*केवल उपासना से ईर्ष्या/द्वेष खत्म नहीं होता, न हीं उच्च कोटि का ज्ञान पढ़ने पर खत्म होता है।*
*ईर्ष्या/द्वेष ख़त्म करने हेतु केवल साधना(आत्मशोधन और प्रायश्चित) बहुत जरूरी है। इस बात का आभास जरूरी है कि हम ईर्ष्या कर रहे हैं। आत्म बोध, तत्व बोध और चन्द्रायण जरूरी है।*
रावण से बड़ा तपस्वी उपासक इस धरती पर कोई उतपन्न न हुआ। लेकिन वो उपासक था साधक नहीं। इसी तरह दुर्योधन और रावण के समान धर्म का ज्ञान शायद ही किसी को हो, क्योंकि श्रेष्ठ गुरुओं से शिक्षा ली थी लेकिन ईर्ष्या/द्वेष से भरे इनके अन्तःकरण थे जो इन्हें कुछ ऐसा करने पर विवश कर रहे थे जो कि इन्हें नहीं करना चाहिए था।
आरएमएस टायटेनिक ईर्ष्या में बनाया जहाज था, जो कि आरएमएस ओलम्पिक(ओलम्पस) जहाज की ईर्ष्या में बनाया गया था। आरएमएस टायटेनिक लांच में कहा गया था कि इस जहाज को भगवान भी नहीं डूबा सकता। ईर्ष्या/द्वेष के कारण ही स्वयंमेव टायटेनिक डूब गया, क्योंकि उसने अन्य जहाज़ों द्वारा भेजी जा रही चेतावनी को अनदेखा कर दिया। कोलंबिया नामक जहाज़ ने पहले ही बता दिया था कि टायटेनिक को रास्ता बदल देना चाहिए क्योंकि उधर हिमखंड है।
*आइये इस सम्बंध में एक कहानी सुनते है कि कैसे उपासक ईर्ष्या में अपना नुक़सान उठाने को तैयार हो जाते है दुसरो को नीचा दिखाने के चक्कर में...*
दो उपासक जो एक दूसरे से ईर्ष्या करते थे, शिव की आराधना की। शिव प्रशन्न हुए पहले उपासक के पास आये, बोलो वत्स बताओ क्या तपस्या का फल चाहिए। पहला उपासक बोला दूसरा जो भी मांगें उससे डबल मुझे देना। भगवान दूसरे उपासक के पास गए और कहा वत्स तपस्या का फल क्या चाहिए। दूसरे ने पूँछा कि ये बताइये प्रभु पहले वाले ने क्या मांगा? भगवान ने कहा वत्स तुम्हे जो भी मिलेगा उसका डबल उसने मांगा है।
दूसरे ने कहा - प्रभु मेरी एक आंख, एक पैर और एक हाथ आप ले लो।
भगवान ने तथास्तु कहा।
*दूसरा एक हाथ का लूला, एक पैर लँगड़ा और एक आंख से काना बनकर अपनी तपस्या को नष्टकर के, ईश्वर को पाकर के भी खोकर के भी गौरान्वित हो रहा था कि उसने पहले वाले को परेशान करने सफ़लता पाई थी। दूसरा डबल के चक्कर में दोनों आंख, दोनों पैर और दोनों हाथ खो चुका था।*😔😔😔😔 यदि ये दोनों उपासक अच्छे साधक भी होते तो केवल तपस्या में स्वयं के कल्याण और उद्धार की सोचते, लोककल्याण की बात करते तो कितना अच्छा होता।
बच्चे भी स्वयं से कम्पटीशन नहीं करते अच्छा वो तो चार सब्जेक्ट में फेल हुआ मैं तो केवल एक मे हुआ इसकी खुशी मनाते है। अपने रिज़ल्ट पर ध्यान नहीं दूसरे के रिज़ल्ट को ताकते है।
आप भी आसपास नजर घुमाओ, देखो कि कितने सारे उपासक जिनकी उपासना का भंडार अनगिनत है लेकिन अपनी उपासना को ईर्ष्या की बलि वेदी पर चढ़ा कर मिशन का नुकसान कर रहे हैं।
