*कॉलेज की बच्चियों हेतु लेख प्रेषित करें, संस्कारशाला हेतू उद्बोधन लिख के दे दीजिये।*
ॐ भूर्भुवः स्व: तत सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात।
सम्माननीय मंच एवं आत्मीय बेटियों,
हम यहां अपने देश की भाग्य निर्मात्रीयों से मिलने आये हैं, आप हमारे देश के सुनहरे भविष्य की आधारशिला हो। युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य का नारा दिया है। उन्ही का संदेश हम यहां देने आए हैं।
1- बेटियों आपके मन अभी सुनहरे कल्पनाओं से भरे हुए है, कल्पना की दुनियां और हक़ीकत की दुनियां में फ़र्क़ होता है।
2- नारी आज कहीं भी सुरक्षित नहीं, सबसे बड़ी बात वो माँ के गर्भ में भी सुरक्षित नहीं और समाज मे भी सुरक्षित नहीं।
3- इसलिए आज नारी जागरण की महती/अत्यंत आवश्यकता है।
4- देश की आधी जनसँख्या स्त्री है, यदि स्त्री का विकास न हुआ तो देश का अधूरा ही विकास होगा।
5- बची हुई आधी जनसँख्या को जन्म देने वाली भी नारी है। यदि माता महान नहीं हुई तो भला सन्तान कैसे महान होगा?
6- समाज को सुधारना और बदलना है तो स्त्री का सुधरना और बदलना अति अनिवार्य है।
7- आजकल भ्रामक मान्यता फैली हुई है जो लड़की जॉब करने लगी और आर्थिक आत्म निर्भर बन गयी तो उसका जागरण हो गया। जी नहीं केवल आर्थिक निर्भरता से न परिवार का कल्याण होगा न देश का कल्याण होगा। बल्कि स्त्री को आत्मनिर्भर बनना होगा और स्वयं के अस्तित्व की पहचान करनी होगी।
8- आजकल भ्रामक मान्यता के कारण स्त्री पुरूषों की नकल करके अपने अंदर के पुरुषत्व को जगा रही है। यह तो घोर अनर्थ है, क्योंकि दो पुरुष मानसिकता का विवाह कभी सफल नहीं हो सकता। बच्चे को माता चाहिए - घर मे दो पिता नहीं। लड़ाई झगड़े कलह से ऐसे घर भर जाएंगे।
9- भ्रामक विज्ञापन और टीवी सीरियल से प्रेरित होकर अर्धनग्न कपड़ों का फ़ैशन चल पड़ा है। जब बड़े बड़े ऋषिमुनियों का अप्सराओं ने अंगप्रदर्शन से तपस्या भंग कर दी, तो ये कॉलेज में पढ़ने वाले कमज़ोर चारित्रिक दृढ़ता के लड़के इन वस्त्रों से क्यूं न भूल करेंगे भला..। जो समाज पुरुषों का है जिनके बीच फैशन कर रहे हो वो सभ्य नहीं है, इनकी सोच ऊंची नहीं है। अतः इन पर दया करते हुए स्कर्ट बड़ी पहनो और अपनी सोच बड़ी करो।
10- फ़िल्म-टीवी-विज्ञापन में लड़कियों को अंगप्रदर्शन के ही पैसे मिलते हैं, साथ ही वो बड़ी गाड़ियों में घूमती हैं। लेकिन हमने देखा है कि वैसे ही छोटे अभद्र कपड़े पहन के लड़कियां पैदल या स्कूटी में भी चलती है। जो पूर्णतया असुरक्षित है। जमाना कितना भी बदल जाये, घोड़े और घास की दोस्ती शक की निगाह में ही रहेगी। लड़के लड़की की दोस्ती और पार्टी इसी तरह शक में ही रहती है।
11- बेटियों यह समय दुबारा नहीं मिलेगा, पढ़कर कुछ बनने का यही समय है। स्वयं की पहचान बनाना और अपने अस्तित्व को बनाने का यही समय है।
