Monday, 27 August 2018

प्रश्न - *दीदी गणेश महोत्सव पर मिशन का क्या काम कर सकते है?*

प्रश्न - *दीदी गणेश महोत्सव पर मिशन का क्या काम कर सकते है?*

उत्तर- इस वर्ष *गणेश महोत्सव भाद्रपद कृष्णपक्ष चतुर्दशी(13 सितंबर 2018) से अनन्त चतुर्दशी(23 सितम्बर 2018)* तक मनाया जाएगा।

रीति रिवाजों और परंपराओं के अनुसार 2018 में गणपति विसर्जन तिथियाँ निम्नलिखित हैं, *विसर्जन के बाद मूर्ति का जल में घुल जाना आवश्यक है, विसर्जन के बाद "विलय" अर्थात घुलकर मिल जाना आवश्यक है। यदि ऐसी किसी चीज की प्रतिमा जो जल में घुलेगी नहीं उसका विसर्जन करने से पाप लगता है, और पूजा खंडित मानी जाती है*।:

13 सितंबर, 2018 को गणेश विसर्जन डेढ़ दिन पर होगा।

14 सितंबर, 2018 को गणेश विसर्जन तीसरे दिन होगा।

16 सितंबर, 2018 को गणेश विसर्जन 5 वें दिन होगा।

18 सितंबर, 2018 को गणेश विसर्जन 7 वें दिन होगा।

10 वें दिन गणेश विसर्जन 21 सितंबर, 2018 को होगा।

11 वें दिन (अनंत चतुर्दशी) गणेश विसर्जन 22 सितंबर, 2018 को होगा।

इतिहास के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि गणेश चतुर्थी 1630-1680 के दौरान शिवाजी (मराठा साम्राज्य के संस्थापक) के समय में एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था। शिवाजी के समय, यह गणेशोत्सव उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में नियमित रूप से मनाना शुरू किया गया था। पेशवाओं के अंत के बाद, यह एक पारिवारिक उत्सव बना रहा, यह 1893 में लोकमान्य तिलक (एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक) द्वारा पुनर्जीवित किया गया।

शिवाजी महाराज और लोकमान्य तिलक जी ने अंधविश्वास  को मिटाने, मनुष्यो में दैवीय गुण साहस जगाने और जनसामान्य को एकजुट करने हेतु, राष्ट्रनिर्माण हेतु लोगों को संगठित करने हेतु यह महोत्सव मनाना शुरू किया था। यह गणेश जी का 10 दिन का सामूहिक अनुष्ठान होता था। जिसे हम सब पुनः शुरू कर सकते हैं, इसके नियम इस प्रकार हैं:-

1- मिट्टी या भुने हुए आटे या भुने हुए सत्तू या गाय के गोबर या सुपाड़ी के गणेश जी बनाये जाते हैं। उन पर कच्ची हल्दी का लेप लगाया जाता है। एक चौकी पर आसन बिछा कर पान के हरे पत्ते के ऊपर उन्हें बिठाया जाता है।

2- रोज दो वक्त प्रेरक प्रज्ञा गीत और राष्ट्रभक्ति गीतों का सामूहिक गान होता है। फ़िर पूजन आरती होती है।

3- गणेश जी को नित्य हल्दी का अभिषेक होता है, और 21 हरे दूब चढ़ाए जाते हैं, और रोज प्रसाद में मोदक या लड्डू चढ़ाते है।

4- देश, समाज और परिवार की विपत्तियों के निवारण हेतु नित्य सामूहिक *गणेश गायत्री मंत्र*, *गायत्री मंत्र* और *महामृत्युंजय मंत्र* का जप और लेखन किया जाता है।

एक दिन सामूहिक अखण्डजप भी किया जा सकता है।

5- नशा रूपी विपत्ति के निवारण हेतु नशा करने वाले गणेश स्थापना के दिन नशा न करने का संकल्प लेते हैं। दस दिन तक कठोर व्रत, तप और प्राणायाम द्वारा नशे से मुक्ति प्राप्त करते है। बालको की गणेश उत्सव टीम से नशामुक्ति रैली और नशे पर नुक्कड़नाटक आयोजित कर सकते हैं। नशे से बुद्धि भ्रष्ट होती है अतः गणेश जो कि सद्बुद्धि के देवता है उनका पूजन करने वालो को नशा नहीं करना चाहिए।