कुछ तो 31 दाँत के स्वास्थ्य पर नज़र नहीं डालते केवल एक दांत के दर्द पर ही ध्यान केंद्रित कर दोषरोपन शुरू कर देते हैं। परमपूज्य गुरुदेब और माता जी अपने आश्रम के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वालो को चाय, पानी और नाश्ता भेजते थे। जिन्होंने परमपूज्य गुरुदेव पर केस किया उस केस की पेशी पर उन्ही परिजन के घर जाकर रुके और उन्हें प्यार दिया। जब पण्डे पुजारी माताजी को रिक्शे पर गाली वाले कागज थमा कर चले गए तो माताजी ने फाड़कर उसे फेंक दिया। गुरुदेब ने कहा तुमने उसकी मेहनत का अपमान कर दिया उसके सामने कागज फाड़ के, उसे बुरा लगा होगा। घर लाकर फाड़कर फ़ेंकना था। दोषी को भी पहले एकांत में ही प्रश्न करते थे, जब वो न सुधरता तब कहीं जाकर बात बाहर आती। दुश्मनों को भी प्यार और आत्मीयता बांटने वाले गुरु के शिष्यों को उनके जैसा बनने का प्रयास करना चाहिए और आनंदमय की जिंदगी जीते हुए, मरते समय सुकून से मरना चाहिए।
ईष्या passive feeling है, ईर्ष्यालु कुढ़ता तो है किसी के मार्क्स, सम्मान, या प्रसंशा से लेकिन उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। द्वेष ईर्ष्या का विकृत रूप है जब उपरोक्त कहानी अनुसार वो अंधा होकर प्रतिक्रिया देने लगता है। द्वेष एक Active feeling है।
*अब प्रश्न उठता है कि कैसे पता करोगे कि ईर्ष्या/द्वेष आप किसी से करते हो या नहीं? कैसे ईर्ष्या पर विजय पाएँ?*
कभी कभार किसी व्यक्ति से ईर्ष्या करना स्वाभाविक है। मगर जब ईर्ष्या आप पर इतनी हावी हो जाए कि आप अपना सारा समय केवल इसी इच्छा में लगा दें कि आपके पास भी वह सब हो जाये जो दूसरों के पास है और अपनी परिस्थितियों की सराहना भी न कर पाएँ, तब समस्या है।
👉🏼 यदि आप लगातार मन ही मन अपनी तुलना अपने मित्रों, परिजनों और सहकर्मियों से करते रहते हैं।
👉🏼 यदि आप किसी व्यक्ति विशेष से ईर्ष्या करते हैं और उसके साथ पाँच मिनट भी यह सोचे बगैर नहीं रह सकते हैं कि काश आपके पास जो है वो क्यों है? मेरे पास क्यों नहीं?
👉🏼 यदि आप किसी हालत में यह बर्दाश्त नहीं होता है कि आपका साथी मित्र किसी अमुक की प्रसंशा करें।
👉🏼 बड़े से बड़ा नुकसान उठाने को तैयार है, उपासना - तपस्या का फल लगाने को तैयार है, अपने को श्रेष्ठ साबित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
👉🏼 उसको तो केवल सपना आता है या उसके घर गुरुदेब आये थे तो क्या हुआ - हमारे ऊपर ही साक्षात गुरुजी आते है हम यह दिखा देंगे? *गुरुदेव जिस पर भी कृपालु होंगे वो स्वतः दिख जाएगा इसके लिए अलग से कुछ करने की आवश्यकता नहीं। रिज़ल्ट स्वयं बताएगा कि किसने सचमुच पढ़ा, तो क्यों न हम स्वयं पढ़ने पर, तप करने पर और गुरुकार्य करने पर फ़ोकस करें। मुंह से बोलने की क्या जरूरत हम इतने घण्टे पढ़ते है, या इतना काम करते है, अरे परीक्षा का रिज़ल्ट तो सब स्वतः बोल देगा। गुरुकार्य स्वतः सब जगह दिखाई देगा। वो अन्तर्यामी तो हमारे अन्तःकरण में स्वयं हिसाब रख रहा है।*
