Saturday, 1 September 2018

प्रश्न - *अश्वमेध यज्ञ क्या है? इसे क्यों करवाया जाता है? गायत्री परिवार द्वारा संचालित अश्वमेध यज्ञ के पूर्व क्या इसकी सफ़लता के लिए लोग जप तप भी करते हैं?*

प्रश्न - *अश्वमेध यज्ञ क्या है? इसे क्यों करवाया जाता है? गायत्री परिवार द्वारा संचालित अश्वमेध यज्ञ के पूर्व क्या इसकी सफ़लता के लिए लोग जप तप भी करते हैं?*

उत्तर - पहले अश्वमेध यज्ञ का अर्थ निम्नलिखित बिंदुओं से समझिए...

*अश्वमेध यज्ञ एक आध्यात्मिक वैज्ञानिक प्रयोग है। यह भारतीय संस्कृति के दिव्य ज्ञान, एक संस्कृति भविष्य में दुनिया की संस्कृति बन किस्मत में प्रसार करने के लिए आयोजित किया जाता है।*

*अश्वमेध यज्ञ पारिस्थितिकी संतुलन के लिए और आध्यात्मिक वातावरण की शुद्धि के लिए गायत्री मंत्र से जुड़ा है। असुरता का वातावरण रावण ने उतपन्न किया था जिसके प्रभाव से लोगों का रूझान असुरता के प्रति ज्यादा हो गया था। रावण वध के बाद श्रीराम चन्द्र जी ने रावण द्वारा बनाये असुरता के वातावरण को नष्ट करने और देवत्व के वातारण को विनिर्मित करने के लिए अश्वमेध यज्ञ करवाया था। यज्ञ के बाद ही राम राज्य स्थापित हुआ और उनके राज्य के धोबी की बुद्धि की असुरता समाप्त हुई और सबको अपनी भूल का पश्चाताप हुआ। स्त्री को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हुआ।*

*'अश्व' समाज में बड़े पैमाने पर बुराइयों का प्रतीक है और 'मेधा' सभी बुराइयों और अपनी जड़ों से दोष के उन्मूलन का संकेत है। इसलिए ऋषि मुनि इन यग्यो का बड़े स्तर पर आयोजन करते हैं। असुर लोग किसी भी हालत में यज्ञ न हो पाए इसलिए विघ्न उतपन्न करते हैं।*

*इस अनुष्ठान राष्ट्र की सामूहिक चेतना को जगाने के लिए आगे और पीछे दोनों निष्क्रिय प्रतिभा और जनता की बौद्धिक प्रतिभा लाने के लिए किया जाता है। आज के समय में विकृत चिंतन और आचरण कलियुगी प्रभाव में बढ़ा हुआ है, इसके शमन हेतु अश्वमेध यज्ञ को बड़े स्तर पर गायत्री परिवार आयोजित कर रहा है।*

*यह आध्यात्मिक अभ्यास अपने प्रतिभागियों के अथक तपस्या की भावना को आत्मसात करने के लिए और अधिक से अधिक अच्छे के लिए महान त्याग करने को प्रेरित करती है। अश्वमेध यज्ञ जिस जगह भी आयोजित होता है उसके पूर्व संरक्षण की व्यवस्था शान्तिकुंज और देश के विभिन्न स्थानों में करोड़ो-अरबो गायत्री मंन्त्र जप द्वारा की जाती है। छोटे -बड़े कई व्रत अनुष्ठान, यज्ञ श्रृंखला और शक्ति कलश जगह जगह स्थापित कर जपतप किया जाता है। एक बड़े स्तर पर आध्यात्मिक ऊर्जा उतपन्न की जाती है। परमपूज्य गुरुदेब और माता भगवती की इस सूक्ष्म ऊर्जा का नियमन करते है।*

अश्वमेध यज्ञ वृद्धि की इच्छा शक्ति के साथ प्रतिभागियों को आशीर्वाद देता है उनके दोष से छुटकारा पाने के लिए और उनके अच्छे गुण और गुणों में वृद्धि से बेहतर नागरिक बनने के लिए।

अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया और व्यापक भारतीय संस्कृति की एक शानदार प्रदर्शन है इसके ज्ञान और विज्ञान से आज की विकृत चिंतन से उपजी समस्याओं को हल किया जा सकता है।

*जहाँ भी इन अश्वमेध यज्ञ प्रदर्शन किया गया है, उन क्षेत्रों में अपराधों और आक्रामकता की दर में कमी का अनुभव किया है। इसके पीछे एक सुनिश्चित यज्ञ विज्ञान है- यदि कोई क्रोधी व्यक्ति हो उसे आप औषधीय दिव्य सुगन्ध से भरे सुंदर वातावरण और सुमधुर मंन्त्र लहरियों के बीच बैठा दीजिये। तो मंन्त्र तरंग और औषधीय धूम्र उसके मष्तिष्क कोषों में पहुंचकर तुरन्त तनावग्रस्त नशों को रिलैक्स कर देगा, मन और हृदय रिलैक्स होते ही भाव सम्वेदना और प्रेम के भाव को उत्सर्जित कर देगा। ऐसे दिव्य वातावरण में क्रोध करने की और अपराध करने की इच्छा ही समाप्त हो जाती है।*

