*एक पिता का अपनी बेटी को दिया वादा*
मुट्ठी बांध के आई थी,
ढ़ेरों खुशियां लाई थी,
अपने पापा की नन्हीं परी,
पापा को देख मुस्कुराई थी।
बाहों में थी जब वो मेरे,
एक विजेता सा महसूस कर रहा था,
एक नए अहसास को लिए,
मन खुशियों से झूम रहा था।
तभी अचानक कुछ याद आ गया,
मन में एक भय सा उतपन्न हो गया,
ऐसे समाज मे,
अपनी राजकुमारी को पालना है,
जो लड़कियों के लिए,
अब सुरक्षित ही न रहा।
क्या करूँ कैसे करूँ?
अपनी बेटी के लिए,
समाज को कैसे सुधारूं?
एक सुरक्षित समाज,
मेरी बिटिया रानी के लिए,
कैसे बनाऊं?
बिटिया रानी, एक वादा है आपके पापा का आपसे......
आपका पापा हार नहीं मानेगा,
अपनी गली मोहल्ले में बाल संस्कारशाला खोलेगा,
आसपास पड़ोसियों से सम्पर्क करेगा,
सबको भावी पीढ़ी के नवनिर्माण से जोड़ेगा।
घर घर देवस्थापना करवाऊंगा,
युगनिर्माणियों के साथ काम करूंगा,
स्त्री सुरक्षा हेतु संगठन बनाऊंगा,
उसमें हर स्त्री को जुडो कराते सिखाऊंगा।
मेरी बिटिया रानी मैं तुम्हें,
माँ सरस्वती सा ज्ञानवान बनाऊंगा,
माँ लक्ष्मी सा आर्थिक आत्म निर्भर बनाऊंगा,
माँ दुर्गा सा स्व सुरक्षा के गुण सिखाऊंगा।
ताकि मैं निश्चिंत रह सकूं,
और गर्व से कह सकूं,
मेरी बिटियाँ रानी होगी जहाँ,
समस्त स्त्रियां सुरक्षित होगी वहां।
अब मैं भयमुक्त हूँ,
और प्रशन्नचित्त हूँ,
सर्वसमर्थ बनेगी मेरी बेटी,
इसलिए अब मैं निश्चिंत हूँ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*आप सभी से अनुरोध है, बेटियों को मानसिक और शारीरिक अपाहिज न बनायें*। उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम बनाएं। वैचारिक और मानसिक बल की तैयारी हेतु सत्साहित्य पढ़ाएं, शारीरिक बल हेतु जुडो/कराते/योग/प्राणायाम/व्यायाम करवाएं। आर्थिक बल हेतु आर्थिक आत्मनिर्भरता हेतु विभिन्न उसकी रुचि अनुसार कोर्स करवाये।
केवल दान दहेज देकर विवाह करने मात्र से पिता का फ़र्ज़ पूरा नहीं होता। जो लड़का-लड़की भेद करता है और अपनी कन्या को आत्मनिर्भर नहीं बनाता वो पाप का भागीदार होता है।
*अपने पिता होने का फर्ज निभाएं,*
*पुत्री को सर्व समर्थ सक्षम बनाएं,।*
*दहेजप्रथा और ख़र्चीली शादी का अंत करें,*
*अपनी बिटिया रानी में*
*एक शक्तिशाली श्रेष्ठ वजूद गढ़ें।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
मुट्ठी बांध के आई थी,
ढ़ेरों खुशियां लाई थी,
अपने पापा की नन्हीं परी,
पापा को देख मुस्कुराई थी।
बाहों में थी जब वो मेरे,
एक विजेता सा महसूस कर रहा था,
एक नए अहसास को लिए,
मन खुशियों से झूम रहा था।
तभी अचानक कुछ याद आ गया,
मन में एक भय सा उतपन्न हो गया,
ऐसे समाज मे,
अपनी राजकुमारी को पालना है,
जो लड़कियों के लिए,
अब सुरक्षित ही न रहा।
क्या करूँ कैसे करूँ?
अपनी बेटी के लिए,
समाज को कैसे सुधारूं?
एक सुरक्षित समाज,
मेरी बिटिया रानी के लिए,
कैसे बनाऊं?
बिटिया रानी, एक वादा है आपके पापा का आपसे......
आपका पापा हार नहीं मानेगा,
अपनी गली मोहल्ले में बाल संस्कारशाला खोलेगा,
आसपास पड़ोसियों से सम्पर्क करेगा,
सबको भावी पीढ़ी के नवनिर्माण से जोड़ेगा।
घर घर देवस्थापना करवाऊंगा,
युगनिर्माणियों के साथ काम करूंगा,
स्त्री सुरक्षा हेतु संगठन बनाऊंगा,
उसमें हर स्त्री को जुडो कराते सिखाऊंगा।
मेरी बिटिया रानी मैं तुम्हें,
माँ सरस्वती सा ज्ञानवान बनाऊंगा,
माँ लक्ष्मी सा आर्थिक आत्म निर्भर बनाऊंगा,
माँ दुर्गा सा स्व सुरक्षा के गुण सिखाऊंगा।
ताकि मैं निश्चिंत रह सकूं,
और गर्व से कह सकूं,
मेरी बिटियाँ रानी होगी जहाँ,
समस्त स्त्रियां सुरक्षित होगी वहां।
अब मैं भयमुक्त हूँ,
और प्रशन्नचित्त हूँ,
सर्वसमर्थ बनेगी मेरी बेटी,
इसलिए अब मैं निश्चिंत हूँ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*आप सभी से अनुरोध है, बेटियों को मानसिक और शारीरिक अपाहिज न बनायें*। उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम बनाएं। वैचारिक और मानसिक बल की तैयारी हेतु सत्साहित्य पढ़ाएं, शारीरिक बल हेतु जुडो/कराते/योग/प्राणायाम/व्यायाम करवाएं। आर्थिक बल हेतु आर्थिक आत्मनिर्भरता हेतु विभिन्न उसकी रुचि अनुसार कोर्स करवाये।
केवल दान दहेज देकर विवाह करने मात्र से पिता का फ़र्ज़ पूरा नहीं होता। जो लड़का-लड़की भेद करता है और अपनी कन्या को आत्मनिर्भर नहीं बनाता वो पाप का भागीदार होता है।
*अपने पिता होने का फर्ज निभाएं,*
*पुत्री को सर्व समर्थ सक्षम बनाएं,।*
*दहेजप्रथा और ख़र्चीली शादी का अंत करें,*
*अपनी बिटिया रानी में*
*एक शक्तिशाली श्रेष्ठ वजूद गढ़ें।*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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