यदि उपरोक्त भाव आया है तो नुकसान ही नुकसान दोनों तरफ होगा। *ईर्ष्यावश दूसरे को अंधा, बिन पैर हाथ का अपाहिज़ करने के चक्कर में स्वयं काना, लूला, लँगड़ा और अपाहिज़ बनना कहाँ की अक्लमंदी है? 👀👀👀👀स्वयं विचार करें और अपनी तपस्या हो या पढ़ाई में केवल स्वयं से कम्पटीशन करें, स्वयं के उद्धार, आत्मकल्याण और लोककल्याण के लिए फोकस करें। क्योंकि हीरे की चमक हो या तारे की चमक देर सवेर लोगों की नज़र में आ ही जाएगी। हीरे को तराशने में, तारे को सिर्फ़ स्वयं को चमकाने में, विद्यार्थी को स्वयं पढ़ने में और तपस्वी को उपासना के साथ साधना में जुटने की जरूरत है। दूसरे के पास या फेल होने से हमें कोई फ़ायदा न होगा। हमें नौकरी हो या गुरुभक्ति केवल अपने सत्प्रयास से मिलेगा। दिन के 24 घण्टे सदुपयोग करें।*
*चन्द्रायण स्वयं के चरित्र चिंतन व्यवहार अच्छाई और बुराई का अन्तःकरण के दर्पण में देखने और उनका निराकरण करने की विधि व्यवस्था है।*
🙏🏻 *व्यक्तित्व को निखारने और स्वयं के कषाय-कल्मषों को धोने वाली, पापनाशिनी प्रायश्चित चन्द्रायण व्रत साधना(27 जुलाई गुरुपूर्णिमा से 26 अगस्त श्रावणी पूर्णिमा तक) करने हेतु निम्नलिखित नम्बरो पर सम्पर्क करें*, स्वयं को ईश्वरीय अनुशासन में ढालकर सुकून शांति और आनंद में जियें। सूरज की तरह चमकना है तो सूरज की तरह तपने को तैयार हो जाइये, चन्द्रायण व्रत साधना कीजिये :-
रेखा पटवा, राजस्थान (+919214038101, +918209319828)
Prakash Moorjani
MP
+919424959299
Dr Rekha, Gurugram Haryana
+919312308887
Bandu meshram jee Maharashtra 7350965091
Om prakash Tatha Ch.G.
9827967139
Manish patna youth cell
6201323217
Kailash tiwari up
9415929561
Rajeev mehta odisha
9937376906
Yogesh patil Shanti kunj
9258360600
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*ईर्ष्या/द्वेष ख़त्म करने हेतु केवल साधना(आत्मशोधन और प्रायश्चित) बहुत जरूरी है। इस बात का आभास जरूरी है कि हम ईर्ष्या कर रहे हैं। आत्म बोध, तत्व बोध और चन्द्रायण जरूरी है।*
रावण से बड़ा तपस्वी उपासक इस धरती पर कोई उतपन्न न हुआ। लेकिन वो उपासक था साधक नहीं। इसी तरह दुर्योधन और रावण के समान धर्म का ज्ञान शायद ही किसी को हो, क्योंकि श्रेष्ठ गुरुओं से शिक्षा ली थी लेकिन ईर्ष्या/द्वेष से भरे इनके अन्तःकरण थे जो इन्हें कुछ ऐसा करने पर विवश कर रहे थे जो कि इन्हें नहीं करना चाहिए था।
आरएमएस टायटेनिक ईर्ष्या में बनाया जहाज था, जो कि आरएमएस ओलम्पिक(ओलम्पस) जहाज की ईर्ष्या में बनाया गया था। आरएमएस टायटेनिक लांच में कहा गया था कि इस जहाज को भगवान भी नहीं डूबा सकता। ईर्ष्या/द्वेष के कारण ही स्वयंमेव टायटेनिक डूब गया, क्योंकि उसने अन्य जहाज़ों द्वारा भेजी जा रही चेतावनी को अनदेखा कर दिया। कोलंबिया नामक जहाज़ ने पहले ही बता दिया था कि टायटेनिक को रास्ता बदल देना चाहिए क्योंकि उधर हिमखंड है।
*आइये इस सम्बंध में एक कहानी सुनते है कि कैसे उपासक ईर्ष्या में अपना नुक़सान उठाने को तैयार हो जाते है दुसरो को नीचा दिखाने के चक्कर में...*
दो उपासक जो एक दूसरे से ईर्ष्या करते थे, शिव की आराधना की। शिव प्रशन्न हुए पहले उपासक के पास आये, बोलो वत्स बताओ क्या तपस्या का फल चाहिए। पहला उपासक बोला दूसरा जो भी मांगें उससे डबल मुझे देना। भगवान दूसरे उपासक के पास गए और कहा वत्स तपस्या का फल क्या चाहिए। दूसरे ने पूँछा कि ये बताइये प्रभु पहले वाले ने क्या मांगा? भगवान ने कहा वत्स तुम्हे जो भी मिलेगा उसका डबल उसने मांगा है।
