सभी सदस्यों को नित्य स्वाध्याय भी करना पड़ेगा।

सीमा बहु बोली मां आप सही कह रहे हो, मैं बलिवैश्व यज्ञ और स्वाध्याय नियमित करूँगी। अपने परिवार में आत्मीयता और प्रेम सहकार की भावना विनिर्मित करूंगी।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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