12- कुछ ऐसा क्यों नहीं करते कि तुम्हे देखकर लोग प्रेरणा लें। बेटियों को पैदा करके तुम्हारे जैसा बनाना चाहे। लड़कियों को सम्मान लड़कियां ही दिला सकती हैं।
13- अगर आप स्वयं को स्त्री समझते हुए स्त्री गौरव के लिए कुछ कर गुज़रने की चाहत रखेंगी तो ही सबका भला होगा।
14- मनःस्थिति बदलिए और स्वयं को श्रेष्ठ लक्ष्य से जोड़िए।
15- स्वयं अलर्ट जागरूक रखिये कोई भी आपका फ़ायदा न उठा सके।
16- किसी भी लड़के के बहकावे में कोई गलत कदम मत उठाइये।
17- इंटरनेट पर अपनी फ़ोटो असुरक्षित ढंग से अपलोड न करें।
18- इंटरनेट पर अजनबियों से दोस्ती करके उनसे अकेले मिलने न जाएं।
19- हमेशा ग्रुप में कही घूमने जाएं, अकेले जाने का खतरा न उठाएं।
20- अपने गुणों को बढ़ाइए, केवल रूप तक सीमित मत रह जाइये। रूप से पहचान और सम्मान मिले न मिले लेकिन गुणों से सदैव सम्मान मिलता है।
21- उठो!, जागो! तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य मिल न जाये।
22- अपने दिमाग़ के सन्तुलित विकास और तेज़ बुद्धि के लिए रोज ध्यान और स्वाध्याय कीजिये।
23- भगवान श्री कृष्ण ने गीता अर्जुन को युद्ध के मैदान में और युवावस्था में सुनाई थी। अतः गीता जैसी मैनेजमेंट की सबसे बड़ी पुस्तक युवावस्था में पढ़नी चाहिए। इसे रिटायरमेंट प्लान मत समझें।
24- बेटियों जिंदगी आपकी आपके हाथ मे है, मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है। अतः स्वयं के भविष्य निर्माण में जुट जाइये।
25- मनुष्य अपनी किस्मत डायरेक्ट नहीं बदल सकता। लेकिन किस्मत बदलने के लिए पहले अपनी सोच बदलिए, फिर सोच को मूर्त रूप में बदलने के लिए कर्म कीजिये, इससे भविष्य बदलेगा।
26- सोच बदलने के लिए स्वाध्याय कीजिये और ध्यान कीजिये। सकारात्मक सोच के साथ जीवन बदलने में जुट जाइये।
27- ऐसा वातावरण बनाइये कि लोग बेटियों को सम्मान की नज़र से देखें, ऐसा कुछ कीजिये कि प्रत्येक माता-पिता आप जैसी बेटियों को अपनी सन्तान रूप में पाकर धन्य महसूस करें।
28- बेटे अंत मे एक बात और कहना चाहती हूँ, नारियल यदि समुद्र के किनारे हो तो उसका पानी नमकीन हो जाता है, नदी के किनारे हो तो वही नारियल मीठा हो जाता है। इसी तरह मिट्टी की तरह माँ का गर्भ होता है, पिता से ज्यादा माता का असर बच्चे पर होता है। बच्चे का मीठा-अच्छा या खारा-बुरा स्वभाव माता पर निर्भर करता है। देश-समाज को अच्छा नागरिक देने में माता की अहम भूमिका रही है। शिवाजी जैसे वीर जीजाबाई की मेहनत की देन होते है। लक्ष्मीबाई जैसी वीरकन्या उनकी माता ही गढ़ती है।
29- देश का भविष्य आज भी आप के हाथ मे है और कल भी आपके हाथ मे ही होगा।
30- बेटियों आप सबके सँस्कार वान होने से और सही दिशा में प्रयास करने पर आपका उज्ज्वल भविष्य निश्चित बनेगा और देश का भी सुनहरा भविष्य सुनिश्चित होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
