प्रश्न - *दी, मैंने एक मनोकामना पूर्ति हेतु तप साधना की थी, लेकिन वह मनोकामना पूरी नहीं हुई। गलती कहाँ हुई, कृपया मार्गदर्शन करें।*
उत्तर - आत्मीय भाई, आपके प्रश्न का उत्तर देने से पूर्व आपको एक कहानी सुनाती हूँ।
एक किसान बैल गाड़ी लेकर जा रहा था, चक्का कीचड़ में फंस गया। और वो मदद के लिए पुकार करने हेतु हनुमान चालीसा पढ़ने लगा। घण्टों बीत गए और कुछ न हुआ। एक अत्यंत वृद्ध सन्त अपनी झोपड़ी से यह नजारा देख रहे थे, वो उस किसान के पास पहुंचे। पूँछा क्या कर रहे हो। किसान ने बताया हनुमानजी को बुला रहा हूँ अपनी गाड़ी का चक्का निकालने के लिए। सन्त ने कहा, हनुमानजी ने अपना बल तो तुम्हारी भुजाओं में भेज दिया लेकिन तुम जब तक उन भुजाओं का प्रयोग ही नहीं करोगे चक्का निकालने में तो भला चक्का कैसे निकलेगा? किसान ने ज़ोर लगाया और चक्का निकल गया।
लक्ष्मी जी की केवल पूजा मात्र से बिज़नेस नहीं बढ़ता। उसके लिए प्रयास भी करना पड़ता है।
सरस्वती जी की केवल पूजा करने से ज्ञान नहीं मिलता, उसके लिए सम्बन्धित विषय की पढ़ाई और ध्यान भी करना पड़ता है। पूजन के साथ पढ़ने पर ही पास हुआ जा सकेगा।
अर्जुन को भी अपना युद्ध स्वयं ही लड़ना पड़ा था, भगवान ने मार्गदर्शन किया था। भगवान की मदद न मिलती तो द्रोण/भीष्म/कृपाचार्य से हारना भी तय था। इसलिए भगवान की कृपा भी जरूरी है और अर्जुन सा पुरूषार्थ भी जरूरी है।
भगवान एक शक्ति है और उसे धारण करने हेतु आपको स्वयं की पात्रता सिद्ध करनी पड़ती है। गंगाजल को घर तक लाने के लिए पात्र की जरूरत पड़ेगी। जितना बड़ा पात्र उतना जल। पाइप लाइन भी बिछा सकते हो। माध्यम तो चाहिए ही।
भगवान डायरेक्ट धन नहीं देता, भगवान बुद्धिबल, साहस, धैर्य और कुशलता देता है जिससे धन कमाने में हम समर्थ बनते है।
भगवान केवल तभी मदद कर सकता है जब इंसान स्वयं अपनी मदद करने के लिए प्रयासरत हो। ईश्वर का प्रवेश आपके प्रयासों में ही होता है।
अब जिस भी मनोकामना के लिए आपने तप साधना की, पहले उस मनोकामना का एनालिसिस कीजिये। कि उस कार्य के प्रति आप कितने जागरूक थे। उसके लिए प्लानिंग करने और एक्सीक्यूट करने में कहां त्रुटि रह गई? क्या 100% प्रयास हुआ था? किन कारणों से मनोकामना पूरी न हुई? इन सब पर गहन चिंतन कर अपने प्रयासों का विश्लेषण कीजिये, आपको स्वतः उत्तर मिल जाएगा। अपनी भूल सुधारिये और मंजिल/लक्ष्य को प्राप्त कीजिये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, आपके प्रश्न का उत्तर देने से पूर्व आपको एक कहानी सुनाती हूँ।
एक किसान बैल गाड़ी लेकर जा रहा था, चक्का कीचड़ में फंस गया। और वो मदद के लिए पुकार करने हेतु हनुमान चालीसा पढ़ने लगा। घण्टों बीत गए और कुछ न हुआ। एक अत्यंत वृद्ध सन्त अपनी झोपड़ी से यह नजारा देख रहे थे, वो उस किसान के पास पहुंचे। पूँछा क्या कर रहे हो। किसान ने बताया हनुमानजी को बुला रहा हूँ अपनी गाड़ी का चक्का निकालने के लिए। सन्त ने कहा, हनुमानजी ने अपना बल तो तुम्हारी भुजाओं में भेज दिया लेकिन तुम जब तक उन भुजाओं का प्रयोग ही नहीं करोगे चक्का निकालने में तो भला चक्का कैसे निकलेगा? किसान ने ज़ोर लगाया और चक्का निकल गया।
लक्ष्मी जी की केवल पूजा मात्र से बिज़नेस नहीं बढ़ता। उसके लिए प्रयास भी करना पड़ता है।
सरस्वती जी की केवल पूजा करने से ज्ञान नहीं मिलता, उसके लिए सम्बन्धित विषय की पढ़ाई और ध्यान भी करना पड़ता है। पूजन के साथ पढ़ने पर ही पास हुआ जा सकेगा।
अर्जुन को भी अपना युद्ध स्वयं ही लड़ना पड़ा था, भगवान ने मार्गदर्शन किया था। भगवान की मदद न मिलती तो द्रोण/भीष्म/कृपाचार्य से हारना भी तय था। इसलिए भगवान की कृपा भी जरूरी है और अर्जुन सा पुरूषार्थ भी जरूरी है।
भगवान एक शक्ति है और उसे धारण करने हेतु आपको स्वयं की पात्रता सिद्ध करनी पड़ती है। गंगाजल को घर तक लाने के लिए पात्र की जरूरत पड़ेगी। जितना बड़ा पात्र उतना जल। पाइप लाइन भी बिछा सकते हो। माध्यम तो चाहिए ही।
भगवान डायरेक्ट धन नहीं देता, भगवान बुद्धिबल, साहस, धैर्य और कुशलता देता है जिससे धन कमाने में हम समर्थ बनते है।
भगवान केवल तभी मदद कर सकता है जब इंसान स्वयं अपनी मदद करने के लिए प्रयासरत हो। ईश्वर का प्रवेश आपके प्रयासों में ही होता है।
अब जिस भी मनोकामना के लिए आपने तप साधना की, पहले उस मनोकामना का एनालिसिस कीजिये। कि उस कार्य के प्रति आप कितने जागरूक थे। उसके लिए प्लानिंग करने और एक्सीक्यूट करने में कहां त्रुटि रह गई? क्या 100% प्रयास हुआ था? किन कारणों से मनोकामना पूरी न हुई? इन सब पर गहन चिंतन कर अपने प्रयासों का विश्लेषण कीजिये, आपको स्वतः उत्तर मिल जाएगा। अपनी भूल सुधारिये और मंजिल/लक्ष्य को प्राप्त कीजिये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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