6- गणेश उत्सव के समय ज्यादा से ज्यादा विद्यारम्भ सँस्कार करवाएं और घर घर में तुलसी स्थापना करवाएं।

7- *अधिकतम अंक कैसे पाएं*, *आगे बढ़ने की तैयारी* और *बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि* तीनों पुस्तकों का पूजा पंडाल में बच्चो से सामूहिक स्वाध्याय करवाएं। ध्यान, गणेश योग के साथ साथ अन्य बुद्धि बढ़ाने वाले योग का प्रदर्शन बालकों की टीम से करवाएं। माता-पिता में भी अवेयरनेस लाएं।

8- कुशल माता-पिता कैंसे बनें? बालको में राष्ट्रचरित्र कैसे गढ़ें? बच्चो में बुद्धि का सही विकास कैसे सुनिश्चित करें इस पर कार्यशाला आयोजित करें।

9- दस दिन के गणेश महोत्सव में युगनिर्माण के शत सूत्रीय कार्यक्रम से लोगों को अवगत करवाएं। सामूहिक गणेश उत्सव पंडाल में साहित्य स्टॉल जरूर लगाएं। पुरानी अखण्डज्योति कलेक्ट करके फ्री बांटे। पम्पलेट बांटे।

10- यूट्यूब पर देवसंस्कृति विश्विद्यालय में ज्ञानदिक्षा/उन्नयन समारोह के जनजागृति जगाने वाले नृत्य, नाटक, भाषण इत्यादि उपलब्ध हैं। सम्भव हो तो उनका मंचन अपने यहां के बालकों की टीम द्वारा करवाये। वीर शिवाजी और उनके पुत्र सम्भाजी राव की वीरता की कहानियां बच्चो को सुनाये। बच्चो और बड़ो में वीरता के गुण विकसित करें।

11- वृक्ष रूपी गणेश की स्थापना हेतु विराट वृक्षारोपण अभियान दस दिनों तक चलायें। प्रत्येक वृक्ष को गणेश प्रतिमा की तरह हल्दी लगाकर पूजन करें।

12- सभी लोगों को बोलें अपने अपने घर से सब 5 दीपक, 5 कपूर की डली, 21 दूब, अक्षत, पुष्प, दो सुपाड़ी और दो पान का पत्ता और हल्दी लेकर पूजा की थाल सजाकर आएं। दो कटोरी, दो प्लेट और दो चम्मच भी साथ लाएं।

सबसे पहले गणेश उत्सव का महत्त्व और सदबुद्धि प्राप्ति हेतु ध्यान-स्वाध्याय का महत्त्व लोगों को बताएं।

सबसे कहें कि एक कटोरी में जल भर लें, और एक प्लेट में दो पान के पत्तो में दो सुपारी रख दें, जो गौरी और गणेश के प्रतीक होंगे। उनको एक पुष्प से जल सिंचन कर अभिषेक करवाएं, अक्षत-पुष्प-हल्दी से अभिषेक करवाये। यदि गाय का शुद्ध दूध हो तो उसे भी कुछ बूंद चढ़ाकर अभिषेक करवाएं।

अभिषेक के बाद दीपयज्ञ करवाये। आरती के बाद प्रसाद रूप में एक एक वृक्ष वितरित करें, जिसे सभी को अपने अपने घर के आसपास लगाना है। उस वृक्ष लगाने के बाद उस वृक्ष के पास ही सुपाड़ी और पान का पत्ता भी मिट्टी में दबा कर विसर्जन कर दें।

मिट्टी के गणेश जिसने स्थापित किये हों वो बड़े से गमले या एक गड्ढा बनाकर उसमें पानी भरकर गणेश जी विसर्जित कर दें। फिर उस गमले या गड्ढे में तुलसी का पौधा या पीपल का पेड़ लगा दे।

मंन्त्र के लिए कर्मकाण्ड भाष्कर की मदद लें।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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