*अश्वमेध यज्ञ इतना है कि हम उज्ज्वल भविष्य की दिशा में प्रगति कर सकते हैं समाज, राष्ट्र, महाद्वीपों, और पूरी दुनिया को एकजुट करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके पीछे यज्ञ का वैज्ञानिक तथ्य यह है कि यज्ञ से मस्तिष्क के रिलैक्स होने और मन के शांत स्थिर होने पर इंसान परमार्थ भावना से ओतप्रोत होता है, उसके ज्ञान में वृद्धि होती है। अंतर्दृष्टि विकसित होता है तो इंसान स्वयं के उज्ज्वल भविष्य और राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयासरत होता है। यज्ञ से मिली मन की स्वच्छता और स्वास्थ्य से स्वस्थ देश और समाज के निर्माण में सहायता मिलती है।*

अश्वमेध यज्ञ सूर्य देवता का पवित्र प्रसाद ताकि लोगों को सूरज की चेतना के माध्यम से लाभ उठा सकते हैं शामिल हैं। यज्ञ के माध्यम से किसी भी देवता से सम्पर्क स्थापित करके उसकी शक्तियों का लाभ लिया जा सकता है।

अश्वमेध यज्ञ में सम्मिलित होने का कोई भी सुअवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अश्वमेध यज्ञ की सफ़लता हेतु कम से कम 24000 मंन्त्र का लघु गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान या 2400 गायत्री मंन्त्र लेखन या 24 यज्ञ अवश्य करना चाहिए। इस माध्यम से आप यज्ञ की सफलता और सुरक्षा हेतु किये जा रहे आध्यात्मिक प्रयास में अपने तप द्वारा भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं।

*यज्ञ पूर्णरूपेण विज्ञान है,* इसके ज्ञान विज्ञान को समझने और इस पर अध्ययन करने हेतु *देवसंस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार उत्तराखंड* जरूर आये। इस विश्वविद्यालय में यग्योपैथी(यज्ञ एक समग्र उपचार)  पर आप पीएचडी भी कर सकते हैं।इस यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाली *डॉक्टर ममता सक्सेना* के पर्यावरण पर यज्ञ के प्रभाव के रिसर्च पेपर ऑनलाइन देवसंस्कृति विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर देख सकते हैं, जिसमें किस किस गैस पर, पर्यावरण प्रदूषण पर, PM2.5 और PM10 पर, इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन पर, रोगाणुओं विषाणुओं पर यज्ञ के प्रभाव के लैब रिसर्च उपलब्ध है। इस यूनिवर्सिटी से यग्योपैथी से PHD करने वाली *आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर वंदना* और उनकी टीम सफ़लता पूर्वक यज्ञ की OPD का संचालन कर रहे हैं। यहाँ से विभिन्न रोगों के उपचार यज्ञ द्वारा देश विदेश के मरीज़ों का हो रहा हैं।पूर्व अपॉइंटमेंट लेकर डॉक्टर वंदना से अभी तक परिणामों पर चर्चा और उनके रिसर्च देख सकते हैं।

*यज्ञ की यग्योपैथी लैब में यज्ञ के प्रभाब का वैज्ञानिक विश्लेषण आधुनिक मशीनों के माध्यम से किया जाता है,* इसे देखने समझने और अध्ययन करने के लिए *देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार* जरूर आएं।

👉🏼🙏🏻 *एक विनम्र अनुरोध* - संस्कृत में एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं। उदाहरण राजमहिषी - यहां राजा की *महिषी अर्थात महारानी* अर्थ भी हो सकता है और राजा द्वारा पाली *महिषी अर्थात भैंस* भी होता है। अब भाषा विज्ञान के दुरुपयोग और सदुपयोग पर अर्थ-अनर्थ लोग निकालते हैं।

इसी तरह *अश्वमेध यज्ञ* का भी कुछ लोग अनर्थ/गलत अर्थ निकालते हुए पशुवध से इसे जोड़ते है। *अश्व* को अलंकारिक रूप में बुद्धि हेतु उपयोग लेते है और सामाजिक बुराई के लिए भी अश्व का प्रयोग करते हैं। उदाहरण *चंद्रमुखी* सुंदर बुद्धि और *अश्वबुद्धि* कुटिल-स्वार्थी बुद्धि की अलंकारिक भाषा है ।

इसी तरह *मेध* के तीन अर्थ हैं- 1- मेधा-बुद्धि का सम्वर्धन, 2- हिंसा और 3- संगम-संगतिकरण-संगठन

इसी तरह *बलि* के अनेक अर्थ हैं- 1- आहुति-भेंट करना, 2- दैनिक आहार का अग्निहोत्र, 3-चुंगी-कर, 4-चंवर का डंडा, 5- प्रह्लाद का पौत्र बलि आदि।

अतः पूर्वाग्रह छोड़ें, कुतर्क न करके और भाषा विज्ञान का दुरूपयोग न करते हुए, स्वच्छ मन और पवित्र दृष्टिकोण से यज्ञ के भाव और उद्देश्य को समझते हुए अर्थ *अश्वमेध यज्ञ* का अर्थ *अश्व - समाज की बुराई-विकृत चिंतन* को *मेधा- सद्बुद्धि और सत्कर्म से उन्मूल यज्ञ* समझें।

*बलिवैश्व यज्ञ को* का अर्थ सर्वव्यापी परमात्मा को अर्पित दैनिक आहार का अग्निहोत्र समझें।

धन्यवाद।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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