Thursday 19 July 2018

प्रश्न - *दी, यदि कोई हमारी टीम के किये सामाजिक आध्यात्मिक कार्य का श्रेय रिपोर्ट में ख़ुद का बता कर ले, तो ऐसी परिस्थिति में हमे क्या करना चाहिए?*

प्रश्न - *दी, यदि कोई हमारी टीम के किये सामाजिक आध्यात्मिक कार्य का श्रेय रिपोर्ट में ख़ुद का बता कर ले, तो ऐसी परिस्थिति में हमे क्या करना चाहिए?*

उत्तर - उस व्यक्ति को इग्नोर करना चाहिए, क्योंकि हम सब ईश्वर के कार्यकर्ता हैं। ईश्वर के लिए काम कर रहे हैं और फाइनल रिपोर्ट महाकाल गुरुदेब के पास जाएगी। जो अंतर्यामी हैं।

एक काम और कर सकते हो कि अपनी टीम की रिपोर्ट सम्बन्धित जगह स्वयं भी भेजें, कार्य की फोटो शोशल मीडिया में पोस्ट करें... लेकिन इसका उद्देश्य मात्र लोगो को प्रेरणा देने के लिए और ऐसे ही अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करने के लिए होना चाहिए,
इसका उद्देश्य कार्य का श्रेय लेने के लिए नहीं होना चाहिए, क्योंकि हम सब गुरुसत्ता के निमित्त मात्र हैं... सांसारिक इंसान पुण्यकर्म का लेखा जोखा करने में अक्षम है वो मात्र ताली बजा सकता है। लेकिन असली हिसाब तो ईश्वर करेगा।
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*आओ इसे एक कहानी के माध्यम से समझते हैं*- एक राजा रोज रात को वेश बदल के अपनी प्रजा का हाल चाल लेने निकलता।

राह में एक लाश पड़ी देख के उसने आसपास गाँव वालों से कहा, अरे इसे अभी तक मुखाग्नि क्यों नहीं दी गयी? क्या इस व्यक्ति का कोई नहीं है?

लोगों ने कहा, यह शराबी और व्यभिचारी है। इसकी लाश के स्पर्श से हम अपवित्र हो जाएंगे। अगर आपको ज्यादा दया आ रही हो तो इस लाश को इसके घर पहुंचा दो, हम पता बता देते हैं।

दयालु राजा उस लाश को लेकर उस व्यक्ति के घर पहुंचा, पत्नी विलाप करने लगी। बोली मेरे महान पुण्यात्मा पति की लाश को घर तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद।

राजा बोला- लोग तो कह रहे हैं यह व्यभिचारी और शराबी है। और तुम कह रही हो महान और पुण्यात्मा। या तो लोग सही है या तुम...मुझे बताओ माज़रा क्या है?

स्त्री बोली, हम निम्न जाति के गरीब लोग हैं। मेरा पति सन्तों की संगति में यह बात सीखा कि कोई कर्मो को देखे न देखे भगवान सब देख रहा है। क्योंकि वो हमारे ही भीतर है। भगवान की बनाई इस सृष्टि में जो बन पड़े जरूर करें और युगपिड़ा हरने/निवारण का हर सम्भव प्रयास करें।

मेरे पति ने यहां के लोगों को व्यसन और वेश्यावृत्ति छोड़ने को बहुत समझाया लेकिन लोग न माने। अत्यंत गरीब कन्याओं को उनके अपने ही चंद पैसे के लिए  कोठों पर वेश्यावृत्ति हेतु बेंच देते हैं। फिर दबंग उन कन्याओं का शोषण करते हैं।

मेरे पति ने यह सब रोकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन यहां के दबंगो ने सब प्रयास व्यर्थ कर दिए। फ़िर भी इसने हार नहीं मानी। दिन भर कमाता और जरूरत के भोजन व्यवस्था से बचे पैसे से शराब खरीद के नाली में बहा देता तो गांव के युवकों को शराब न मिलती...धीरे धीरे गाँव के कुछ युवकों को निरन्तर शराब न मिलने के कारण उनकी शराब छूट गयी, और हर महीने एक वेश्या लड़की को पैसे से खरीद के मुक्त करवाता और उसे गांव से कई कोस दूर उसका व्याह करवा देता। इसका मानना था कुछ तो इस गांव को पापमुक्त बनाने में और कुछ कन्याओं की जान बचाने का जो कार्य मैं कर सकता हूँ जरूर करूंगा।

मैं जब इससे कहती कि तुझे लोग शराबी और व्यभिचारी समझेंगे। तेरी मौत पर कोई कंधा देने न आएगा। तूने सन्तान भी लोकसेवा में उतपन्न न की। तो तुझे और मुझे मरने पर कोई मुखाग्नि भी न देगा।

तो मेरा पति जोर से हँसता, बोलता भाग्यवान मैं जिस भगवान के लिए काम कर रहा हूँ, वो मेरी लाश को कंधा देने के लिए बड़े राजा को भेजेगा। मुझे मुखाग्नि इस देश का राजा 24 तोपों की सलामी के साथ देगा।

राजा फूट फूट कर रोने लगा, बोला माई तेरा पति सही कहता था। भगवान ने राजा को तेरे पति की लाश को न सिर्फ कंधा देने बल्कि राजकीय सम्मान के साथ मुखाग्नि देने भेज दिया है। इसे 24 तोपो की सलामी के साथ मुखाग्नि दी जाएगी। आज से मैं तुझे राजमाता बनाता हूँ। और तेरे पति का छोड़ा कार्य अब मैं पूरा करूंगा, यह गांव ही नहीं पूरा का पूरा राज्य वेश्यावृत्ति और व्यसन से मुक्त कर दूंगा। माई मैं इस देश का राजा हूँ।
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आत्मीय बहनों भाईयों यदि आप गुरुकार्य और युग पीड़ा पतन निवारण का कार्य पूरी निष्ठा लगन से कर रहे हो तो वो महाकाल गुरुदेब से छिपा नहीं है। वो सब देख रहे है और सबकुछ नोट कर रहे है। निश्चिंत रहें भगवान के यहां कोई किसी के पुण्य का श्रेय नहीं ले सकता। और भगवान के यहां अन्तर्मन में भी किया पाप नहीं छुप सकता, तो भला सांसारिक हेराफेरी कैसे छुप सकेगी।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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