ॐ भूर्भुवः स्व: तत सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात।
सम्माननीय मंच एवं आत्मीय बेटियों,
हम यहां अपने देश की भाग्य निर्मात्रीयों से मिलने आये हैं, आप हमारे देश के सुनहरे भविष्य की आधारशिला हो। युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य का नारा दिया है। उन्ही का संदेश हम यहां देने आए हैं।
1- बेटियों आपके मन अभी सुनहरे कल्पनाओं से भरे हुए है, कल्पना की दुनियां और हक़ीकत की दुनियां में फ़र्क़ होता है।
2- नारी आज कहीं भी सुरक्षित नहीं, सबसे बड़ी बात वो माँ के गर्भ में भी सुरक्षित नहीं और समाज मे भी सुरक्षित नहीं।
3- इसलिए आज नारी जागरण की महती/अत्यंत आवश्यकता है।
4- देश की आधी जनसँख्या स्त्री है, यदि स्त्री का विकास न हुआ तो देश का अधूरा ही विकास होगा।
5- बची हुई आधी जनसँख्या को जन्म देने वाली भी नारी है। यदि माता महान नहीं हुई तो भला सन्तान कैसे महान होगा?
6- समाज को सुधारना और बदलना है तो स्त्री का सुधरना और बदलना अति अनिवार्य है।
7- आजकल भ्रामक मान्यता फैली हुई है जो लड़की जॉब करने लगी और आर्थिक आत्म निर्भर बन गयी तो उसका जागरण हो गया। जी नहीं केवल आर्थिक निर्भरता से न परिवार का कल्याण होगा न देश का कल्याण होगा। बल्कि स्त्री को आत्मनिर्भर बनना होगा और स्वयं के अस्तित्व की पहचान करनी होगी।
8- आजकल भ्रामक मान्यता के कारण स्त्री पुरूषों की नकल करके अपने अंदर के पुरुषत्व को जगा रही है। यह तो घोर अनर्थ है, क्योंकि दो पुरुष मानसिकता का विवाह कभी सफल नहीं हो सकता। बच्चे को माता चाहिए - घर मे दो पिता नहीं। लड़ाई झगड़े कलह से ऐसे घर भर जाएंगे।
9- भ्रामक विज्ञापन और टीवी सीरियल से प्रेरित होकर अर्धनग्न कपड़ों का फ़ैशन चल पड़ा है। जब बड़े बड़े ऋषिमुनियों का अप्सराओं ने अंगप्रदर्शन से तपस्या भंग कर दी, तो ये कॉलेज में पढ़ने वाले कमज़ोर चारित्रिक दृढ़ता के लड़के इन वस्त्रों से क्यूं न भूल करेंगे भला..। जो समाज पुरुषों का है जिनके बीच फैशन कर रहे हो वो सभ्य नहीं है, इनकी सोच ऊंची नहीं है। अतः इन पर दया करते हुए स्कर्ट बड़ी पहनो और अपनी सोच बड़ी करो।
10- फ़िल्म-टीवी-विज्ञापन में लड़कियों को अंगप्रदर्शन के ही पैसे मिलते हैं, साथ ही वो बड़ी गाड़ियों में घूमती हैं। लेकिन हमने देखा है कि वैसे ही छोटे अभद्र कपड़े पहन के लड़कियां पैदल या स्कूटी में भी चलती है। जो पूर्णतया असुरक्षित है। जमाना कितना भी बदल जाये, घोड़े और घास की दोस्ती शक की निगाह में ही रहेगी। लड़के लड़की की दोस्ती और पार्टी इसी तरह शक में ही रहती है।
11- बेटियों यह समय दुबारा नहीं मिलेगा, पढ़कर कुछ बनने का यही समय है। स्वयं की पहचान बनाना और अपने अस्तित्व को बनाने का यही समय है।