दूसरे ने कहा - प्रभु मेरी एक आंख, एक पैर और एक हाथ आप ले लो।
भगवान ने तथास्तु कहा।
*दूसरा एक हाथ का लूला, एक पैर लँगड़ा और एक आंख से काना बनकर अपनी तपस्या को नष्टकर के, ईश्वर को पाकर के भी खोकर के भी गौरान्वित हो रहा था कि उसने पहले वाले को परेशान करने सफ़लता पाई थी। दूसरा डबल के चक्कर में दोनों आंख, दोनों पैर और दोनों हाथ खो चुका था।*😔😔😔😔 यदि ये दोनों उपासक अच्छे साधक भी होते तो केवल तपस्या में स्वयं के कल्याण और उद्धार की सोचते, लोककल्याण की बात करते तो कितना अच्छा होता।
बच्चे भी स्वयं से कम्पटीशन नहीं करते अच्छा वो तो चार सब्जेक्ट में फेल हुआ मैं तो केवल एक मे हुआ इसकी खुशी मनाते है। अपने रिज़ल्ट पर ध्यान नहीं दूसरे के रिज़ल्ट को ताकते है।
आप भी आसपास नजर घुमाओ, देखो कि कितने सारे उपासक जिनकी उपासना का भंडार अनगिनत है लेकिन अपनी उपासना को ईर्ष्या की बलि वेदी पर चढ़ा कर मिशन का नुकसान कर रहे हैं।
कुछ तो 31 दाँत के स्वास्थ्य पर नज़र नहीं डालते केवल एक दांत के दर्द पर ही ध्यान केंद्रित कर दोषरोपन शुरू कर देते हैं। परमपूज्य गुरुदेब और माता जी अपने आश्रम के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वालो को चाय, पानी और नाश्ता भेजते थे। जिन्होंने परमपूज्य गुरुदेव पर केस किया उस केस की पेशी पर उन्ही परिजन के घर जाकर रुके और उन्हें प्यार दिया। जब पण्डे पुजारी माताजी को रिक्शे पर गाली वाले कागज थमा कर चले गए तो माताजी ने फाड़कर उसे फेंक दिया। गुरुदेब ने कहा तुमने उसकी मेहनत का अपमान कर दिया उसके सामने कागज फाड़ के, उसे बुरा लगा होगा। घर लाकर फाड़कर फ़ेंकना था। दोषी को भी पहले एकांत में ही प्रश्न करते थे, जब वो न सुधरता तब कहीं जाकर बात बाहर आती। दुश्मनों को भी प्यार और आत्मीयता बांटने वाले गुरु के शिष्यों को उनके जैसा बनने का प्रयास करना चाहिए और आनंदमय की जिंदगी जीते हुए, मरते समय सुकून से मरना चाहिए।
ईष्या passive feeling है, ईर्ष्यालु कुढ़ता तो है किसी के मार्क्स, सम्मान, या प्रसंशा से लेकिन उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। द्वेष ईर्ष्या का विकृत रूप है जब उपरोक्त कहानी अनुसार वो अंधा होकर प्रतिक्रिया देने लगता है। द्वेष एक Active feeling है।
*अब प्रश्न उठता है कि कैसे पता करोगे कि ईर्ष्या/द्वेष आप किसी से करते हो या नहीं? कैसे ईर्ष्या पर विजय पाएँ?*
कभी कभार किसी व्यक्ति से ईर्ष्या करना स्वाभाविक है। मगर जब ईर्ष्या आप पर इतनी हावी हो जाए कि आप अपना सारा समय केवल इसी इच्छा में लगा दें कि आपके पास भी वह सब हो जाये जो दूसरों के पास है और अपनी परिस्थितियों की सराहना भी न कर पाएँ, तब समस्या है।
👉🏼 यदि आप लगातार मन ही मन अपनी तुलना अपने मित्रों, परिजनों और सहकर्मियों से करते रहते हैं।
👉🏼 यदि आप किसी व्यक्ति विशेष से ईर्ष्या करते हैं और उसके साथ पाँच मिनट भी यह सोचे बगैर नहीं रह सकते हैं कि काश आपके पास जो है वो क्यों है? मेरे पास क्यों नहीं?
