Sunday, 8 July 2018

*मेरे जीवन का अंत एक मुट्ठी राख

*मेरे जीवन का अंत एक मुट्ठी राख*

मेरे जीवन का अंत,
एक मुट्ठी राख,
चिता की अग्नि में,
होगा यह शरीर ख़ाक।

मेरे सतकर्मों की,
या तो सुगंध निकलेगी,
या दुष्कर्मो की दुर्गंध निकलेगी,
मेरे जलने पर शरीर मरेगा,
मेरे किये कर्मों का वजूद,
मरने के बाद भी रहेगा।

संसार भी मेरे कर्मो को याद रखेगा,
भगवान भी मेरे कर्मो का ही हिसाब करेगा,
कोई मुझे याद कर मुस्कुरायेगा,
कोई मुझे याद कर घृणा से भर जाएगा।

जमीन जायजाद सब यहीं रहेगा,
मेरे साथ तो केवल,
एक कफ़न का टुकड़ा जलेगा,
अच्छे बुरे कर्मो का कर्मफ़ल ही,
मेरे साथ जाएगा।

(चन्द्रायण व्रत जरूर करें, प्रायश्चित और पापनाशक यह व्रत है। इसमें इतनी ताकत है जो पापकर्मो को नष्ट कर सकता है। निष्कासन तप द्वारा आत्मा को बोझ कम करें, चन्द्रायण व्रत गुरुपूर्णिमा 27 जुलाई से श्रावणी पूर्णिमा 26 अगस्त तक है।)

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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