12- कुछ ऐसा क्यों नहीं करते कि तुम्हे देखकर लोग प्रेरणा लें। बेटियों को पैदा करके तुम्हारे जैसा बनाना चाहे। लड़कियों को सम्मान लड़कियां ही दिला सकती हैं।
13- अगर आप स्वयं को स्त्री समझते हुए स्त्री गौरव के लिए कुछ कर गुज़रने की चाहत रखेंगी तो ही सबका भला होगा।
14- मनःस्थिति बदलिए और स्वयं को श्रेष्ठ लक्ष्य से जोड़िए।
15- स्वयं अलर्ट जागरूक रखिये कोई भी आपका फ़ायदा न उठा सके।
16- किसी भी लड़के के बहकावे में कोई गलत कदम मत उठाइये।
17- इंटरनेट पर अपनी फ़ोटो असुरक्षित ढंग से अपलोड न करें।
18- इंटरनेट पर अजनबियों से दोस्ती करके उनसे अकेले मिलने न जाएं।
19- हमेशा ग्रुप में कही घूमने जाएं, अकेले जाने का खतरा न उठाएं।
20- अपने गुणों को बढ़ाइए, केवल रूप तक सीमित मत रह जाइये। रूप से पहचान और सम्मान मिले न मिले लेकिन गुणों से सदैव सम्मान मिलता है।
21- उठो!, जागो! तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य मिल न जाये।
22- अपने दिमाग़ के सन्तुलित विकास और तेज़ बुद्धि के लिए रोज ध्यान और स्वाध्याय कीजिये।
23- भगवान श्री कृष्ण ने गीता अर्जुन को युद्ध के मैदान में और युवावस्था में सुनाई थी। अतः गीता जैसी मैनेजमेंट की सबसे बड़ी पुस्तक युवावस्था में पढ़नी चाहिए। इसे रिटायरमेंट प्लान मत समझें।
24- बेटियों जिंदगी आपकी आपके हाथ मे है, मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है। अतः स्वयं के भविष्य निर्माण में जुट जाइये।
25- मनुष्य अपनी किस्मत डायरेक्ट नहीं बदल सकता। लेकिन किस्मत बदलने के लिए पहले अपनी सोच बदलिए, फिर सोच को मूर्त रूप में बदलने के लिए कर्म कीजिये, इससे भविष्य बदलेगा।
26- सोच बदलने के लिए स्वाध्याय कीजिये और ध्यान कीजिये। सकारात्मक सोच के साथ जीवन बदलने में जुट जाइये।
27- ऐसा वातावरण बनाइये कि लोग बेटियों को सम्मान की नज़र से देखें, ऐसा कुछ कीजिये कि प्रत्येक माता-पिता आप जैसी बेटियों को अपनी सन्तान रूप में पाकर धन्य महसूस करें।
28- बेटे अंत मे एक बात और कहना चाहती हूँ, नारियल यदि समुद्र के किनारे हो तो उसका पानी नमकीन हो जाता है, नदी के किनारे हो तो वही नारियल मीठा हो जाता है। इसी तरह मिट्टी की तरह माँ का गर्भ होता है, पिता से ज्यादा माता का असर बच्चे पर होता है। बच्चे का मीठा-अच्छा या खारा-बुरा स्वभाव माता पर निर्भर करता है। देश-समाज को अच्छा नागरिक देने में माता की अहम भूमिका रही है। शिवाजी जैसे वीर जीजाबाई की मेहनत की देन होते है। लक्ष्मीबाई जैसी वीरकन्या उनकी माता ही गढ़ती है।
29- देश का भविष्य आज भी आप के हाथ मे है और कल भी आपके हाथ मे ही होगा।
30- बेटियों आप सबके सँस्कार वान होने से और सही दिशा में प्रयास करने पर आपका उज्ज्वल भविष्य निश्चित बनेगा और देश का भी सुनहरा भविष्य सुनिश्चित होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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