👉🏼 यदि आप किसी हालत में यह बर्दाश्त नहीं होता है कि आपका साथी मित्र किसी अमुक की प्रसंशा करें।
👉🏼 बड़े से बड़ा नुकसान उठाने को तैयार है, उपासना - तपस्या का फल लगाने को तैयार है, अपने को श्रेष्ठ साबित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
👉🏼 उसको तो केवल सपना आता है या उसके घर गुरुदेब आये थे तो क्या हुआ - हमारे ऊपर ही साक्षात गुरुजी आते है हम यह दिखा देंगे? *गुरुदेव जिस पर भी कृपालु होंगे वो स्वतः दिख जाएगा इसके लिए अलग से कुछ करने की आवश्यकता नहीं। रिज़ल्ट स्वयं बताएगा कि किसने सचमुच पढ़ा, तो क्यों न हम स्वयं पढ़ने पर, तप करने पर और गुरुकार्य करने पर फ़ोकस करें। मुंह से बोलने की क्या जरूरत हम इतने घण्टे पढ़ते है, या इतना काम करते है, अरे परीक्षा का रिज़ल्ट तो सब स्वतः बोल देगा। गुरुकार्य स्वतः सब जगह दिखाई देगा। वो अन्तर्यामी तो हमारे अन्तःकरण में स्वयं हिसाब रख रहा है।*
यदि उपरोक्त भाव आया है तो नुकसान ही नुकसान दोनों तरफ होगा। *ईर्ष्यावश दूसरे को अंधा, बिन पैर हाथ का अपाहिज़ करने के चक्कर में स्वयं काना, लूला, लँगड़ा और अपाहिज़ बनना कहाँ की अक्लमंदी है? 👀👀👀👀स्वयं विचार करें और अपनी तपस्या हो या पढ़ाई में केवल स्वयं से कम्पटीशन करें, स्वयं के उद्धार, आत्मकल्याण और लोककल्याण के लिए फोकस करें। क्योंकि हीरे की चमक हो या तारे की चमक देर सवेर लोगों की नज़र में आ ही जाएगी। हीरे को तराशने में, तारे को सिर्फ़ स्वयं को चमकाने में, विद्यार्थी को स्वयं पढ़ने में और तपस्वी को उपासना के साथ साधना में जुटने की जरूरत है। दूसरे के पास या फेल होने से हमें कोई फ़ायदा न होगा। हमें नौकरी हो या गुरुभक्ति केवल अपने सत्प्रयास से मिलेगा। दिन के 24 घण्टे सदुपयोग करें।*
*चन्द्रायण स्वयं के चरित्र चिंतन व्यवहार अच्छाई और बुराई का अन्तःकरण के दर्पण में देखने और उनका निराकरण करने की विधि व्यवस्था है।*
🙏🏻 *व्यक्तित्व को निखारने और स्वयं के कषाय-कल्मषों को धोने वाली, पापनाशिनी प्रायश्चित चन्द्रायण व्रत साधना(27 जुलाई गुरुपूर्णिमा से 26 अगस्त श्रावणी पूर्णिमा तक) करने हेतु निम्नलिखित नम्बरो पर सम्पर्क करें*, स्वयं को ईश्वरीय अनुशासन में ढालकर सुकून शांति और आनंद में जियें। सूरज की तरह चमकना है तो सूरज की तरह तपने को तैयार हो जाइये, चन्द्रायण व्रत साधना कीजिये :-
रेखा पटवा, राजस्थान (+919214038101, +918209319828)
Prakash Moorjani
MP
+919424959299
Dr Rekha, Gurugram Haryana
+919312308887
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Om prakash Tatha Ch.G.
9827967139
Manish patna youth cell
6201323217
Kailash tiwari up
9415929561
Rajeev mehta odisha
9937376906
Yogesh patil Shanti kunj
9258360600
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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